विराट कोहली (Virat Kohli) और रोहित शर्मा (Rohit Sharma) का टेस्ट क्रिकेट से संन्यास. क्या ये सब अचानक हो गया है? या पहले से ही इसकी पटकथा लिखी जा चुकी थी. इसके पीछे की पॉलिटिक्स जो भी हो. इससे ये तय जरूर हो गया है कि कोच गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) अब बहुत पावरफुल हो गए हैं. ऐसा नहीं है कि पहले उनकी नहीं चलती थी. पर ये तय जरूर हो गया कि इन दोनों दिग्गजों के जाने से कोच की भूमिका कप्तानों से कहीं अधिक होगी. यानी जो पिछले कई वर्षों में नहीं हुआ. वो होने वाला है. या यूं भी कह सकते हैं अब इंडियन क्रिकेट में असली गंभीर युग की शुरुआत हुई है. विस्तार से बताते हैं कि हम ऐसा क्यों कह रहे हैं.
'अब शुरू हुआ गंभीर युग', विराट-रोहित के संन्यास में कोच गंभीर का हाथ?
कोच Gautam Gambhir एक नया रास्ता बनाने की कोशिश में जुटे हैं. ये इंडियन क्रिकेट टीम के पुराने कोच के रास्ते से बिल्कुल अलग है. Virat Kohli और Rohit Sharma के संन्यास को इससे जोड़कर देखा जाना लाजमी है.

मिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, कोच गंभीर एक नया रास्ता बनाने की कोशिश में जुटे हैं. ये इंडियन क्रिकेट टीम के पुराने कोच के रास्ते से बिल्कुल अलग है. कारण है कि भारतीय क्रिकेट में लंबे समय से प्रभावशाली कप्तानों का दबदबा रहा है. ग्रेग चैपल, बिशन सिंह बेदी और अनिल कुंबले जैसे कोचों को सौरव गांगुली, महेंद्र सिंह धोनी, विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे खिलाड़ियों के सामने अपना दबदबा बनाने में संघर्ष करना पड़ा. इसके विपरीत, जॉन राइट, गैरी कर्स्टन और रवि शास्त्री जैसे कोच टीम के कप्तानों के साथ मिलकर सफल हुए. हालांकि, गंभीर ऐसे नहीं हैं. BCCI के सूत्रों ने भी इसकी पुष्टि की है. गंभीर 2025-27 विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) साइकिल के लिए सीनियर प्लेयर्स को बाहर करने और नए चेहरे लाने के बारे में स्पष्ट थे.
इसी रिपोर्ट में BCCI के एक सूत्र के हवाले से लिखा गया है,
गौतम गंभीर का दौर अब शुरू हो रहा है. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि अगले WTC के दौरान भारत को नए चेहरे चाहिए. रोहित और विराट के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने से इंडियन टीम की रूपरेखा काफी बदल गई है. उनके जाने से एक खालीपन हो गया है. जिससे अब गंभीर को अपने विजन को लागू करने का मौका मिल गया है. रोहित की पूर्व कोच राहुल द्रविड़ के साथ साझेदारी सफल रही. लेकिन गंभीर के साथ उनके रिश्ते उतने अच्छे नहीं रहे. दूसरी ओर, कोहली ने गंभीर के साथ सुलह कर ली थी. वे भी अब टेस्ट में नहीं होंगे.
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BCCI सूत्र ने आगे बताया,
अब इंडियन टीम में आगे क्या?बोर्ड के सभी डिसिजनमेकर जानते थे कि टेस्ट क्रिकेट में सीनियर खिलाड़ियों को ले जाने के मामले में गंभीर का क्या रुख है. जाहिर है, उनके और चीफ सेलेक्टर अजीत आगरकर के विचार एक जैसे थे. स्टार कल्चर को खत्म करना. गंभीर का मुख्य उद्देश्य ही यही था. साथ ही वह टेस्ट टीम में युवा खिलाड़ियों को शामिल करना चाहते थे. ताकि अगले WTC साइकिल के लिए एक नया दृष्टिकोण मिले. इस रणनीति को हाल ही में मिली असफलताओं से और बल मिल गया था. बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी और न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज में सभी को पता है क्या हुआ था.
20 जून को इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट के साथ WTC की नई साइकिल शुरू हो जाएगी. टीम इंडिया का रोडमैप लॉन्ग टर्म स्टेब्लिटी पर केंद्रित है. टीम में बॉलिंग अटैक को डेवलप करने और बैटिंग में गहराई लाने के लिए युवाओं को शामिल करने की उम्मीद है. क्लीयर विजन के लिए पहचाने जाने वाले गंभीर ने पहले ही संकेत दे दिया है. वह हार्श कॉल लेने में संकोच नहीं करेंगे.
इंडियन क्रिकेट टीम ट्रांजिशन के फेज में हैं. टीम में कोई भी प्लेयर ऐसा नहीं है, जिसका बड़ा इंफ्लुएंस हो. इसलिए ये कहना गलत नहीं है कि ये कोच गंभीर युग की शुरुआत है. BCCI की ओर से जारी 10 गाइडलाइंस भी इसी दिशा में थी. मैसेज साफ था. कोच गौतम गंभीर नो नॉनसेंस कोच हैं. यानी जो वो चाहते हैं वो सबको मानना होगा. 23 या 24 मई को इंग्लैंड दौरे के लिए यंग इंडियन टीम अनाउंस हो सकती है. अब देखते हैं कि युवाओं से लैस गंभीर की ये सेना क्या कुछ हासिल करती है.
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