मोहम्मद शमी (Mohammed shami). इंडियन पेसर फिलहाल चैंपियंस ट्रॉफी में हिस्सा लेने दुबई गए हुए हैं. लेकिन उनके नाम पर भारत में बवाल मचा हुआ है. बवाल की वजह उनका रोजा नहीं रखना है. ये विवाद उनकी जूस पीते हुए एक तस्वीर के वायरल होने के बाद से शुरू हुआ है. शमी के रोजा नहीं रखने को लेकर एक मौलाना ने विवादित टिप्पणी की है. इस पर शमी के भाई की प्रतिक्रिया भी सामने आई है.
शमी के जूस पीने पर बवाल काट रहे थे, भाई और मौलाना के जवाब ने बोलती बंद कर दी
Mohammed shami के रोजा नहीं रखने को लेकर एक मौलाना ने विवादित टिप्पणी की है. जिस पर शमी के भाई का जवाब भी सामने आया है.

बरेली के मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी के मुताबिक, रोज़ा न रखकर शमी ने बड़ा गुनाह कर दिया. रिजवी ने शमी को मुजरिम करार दिया. उन्होंने कहा,
शरीयत की नज़र में मोहम्मद शमी मुज़रिम हैं क्योंकि इस्लाम में रोजे को फर्ज़ करार दिया गया है. रोजा न रखकर शमी ने बड़ा गुनाह कर दिया है.
वहीं, इस मामले पर शमी के भाई का भी रिएक्शन सामने आया है. उन्होंने रोजा नहीं रखने पर शमी का बचाव किया है. NDTV के मुताबिक शमी के भाई मोहम्मद जैद ने कहा,
भाई दुबई में खेल रहे हैं. दुबई का सफर बहुत लंबा है. इन मौलाना को भी पता होगा कि जब कोई 70 किलोमीटर के सफर से ज्यादा के सफर पर होता है तो वो रोजा छोड़ सकता है. उसके भी कुछ नियम होते हैं. जैसे कि वह इंसान रोजा बाद में रख सकता है.
शमी के भाई ने आगे कहा,
ये इतना बड़ा कोई मुद्दा नहीं है. ये लोग हर बात पर ऐसा निकाल देते हैं कि ये इस्लाम के खिलाफ है. पर सच में ऐसा कुछ है नहीं. इस्लाम में तो कई और चीजें भी हैं, लोग उसे भी नहीं मान रहे हैं. मौलाना साहब को उन चीजों पर भी गंभीरता से अपनी रखनी चाहिए और लोगों को जागरूक करना चाहिए.
दरअसल, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल मैच के दौरान शमी की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई. जिसमें वो जूस पीते नज़र आ रहे थे. इसी को लेकर बखेड़ा खड़ा हो गया.
वहीं, पूरे विवाद पर इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के अध्यक्ष फिरंगी महली ने शमी का सपोर्ट किया है. उन्होंने कहा कि इस तरह की बात करना गलत है. इस तरह के बयान से खिलाड़ी की मानसिक स्थिति कमजोर हो सकती है. मोहम्मद शमी देश का मान हैं और हम उम्मीद करते हैं कि वह अपने प्रदर्शन से टीम इंडिया को फाइनल में जीत दिलाएंगे. इस्लाम में ऐसा नहीं कहा गया है कि अगर आप नेशनल ड्यूटी पर हैं, तो भी रोजा रखना ही रखना है. इस्लाम में कहा गया है कि अगर आप सफर कर रहे हैं तो रोजा नहीं भी रख सकते हैं. और जब अपने देश या अपने घर वापस आ जाए तो जो रोज छूट गए हैं उन्हें दोबारा रखा जा सकता है.
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