2011 वर्ल्डकप जीतना, मैन ऑफ दी सीरीज बनना और 4 मैन ऑफ दी मैच अवॉर्ड मिलना सपना पूरा होने जैसा था. लेकिन इसके बाद हकीकत से सामना हुआ. मुझे कैंसर का पता चला. यह अचानक आसमान से जमीन पर धड़ाम से गिरने जैसा था. यह सब कुछ बड़ी तेजी से हुआ. और यह तब हुआ जब मैं अपने करियर के पीक पर था. लेकिन सब लोगों ने मेरा साथ दिया. मेरे फैंस ने मेरा हौसला बढ़ाया. मेरे परिवार ने मेरी हिम्मत बढ़ाई. कैंसर से जंग जीतने में मदद करने के लिए मैं डॉक्टर रोहतगी, यूएस के डॉक्टर लॉरेंस का शुक्रिया अदा करता हूं. कैंसर की लड़ाई जीतने के बाद मुझे दूसरी चीजों पर फोकस करने का मौका मिला. कैंसर से उबरने के बाद अपनी एक फाउंडेशन शुरू की .You We Can जिसके तहत हम कैंसर पीड़ितों की मदद करते हैं.युवराज सिंह कैंसर पर किताब लिख चुके हैं. किताब का नाम है 'द टेस्ट ऑफ माइ लाइफ'. 2012 के शुरुआत में पता चला था. युवराज सिंह के फेफड़े में कैंसर डिटेक्ट हुआ था. उन्हें इलाज के लिए लंबे समय तक क्रिकेट से दूर रहना पड़ा था. युवराज को पता था कि उन्हें कैंसर है. लेकिन उन्होंने इसे जाहिर नहीं होने दिया था. ट्यूमर के दर्द के साथ ही उन्होंने 2011 का वर्ल्ड कप खेला था. युवराज सिंह ने कहा कि उन्हें क्रिकेट ने सिखाया कि कैसे लड़ना है, गिरना है, फिर उठना है और आगे बढ़ जाना है. संन्यास के बाद युवराज सिंह कैंसर पीड़ितों की मदद करेंगे. कैंसर पीड़ितों के इलाज के लिए फंड भी जुटाएंगे.
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