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सॉरी बुमराह, Rohit-GG से तो तुम भी नहीं जीत पाओगे

जसप्रीत बुमराह एक बार फिर से नाकाम रहे. जी हां, उनकी तमाम कोशिशें भी भारत को मेलबर्न टेस्ट नहीं जिता पाईं. लेकिन ये तो शायद होना ही था. क्योंकि टीम के कप्तान और कोच जीतना चाहते ही नहीं.

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बुमराह के विकेट का जश्न मनाती ऑस्ट्रेलियन टीम (AP)

मेलबर्न टेस्ट खत्म हो चुका है. और साथ ही खत्म हो गई हैं WTC Final 2025 की उम्मीदें. कोच-कप्तान की जोड़ी की सीवी में एक और कीर्तिमान दर्ज़ हो चुका है. 23 जुलाई, 2024 को शुरू हुए GG-RO एरा में फ़ैन्स के रोने का सिलसिला जारी है. ये दोनों साथ मिलकर अभी तक बस बांग्लादेश को हरा पाए हैं. हाल ऐसा है, कि ये साथ आएं तो टॉस-वॉस से बहुत पहले रिज़ल्ट आता है. बोले तो सामने वाली टीम की जीत.

एक दौर था जब रिकी पॉन्टिंग की टीम ने ये मकाम हासिल किया था. सीरीज़ अनाउंस होते ही मान लिया जाता था कि जीतेंगे तो पॉन्टिंग ही. और अब सीरीज़ का शेड्यूल आते ही मान लीजिए कि हारेंगे तो जीजी-रो ही. ऐसा नहीं है कि जीजी ने कमान संभालने के बाद किसी बड़ी टीम को नहीं हराया. पर्थ 2024 ही याद कर लीजिए. जस्सी भाई की कप्तानी में हमने ऑस्ट्रेलिया को मात दी. लेकिन समस्या तब होती है, जब जीजी की कोचिंग को रोहित की कप्तानी का साथ मिलता है.

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वापस मेलबर्न पर लौटते हैं. भारतीय बल्लेबाजी एक बार फिर से नाकाम रही. पूंछ (Tail) के दम पर मुंह बचाने का सिलसिला पहली पारी में जारी रहा. लेकिन आखिर कब तक? पूंछ के भरोसे कुछ वक्त तक बचाव हो सकता है. हर बार नहीं. किसी भी टीम में सबके रोल फ़िक्स होते हैं. और इन रोल्स पर क्लैरिटी रखने वाली टीम तक़रीबन हर बार जीतती है. लेकिन टीम इंडिया में तो अलग गेम चलता है. यहां कभी कोई ओपन कर लेता, कभी कोई मिडल ऑर्डर में खेल लेता.

किसी बोलर से इतनी बोलिंग करा लेंगे कि वो हाथ जोड़ लेगा. तो किसी बोलर को T20 माफ़िक दो-चार ओवर डालने के लिए ही रखा है. मेलबर्न की चौथी पारी में तो किसी को शायद पता ही नहीं था कि प्लान क्या है. तभी तो कई दिग्गज मारने के चक्कर में आउट हुए. और इनमें से ज्यादातर का हाल तो ऐसा था कि उन्होंने बहुत सारी गेंदें ब्लॉक करने के बाद, पूरी तरह से सेट होकर बल्ला घुमा दिया. यानी पारी के ज्यादातर वक्त तक इनका प्लान ड्रॉ के लिए जाने का था. लेकिन एकाएक ये जीतने के लिए गए और भारत हार गया.

कप्तान के रूप में रोहित शर्मा की नाकामी फिर सामने आई. ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी के दौरान की फ़ील्ड प्लेसमेंट्स देखिए. 100 रन के अंदर भारत ने छह विकेट ले लिए था. लगा कि हम इन्हें सस्ते में समेट मैच अपने नाम कर लेंगे. लेकिन कुछ फ़ील्ड प्लेसमेंट्स और कुछ बोलर्स की नाकामी ने ऑस्ट्रेलिया को 234 तक पहुंचा दिया. और मैच एक बार फिर, ऑस्ट्रेलिया की ओर झुक गया. जीत के लिए भारत को 340 रन का टार्गेट मिला. और टीम इंडिया अपनी कन्फ़्यूज़न का शिकार बन मैच गंवा गई.

भारतीय टीम ने एक सेशन में सात विकेट गंवाए. और इस दौरान कन्फ़्यूज़न एकदम क्लियर दिखी. जहां मैच बचाना था, वहां भारतीय बल्लेबाज छक्का मारने के चक्कर में आउट हुए. इसकी शुरुआत तो ख़ैर रोहित के विकेट से ही हो गई थी. क्रीज़ पर बढ़िया वक्त बिताने के बाद, वह एक गेंद को आसमान में पहुंचाने के चक्कर में कैच हुए. ऐसा ही कुछ ऋषभ पंत के मामले में भी हुआ. टीम के दो बड़े बल्लेबाज छक्का मारने के चक्कर में आउट हुए.

और इसके साथ ही जसप्रीत बुमराह की कमरतोड़ मेहनत पर भी पानी फिर गया. जिस तरह से बुमराह ने इस पूरी सीरीज़ में प्रदर्शन किया है, उसे देखते हुए स्पष्ट है कि मौजूदा वक्त में कोई भी भारतीय क्रिकेटर उनके क़रीब नहीं है. प्रदर्शन के मामले में बुमराह का वही हाल है, जो कभी सचिन तेंडुलकर और फिर विराट कोहली का होता था.

 एक बंदा अकेले लड़ रहा है और बाक़ी के साथी उसे ही पीछे खींच रहे हैं. खींचने वालों की लिस्ट में अगर टीम का सपोर्ट स्टाफ़ भी जोड़ लें, तो ये संख्या दर्ज़न पार निकल जाती है. इतने लोगों के साथ विपक्षी खेमा जोड़ने के बाद पता चलता है कि बुमराह के एफ़र्ट्स की क्या वैल्यू है. लेकिन अफ़सोस, अकेले ये वैल्यू हमें सीरीज़ नहीं जिता पाएगी.

वीडियो: प्रेस कॉन्फ्रेंस में जसप्रीम बुमराह साथी खिलाड़ियों पर क्या बोले, किसे बचाया?