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एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी विवाद पर सचिन ने तोड़ी चुप्पी

पटौदी ट्रॉफी की शुरुआत 2007 में की गई थी. तबसे इंग्लैंड की धरती पर दोनों टीमों के बीच सीरीज के विजेता को ये ट्रॉफी दी जाती थी. हालांकि इस साल से ये बदल गया. अब इसका नाम एंडरसन तेंदुलकर ट्रॉफी हो गया है.

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सचिन तेंदुलकर के नाम पर रखा गया भारत-इंग्लैंड सीरीज ट्रॉफी की नाम. (Photo-PTI)

इंग्लैंड और भारत के बीच टेस्ट सीरीज का नाम पिछले कुछ दिनों से काफी चर्चा में है. साल 2007 में इंग्लैंड की धरती पर दोनों टीमों के बीच सीरीज के विजेता को पटौदी ट्रॉफी (Pataudi Trophy) देने की शुरुआत की गई थी. हाल ही में ECB और BCCI ने मिलकर फैसला किया कि अब इसे एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी (Anderson-Tendulkar Trophy) के नाम से जाना जाएगा. कई लोगों ने इसका विरोध किया जिसमें सुनील गावस्कर और कपिल देव जैसे दिग्गज शामिल हैं. सचिन तेंदुलकर ने इसपर कोई बयान तो नहीं दिया, लेकिन खबरें आईं कि तेंदुलकर चाहते हैं कि पटौदी परिवार का नाम सीरीज से जुड़ा रहे. इसके लिए उन्होंने खुद आगे आकर दोनों बोर्ड्स को मनाया भी. 

सचिन तेंदुलकर हैं पटौदी परिवार के मुरीद

तेंदुलकर ने एक मीडिया यूट्यूब चैनल को इस पूरे विवाद पर बात की. उन्होंने कहा कि वो जानते हैं कि पटौदी परिवार ने क्रिकेट के लिए क्या कुछ किया है. उन्होंने कहा,

हां, मैं पहले चुप रहा. चलिए मैं आपको पूरी बात बताता हूं. सबसे पहली बात, ट्रॉफी को रिटायर करने का फैसला BCCI और ECB का था. फैसला लेने के बाद ही उन्होंने मुझे इस बारे में बताया. जहां तक ​​पटौदी परिवार का सवाल है, मैं भारतीय क्रिकेट में उनके योगदान से वाकिफ हूं. पटौदी सीनियर ने इंग्लैंड और भारत के लिए खेला, जबकि टाइगर पटौदी ने भारत की कप्तानी की. मैंने उन्हें खेलते हुए नहीं देखा क्योंकि मैं पैदा नहीं हुआ था, लेकिन मैंने वास्तव में कहानियां सुनी हैं और वे कहानियां हम सभी को प्रेरित करती हैं.

सचिन तेंदुलकर ने खुद की BCCI और ECB से बात

सचिन तेंदुलकर ने BCCI और ईसीबी से बात की. साथ ही पटौदी परिवार को भी भरोसा दिलाया कि पटौदी परिवार का नाम सीरीज से जुड़ा रहेगा. दोनों ही बोर्ड सचिन की बात से सहमत थे और उन्होंने पटौदी परिवार को सीरीज से जोड़े रखने के लिए नया तरीका निकाला. तेंदुलकर ने बताया,   

 मैंने यह फैसला किया विरासत को बरकरार रखा जाए. जब ​​मुझे पता चला, तो मैंने पटौदी परिवार को फोन किया और बातचीत की. इसके बाद, मैंने जय शाह, बीसीसीआई और ईसीबी से बात की और उन्हें बताया कि विरासत को बनाए रखने के लिए कुछ किया जाना चाहिए. उन्होंने मेरी बात सुनी और उसके बाद जब हमने दूसरी बार बात की तो  फैसला लिया गया कि विजेता कप्तान को पटौदी मेडल ऑफ एक्सीलेंस से सम्मानित किया जाएगा. मैंने हमेशा अपने सीनियर्स का सम्मान किया है और यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी पूरी ताकत से काम किया कि पटौदी की विरासत इस सीरीज से जुड़ी रहे.

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तेंदुलकर-एंडरसन सीरीज की शुरुआत 20 जून से होने वाली है. सीरीज का पहला मुकाबला लीड्स में खेला जाएगा. भारतीय टीम इस सीरीज में युवा कप्तान शुभमन गिल के साथ उतरेगी. विराट कोहली और रोहित शर्मा के टेस्ट संन्यास के बाद यह टीम की पहली सीरीज है. 

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