एशियन टेस्ट चैम्पियनशिप. इंडिया का मैदान. कलकत्ता. ईडेन गार्डेन्स इससे पहले इतना भरा नहीं था. अगर कभी भरा भी था तो इस कदर लगा नहीं था. इस कदर शोर नहीं था. इस कदर हौव्वा नहीं था. हौव्वे की वजह? एक तूफ़ान आया था इस बार हिंदुस्तान की धरती पर. तेज़ दौड़ता हुआ आता था और अपनी दौड़ की तेज़ी से सात गुना ज़्यादा तेज़ वो गेंद फेंकता था.
अब तक हिंदुस्तान को दो तरह के क्रिकेट खिलाड़ियों की आदत लग चुकी थी. एक वो जो गेंद को इस कदर सीधा मारने में यकीन रखता कि ज्योमिट्री का टीचर स्केल से लाइन खींचे तो भी शर्मा जाए. और दूसरा वो जिसके सामने एक फ़रारी अपनी फुल स्पीड पर आ रही हो तो वो उसे भी बल्ले से क्रीज़ के डेढ़ कदम पहले ही रोक दे. सचिन रमेश तेंडुलकर और राहुल द्रविड़.

साल 1999. उस तूफ़ान ने एक गेंद अपने हाथ से छोड़ी. ऑफ स्टम्प के डेढ़ हाथ बाहर से. गेंद जैसे ही हाथ से छूटी उस पर किसी ने काला जादू कर दिया. उस गेंद के पर निकल आये. गेंद अब हवा में चल नहीं बल्कि उड़ थी थी. तैर रही थी. फ़िज़िक्स में पढ़ाया जाने वाला बर्नोलीज़ प्रिंसिपल साफ़ काम करता दिखाई दे रहा था. कलकत्ता का स्टेडियम वो देखने वाला था जो पूरी दुनिया को बहुत ही कम बार दिखाई देने वाला था. मानो किसी पुच्छल तारे के निकलने जैसी कोई घटना हो. जो सालों में एक-आध बार ही होती है. राहुल द्रविड़ के सामने से वो गेंद आकर उनके लेग स्टम्प को उखाड़ने वाली थी. जब स्टम्प उखड़ा तो राहुल गेंद की लाइन को कवर करने के चक्कर में ऑफ स्टम्प से सवा कदम बाहर खड़े मिले थे. विकेट्स छितरा गए थे. ऐसा लग रहा था जैसे रावण के पुतले को अभी-अभी फूंका गया था और अब बस उसका ढांचा खड़ा था. लगभग 45 सेकंड के अन्दर मैदान पर वो आदमी चलता हुआ दिखाई दे रहा था जो ऐसे तूफ़ानों को अपनी जेब में रूमाल के साथ रखने के लिए मशहूर था. मैदान पर वो आदमी आ रहा था जिसकी खुद की एक इनिंग्स को एक तूफ़ान का नाम दिया गया था. साल भर पहले शारजाह में खेली गई सैंडस्टॉर्म इनिंग्स. वो जब क्रीज़ की ओर बढ़ रहा था तो अपने हाथ में ग्लव्स लेकर चल रहा था. कलकत्ता का मैदान राहुल के आउट होने पर कुछ शांत हुआ था मगर अभी वो चीख रहा था. वहां मौजूद हर शख्स को मालूम था कि दौड़ कर अम्पायर के बगल में आकर गेंद फेंकने वाले उस तूफ़ान का सही जवाब असल में अब उनके सामने आ रहा था. उन्हें मालूम था कि पाकिस्तान को एक सीख मिलने वाली थी. सचिन तेंडुलकर. इंडिया एकमात्र वो खुशनसीब और अजीबोग़रीब देश है जिसके विकेट के गिरने पर खुद उसी देश के दर्शक तालियां बजाते थे. क्यूंकि उन्हें एक फ़नकार को देखने का मौका मिलने वाला होता था. इस बैट्समैन के बारे में दुनिया के सबसे अग्रेसिव ओपेनिंग बैट्समेन में से एक मैथ्यू हेडेन ने कभी कहा था, "मैंने भगवान को देखा है. वो इंडिया के लिए नम्बर चार पर बैटिंग करने आता है." राहुल द्रविड़ के आउट होने के ठीक बाद फेंकी गयी गेंद. शोएब अख्तर टु सचिन तेंडुलकर. क्रिकेट के इतिहास में पहली बार. ये वो मौका था जब एक किसी भी हाल में हिल न सकने वाली चीज़ से रोके न रुकने वाली ताकत टकराने वाली थी. क्रिकेट का खेल शायद इसी दिन के लिए बना था. शोएब एक लम्बा रन-अप लेकर आता था. उसकी दौड़ की शुरुआत वहां से होती थी जहां से खड़ा होकर वो अपने माथे पर आई पसीने की बूंदों को अपने अंगूठे से हटाकर झटके तो बूंदें बाउंड्री पार गिरें. इस बार फिर से वही गेंद. एकदम वही. ऑफ स्टम्प के बाहर की लाइन में छोड़ी गई गेंद जो तैरती हुई अन्दर आई और दुनिया के सबसे बेहतरीन बैट्समैन को उस दिन ब्लॉक होल की परिभाषा समझ में आई. मिडल स्टम्प, ऑफ़ और लेग स्टम्प के साथ मिलकर 90 डिग्री का कोण बना रहा था. ईडेन गार्डेन्स में उस वक़्त इतनी शांति थी कि मैदान के बीचों-बीच अपने घुटनों के बल बैठे शोएब अख्तर की चीख ही सुनाई दे रही थी. कमेंट्री बॉक्स में बैठे टोनी ग्रेग कह रहे थे, "मुझे नहीं लगता कोई भी डिलीवरी न खेली जा सकने वाली हो सकती है, लेकिन ये एक खूबसूरत बॉल थी." असल में टोनी ग्रेग एक शालीन और विनम्र इंसान थे. लिहाज़ा उन्होंने ये कहकर काम चला लिया कि ये एक खूबसूरत गेंद थी. दरअसल वो एक साधारण गेंद नहीं थी. और ये जिस तरह से इंज़माम-उल-हक़ ने शोएब को अपनी बाहों में भींच लिया था, उससे पता लगाया जा सकता था. इंज़ी ने लगभग आधे मिनट तक अख्तर को गले लगाये रखा. उस वक़्त पाकिस्तान अपने चरम पर पहुंच चुका था. दो गेंदों में सचिन और द्रविड़ के खाते बंद हो चुके थे. दुनिया के सबसे तेज़ बॉलर ने दुनिया के सबसे बेहतरीन बल्लेबाज को एक गेंद में ही धूल चटा दी थी. मैच पाकिस्तान ने जीता. 46 रन से. पहली इनिंग्स में पीछे रहने के बावजूद पाकिस्तान ने मैच में वापसी की. शोएब ने मैच में कुल 8 विकेट लिए. इस मैच के बाद इंडिया और पाकिस्तान ने आपस में कितने ही मैच खेले. सचिन और अख्तर के मुकाबले ने किम्वदंती का रूप ले लिया. वर्ल्ड कप में मारा अपर कट भारतीय क्रिकेट के इतिहास का अमर शॉट बन गया. उस एक शॉट ने शोएब अख्तर और पाकिस्तान की रीढ़ तोड़ के रख दी थी. लेकिन अंग्रेजी में कहते हैं कि "first impression is the last impression" और उस दिन शोएब अख्तर ने जो इम्प्रेशन जमाया था, वो सपनों में ही हकीक़त बन सकता है. क्रिकेट खेलने के लिए शुक्रिया, शोएब. जन्मदिन मुबारक!
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