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बेटे की चाहत थी, पैदा हुई बेटी, छत से फेंककर मार डाला, बोली- 'पति को बताने से डरती थी'

शुरू में झरना ने पुलिस को बताया कि वो और उसकी बहन इतने गरीब थे कि अस्पताल नहीं जा सकते थे, इसलिए घर पर ही डिलीवरी करवाई. उसने कहा कि बच्चा जन्म लेते ही सांस नहीं ले रहा था और उन्हें लगा कि बच्चा मरा हुआ है, इसलिए उन्होंने शव को ठिकाने लगाने की कोशिश की. लेकिन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने उसका झूठ खोल दिया.

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पड़ोसी ने नवजात शिशु का शव देखा और तुरंत पुलिस को सूचना दी. (फोटो- PTI)

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में 22 वर्षीय एक महिला ने कथित तौर पर अपनी नवजात बेटी की हत्या कर दी. आरोपी महिला का नाम झरना है. वो बंगाल की रहने वाली है. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है. उसने बताया कि झरना को बेटे की सख्त चाहत थी. उसकी बातों से लगता है कि बेटे को जन्म देने के लिए उस पर पारिवारिक दबाव हो सकता है. इसके लिए उसका गैरकानूनी भ्रूण लिंग परीक्षण भी करवाया गया था. लेकिन जब बेटी पैदा हुई, तो पति को बताने के डर से उसने शिशु को छत से फेंक दिया.

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इंडियन एक्सप्रेस से जुड़े समन हुसैन की रिपोर्ट के मुताबिक झरना ने 5 दिसंबर की सुबह 6 बजे बच्ची को जन्म दिया. उसके थोड़ी देर बाद ही वो छत पर गई, और बच्ची को वहां से नीचे फेंक दिया. पुलिस के अनुसार झरना बच्ची को बगल के खाली प्लॉट में फेंकना चाहती थी, लेकिन बच्ची पड़ोसी की छत पर जाकर गिरी.

5 दिसंबर की सुबह नेहरू नगर निवासी विनय रावत ने अपनी छत पर एक नवजात शिशु का शव देखा और तुरंत पुलिस को सूचना दी. एसीपी (नंदग्राम) उपासना पांडेय ने बताया,

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“शिशु कुछ घंटे पहले ही पैदा हुआ लग रहा था. हमने तुरंत इलाके की घेराबंदी की, और स्पॉट की वीडियोग्राफी व फॉरेंसिक जांच कराई.”

पुलिस ने जब पूछताछ शुरू की तो एक पड़ोसी ने बताया कि बगल के मकान में किराए पर रहने वाला शंकर सेन का है. शंकर पश्चिम बंगाल के पश्चिम मेदिनीपुर का रहने वाला है. उसकी साली झरना करीब एक महीना पहले आई थी और वो प्रेग्नेंट थी. पुलिस जब घर पहुंची तो वहां झरना अपनी बहन सविता के साथ मौजूद थी.

पुलिस से बनाए बहाने

शुरू में झरना ने पुलिस को बताया कि वो और उसकी बहन इतने गरीब थे कि अस्पताल नहीं जा सकते थे, इसलिए घर पर ही डिलीवरी करवाई. उसने कहा कि बच्चा जन्म लेते ही सांस नहीं ले रहा था और उन्हें लगा कि बच्चा मरा हुआ है, इसलिए उन्होंने शव को ठिकाने लगाने की कोशिश की. लेकिन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने उसका झूठ खोल दिया.

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अधिकारियों के मुताबिक, अटॉप्सी करने वाले डॉक्टर ने कहा कि नवजात बच्ची जिंदा थी. उसे कई चोटें लगी थीं. खोपड़ी टूट गई थी. हाथ और पैर की हड्डियां फ्रैक्चर हो गई थींं. ये सभी चोटें जन्म के एक घंटे के अंदर लगी थीं. इस रिपोर्ट के सामने आने पर पुलिस ने जब झरना से सख्ती से पूछताछ की तो उसने कबूल कर लिया कि उसने जिंदा नवजात बेटी को छत से फेंक दिया था.

डेढ़ साल पहले शादी, बेटे की चाह

पुलिस ने बताया कि दरभंगा (बिहार) के बादल से डेढ़ साल पहले शादी करने वाली झरना को हर हाल में बेटा चाहिए था. पुलिस अधिकारी ने कहा,

“उसने कबूल किया कि करीब 5 महीने पहले उसने दरभंगा के एक प्राइवेट नर्सिंग होम में गैरकानूनी तरीके से भ्रूण लिंग जांच कराई थी. रिपोर्ट में पता चला कि गर्भ में बेटी है.”

इसके बाद झरना अकेले अस्पताल गई और गर्भपात कराने की कोशिश की, लेकिन डॉक्टरों ने मेडिकल जटिलताओं का हवाला देकर इनकार कर दिया. फिर उसने अपनी ससुराल की महिलाओं से सलाह ली और उन्होंने जो दवाइयां बताईं, वो खा लीं. झरना की सेहत बिगड़ने लगी तो उसने पति से कहा कि कुछ दिन अपनी बहन के पास गाजियाबाद रहना चाहती है. पति मान गया.

वो 14 नवंबर को गाजियाबाद के नेहरू नगर में अपनी बहन के घर पहुंची. 5 दिसंबर की सुबह करीब 6 बजे प्रसव पीड़ा हुई. उसकी बहन बार-बार अस्पताल ले जाने की जिद कर रही थी, लेकिन झरना ने साफ इनकार कर दिया और घर पर ही बच्ची को जन्म दे दिया. जैसे ही उसे पता चला कि बेटी हुई है, वो घबरा गई. डर था कि पति को कैसे बताएगी. वो नवजात बच्ची को लेकर छत पर गई और पीछे का खाली प्लॉट देखकर बच्ची को वहां फेंक दिया.

पुलिस ने झरना पर BNS की धारा 91 (नवजात की हत्या) के तहत केस दर्ज कर लिया है. उसने बताया कि मां की पुष्टि के लिए DNA टेस्ट होगा और दरभंगा में उसके पति से संपर्क करने की कोशिश की जा रही है. केस अभी जांच के शुरुआती दौर में है. मामले में आगे की जांच जारी है.

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