दिग्गज भारतीय विकेटकीपर फारुख इंजीनियर (Farokh Engineer) को इंग्लैंड में बड़ा सम्मान मिला है. फारुख इंजीनियर के नाम ओल्ड ट्रैफर्ड (Old Trafford) में स्टैंड का अनावरण किया गया है. यह सम्मान उन्हें उनकी पूर्व काउंटी टीम लंकाशर की तरफ से दिया गया है. फारुख के साथ-साथ वेस्टइंडीज के महान कप्तान क्लाइव लॉयड (Clive Lloyd) के नाम भी स्टैंड का अनावरण हुआ है. फारुख इंजीनियर इंग्लैंड की सरजमीं पर यह सम्मान पाने वाले पहले इंडियन क्रिकेटर बन गए हैं.
फारुख इंजीनियर को विदेश में जो सम्मान मिला, वो अब तक सिर्फ सचिन को ही मिल पाया था
Farokh Engineer को इंग्लैंड में बड़ा सम्मान मिला है. यह सम्मान उन्हें उनकी पूर्व काउंटी टीम लंकाशर की तरफ से दिया गया है.

साथ ही फारुख इंजीनियर सिर्फ दूसरे ऐसे भारतीय क्रिकेटर बने हैं, जिनके नाम भारत से बाहर किसी स्टेडियम में स्टैंड बना है. इससे पहले यह उपलब्धि सचिन तेंदुलकर को मिली थी. उनके नाम शारजाह में स्टैंड का अनावरण किया गया था. फारुख इंजीनियर और क्लाइव लॉयड ने पहले दिन के खेल की शुरुआत से पहले ट्रेडिशनल बेल भी बजाई.
इस खास मौके पर 87 साल के इंजीनियर के साथ उनके परिवार के सदस्य, पुराने दोस्त और पूर्व भारतीय कप्तान दिलीप वेंगसरकर भी मौजूद थे. इंजीनियर ने स्पोर्टस्टार से बात करते हुए कहा,
फारुख इंजीनियर का बेहतरीन करियरओल्ड ट्रैफर्ड में मेरी कई बेहतरीन यादें जुड़ी हैं और यहां मेरे नाम का स्टैंड होना बहुत बड़ा सम्मान है. इस उम्र में क्लब द्वारा सम्मानित किया जाना वाकई बहुत अच्छा लग रहा है.
फारुख इंजीनियर देश के सबसे बेहतरीन विकेटकीपर में से एक माने जाते हैं. उन्होंने इंडिया के लिए 46 टेस्ट मैच खेले, जिनमें 31.08 की औसत से कुल 2,611 रन बनाए. इस दौरान उनके नाम 66 कैच और 16 स्टंपिंग दर्ज हैं. फारुख इंजीनियर को वेस्टइंडीज के खिलाफ मद्रास में खेली गई उस इनिंग के लिए आज भी याद किया जाता है जब उन्होंने ओपनिंग करते हुए शानदार सेंचुरी लगाई थी. यह पारी इसलिए भी खास मानी जाती है क्योंकि उस वक्त वेस्टइंडीज की ओर से वेस हॉल और चार्ली ग्रिफिथ जैसे खतरनाक तेज गेंदबाज खेल रहे थे. फारुख इंजीनियर ने अपना आखिरी मैच भी वेस्टइंडीज के खिलाफ ही 1975 में खेला था. लेकिन उस मैच की दोनों पारियों में वो खाता भी नहीं खोल पाए.
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लंकाशर के लीजेंडफारुख इंजीनियर को काउंटी क्रिकेट क्लब का लीजेंड माना जाता है. उन्होंने 1968 से 1976 के बीच लंकाशायर के लिए 175 मैच खेले, जिसमें उन्होंने 5,942 रन बनाए. इसके साथ ही उनके नाम 429 कैच और 35 स्टंपिंग भी हैं. उनकी मौजूदगी में लंकाशर ने 1970 से 1975 के बीच गिलेट कप चार बार अपने नाम किया. यह जीत इसलिए भी स्पेशल थी क्योंकि लंकाशर ने इससे पहले पिछले 15 सालों तक गिलेट कप नहीं जीता था.
पिछले साल फारुख इंजीनियर को BCCI की ओर से लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से नवाजा गया था. यह सम्मान उन्हें क्रिकेट में उनके लंबे योगदान और बेहतरीन करियर के लिए दिया गया था. रिटायरमेंट के बाद फारुख इंजीनियर इंग्लैंड में ही जाकर बस गए थे. जब भी टीम इंडिया इंग्लैंड दौरे पर जाती है, तब फारुख इंजीनियर अक्सर ही स्टेडियम में नजर आते हैं.
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