गुवाहाटी के स्टेडियम में मंगलवार 30 सितंबर को भारतीय महिला टीम ICC Women’s World Cup में श्रीलंका के खिलाफ अपना और टूर्नामेंट का पहला मैच खेल रही थी. लेकिन अचानक भारतीय पारी लड़खड़ा गई. टॉप बैटिंग ऑर्डर धराशायी हो गया. अपनी टीम को संघर्ष करते देख डगआउट और फैन्स के माथे पर शिकन साफ नजर आने लगी. क्रीज पर डटीं दीप्ति शर्मा अकेले ही टीम को संभालने की कोशिश कर रही थीं. इसके बाद उन्हें साथ मिला एक और शानदार ऑलराउंडर Amanjot Kaur का. यहां से एक बार फिर भारतीय खेमा मैच में खड़ा होता दिखा. इस पारी ने क्रिकेट प्रेमियों का ध्यान उन पर खींचा. लेकिन यह उनकी एकमात्र शानदार पारी नहीं थी. उन्होंने अपने करियर में इससे पहले भी कमाल किया है. चलिए जानते हैं अमनजोत कौर और उनके करियर के बारे में.
अमनजोत कौर की कहानी, जिसने टीम इंडिया की लड़खड़ाती पारी में जान फूंक दी, उधार के बल्ले से हुई थी शुरुआत
Who Is Amanjot Kaur: 25 साल की अमनजोत शुरुआत में क्रिकेट नहीं खेला करती थीं. बाद में जाकर उन्होंने क्रिकेट खेलना शुरू किया. शुरुआत बतौर गेंदबाज की लेकिन कोच ने उन्हें बैटर बना दिया. उनके करियर में पिता का बेहद खास योगदान रहा. क्या है उनकी कहानी जान लीजिए


मंगलवार को श्रीलंका के खिलाफ वर्ल्ड कप के पहले मैच में 28वें ओवर में भारतीय टीम 124 रनों पर छठा विकेट गिर जाता है. एक छोर पर डटीं दीप्ति शर्मा कुछ निराश होती हैं. लेकिन फिर उन्हें साथ मिलता है अमनजोत कौर का. दोनों के बीच 100 से ज्यादा रनों की साझेदारी होती है. टीम का स्कोर भी 250 के पार पहुंच जाता है. अमनजोत ने एक नपी-तुली और संभली हुई पारी खेलती दिखती हैं.

अमनजोत ने 56 गेंदों में 57 रन बनाए. इसमें 5 चौके और एक छक्का शामिल था. उनकी यह इनिंग बेहद खास थी क्योंकि अमूमन टीम के खिलाड़ी और फैन्स 6 विकेट गिर जाने के बाद लगभग उम्मीद छोड़ देते हैं. लेकिन ऐसे नाजुक मोड़ पर अमनजोत ने 7वीं विकेट के लिए दीप्ति के साथ मिलकर 99 गेंदों में 103 रन जोड़े और भारतीय बल्लेबाजी में जान फूंक दी.
एक छोटी-सी लड़की कभी एक लोकल पार्क में तो कभी मोहाली (पंजाब) के फेज-5 की गर्म सीमेंटेड सड़कों पर बल्ला थामे खड़ी होती थी. बल्ला भी उधार का था. लेकिन खुद पर भरोसा था. उस दिन से ही एक सपना पलने लगा था. लड़की का नाम था- अमनजोत कौर. 25 साल की अमनजोत का जन्म साल 2000 में चंडीगढ़ शहर में हुआ था.
कैसे हुई क्रिकेट की शुरुआतअमनजोत ने क्रिकेट खेलने से पहले हॉकी, फुटबॉल और हैंडबॉल खेला करती थीं. 15 साल की उम्र में वह क्रिकेट से जुड़ाव हुआ और कोच नागेश गुप्ता की अकादमी में शामिल हो गईं. नागेश को अमनजोत में काफी संभावनाएं दिखीं. यहीं से एक इंटरनेशनल क्रिकेटर बनने की उनकी पहली शुरुआत हुई. उन्होंने बतौर गेंदबाज अपने करियर की शुरुआत की थी.

लेकिन एक दिन कोच नागेश अकैडमी में बच्चों को कैचिंग प्रैक्टिस करवा रहे थे. इसी दौरान उनका ध्यान गया अमनजोत के बैट स्विंग पर. बैट स्विंग माने बैट को प्रभावी ढंग से घुमाना ताकि बॉल को जोर से और ठीक दिशा में मारा जा सके. इसके बाद कोच ने उन्हें एक ऑलराउंडर के तौर पर तैयार करना शुरू किया. यहां से ग्राउंड पर उनका संघर्ष शुरू हुआ.
संघर्ष ग्राउंड का हो या आर्थिक तंगी का पेशे से कारपेंटर पिता भूपिंदर ने हर मौके पर बेटी का साथ थामे रखा. भूपिंदर हर सुबह अमनजोत को प्रैक्टिस के लिए छोड़ने जाते. जितनी देर उनकी प्रैक्टिस चलती तब तक पिता गुरुद्वारे में जमीन पर लेटकर अमन के लौटने का इंतजार करते. ग्राउंड से लौटकर दिनभर लकड़ी का काम करते ताकि उनकी बेटी बल्ले से अपना भविष्य तराश सके.

इस बीच पैसों की भी तंगी रही. तमाम उतरा-चढ़ाव देखे. लेकिन इसका लेश मात्र भी असर बेटी और पिता के हौसले पर नहीं पड़ा. इस बीच जब पढ़ाई और क्रिकेट साथ टकराव होता तो फैसला हमेशा से ही साफ रहा. वो ये कि पास होने लायक पेपर देने हैं और अगले मैच के लिए किट बैग तैयार करना है. धीरे-धीरे त्याग और मेहनत रंग लाने लगी. उन्होंने 2017-18 में पंजाब के लिए डोमेस्टिक क्रिकेट में डेब्यू किया.
सफल डोमेस्टिक करियर2019-20 में अमनजोत के बल्ले ने कमाल करना शुरू कर दिया था. चंडीगढ़ टीम में शामिल हुईं. उन्होंने सीनियर विमेंस वन डे ट्रॉफी में 370 रन जड़े. फिर U-23 टूर्नामेंट में 450 से ज्यादा रन मारे. वह यहीं नहीं रुकीं U-23 T20 में 184 रन तो मारे ही और 10 विकेट भी झटके. लेकिन 2022-23 में उन्होंने वह पंजाब की टीम में लौट आईं.
इंटरनेशनल क्रिकेट में ऐसे चुनी गईं अमनजोतजनवरी 2023 में उनका सपना हकीकत बना. तब ऑलराउंडर पूजा वस्त्राकर लगातार चोटों से जूझ रही थीं. इसका फायदा अमनजोत को मिला. उन्हें दक्षिण अफ्रीका में होने वाली ट्राई सीरीज के लिए पहली बार इंटरनेशनल टीम में चुना गया.
दिलचस्प बात यह है कि वर्ल्ड कप के पहले मैच की तरह ही तब भी टीम इंडिया बीच मझधार में फंसी हुई थी. स्कोर था 69/5. इस बार भी अमनजोत बैटिंग करने उतरीं और नॉटआउट 41 रन बनाए. न सिर्फ टीम को संभाला बल्कि ‘प्लेयर ऑफ द मैच’ भी बनीं. इतना ही नहीं वनडे इंटरनेशनल के डेब्यू मैच में भी उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया और 4 विकेट झटके.

लेकिन उनका यह सफर आसान नहीं था. आर्थिक तंगी के अलावा कुछ और रुकावटें भी आईं. 2024 में पीठ की चोट और लिगामेंट इंजरी ने उन्हें 8 महीने तक मैदान से दूर कर दिया. मगर ‘हार’ शब्द उनके शब्दकोश में मानो था ही नहीं. अमनजोत ने इस रुकावट को अपनी कहानी और करियर का अंत नहीं बनने दिया. नए सिरे से दोबारा मेहनत की और मजबूती के साथ वापसी की.
WPL में अमनजोत का सफरअमनजोत की क्रिकेट में बढ़ती हुई ख्याति ने मुंबई इंडियंस को आकर्षित किया. 2023 में हुई पहले महिला प्रीमियर लीग (WPL) की नीलामी में मुंबई इंडियंस ने उन्हें 50 लाख रुपये में खरीदा. WPL के पहले दो सीजन में तो वह ज्यादा ध्यान नहीं खींच सकीं. लेकिन WPL 2025 में उन्होंने मुंबई इंडियंस खिताब जिताने में अहम भूमिका निभाई. साथ ही “इमर्जिंग प्लेयर ऑफ द सीजन” भी बनीं.

न सिर्फ WPL बल्कि इंटरनेशनल क्रिकेट में भी वापसी शानदार की. पिछले साल इंग्लैंड के खिलाफ ब्रिस्टल में उन्होंने 63 रन बनाकर भारत को जीत दिलाई. कभी उधार के बल्ले से शुरुआत करने वाली ये लड़की, आज भारत की उम्मीद बन गई है.
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