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हार के बाद टीम इंडिया इंग्लैंड की तरह छुट्टी मनाती तो क्या होता !

हम लोग टूट पड़ते

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इंग्लैंड टीम भारत से दो टेस्ट हारने के बाद दुबई गई है छुट्टी मनाने. टीम को 5 दिन बाहर बिताने की इजाजत दे दी गई है और ज्यादातर खिलाड़ी अपने परिवारों के साथ चल दिए हैं दुबई. कप्तान कुक का कहना है, "ब्रेक सही समय पर आया है. एक के बाद एक 3 टेस्ट मैच खेल चुके थे. छुट्टी पर जाने से क्रिकेट से ब्रेक मिलेगा और आने पर ताज़ादम महसूस करेंगे"


सौजन्य: ट्विटर जो रूट, पुरानी फोटो
सौजन्य: ट्विटर जो रूट, पुरानी फोटो

अब एक ऐसी स्थिति की कल्पना कीजिए, भारत इंग्लैंड दौरे पर लगातार दो टेस्ट हार जाए और अगला टेस्ट शुरू होने में एक हफ्ते का समय हो. उस एक हफ्ते में टीम इंडिया छुट्टी मनाने पेरिस चली जाए तो हमारे यहां के ज्यादातर अखबारों-टीवी चैनलों पर क्या खबरें होंगी ?




हार के बाद टीम इंडिया उड़ा रही है गुलछर्रे
अपनी गर्लफ्रेंड के साथ दिखे फलां जी
ये रही टीम इंडिया की हार की वजह 


2015 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में भारत की टीम ऑस्ट्रेलिया से हारकर बाहर हो गई थी. सेमीफाइनल दौर से पहले तक भारतीय खिलाड़ियों को अपनी पत्नी और महिला दोस्तों को साथ रखने की इजाजत नहीं थी. सेमीफाइनल हार के बाद कुछ क्रिकेट विशेषज्ञों ने बाकायदा इसे हार का कारण बताया था.


तो इस वजह से हारी टीम इंडिया... साथ में क्रिकेटरों के अपनी पत्नियों और महिला मित्रों के साथ जहां से मिले वहां के फोटो

मानो ऑस्ट्रेलिया वालों ने खेलकर नहीं हराया बल्कि अपनी विरोधी टीम को हराने के लिए प्रेमजाल बुनकर पाश में बाध लिया. विराट कोहली इस मामले में ज़्यादा चुप रहने में यकीन नहीं करते. एक बार अंग्रेज़ी अखबार में अनुष्का शर्मा और अपने बारे में अगड़म-बगड़म छपा देखकर विराट आपे से बाहर हो गए थे. पर गलती से एक और पत्रकार पर अपना गुस्सा उतार दिया.

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वही एशियाई खिलाड़ियों के पीछे पड़ने वाले इंग्लिश अखबार भी इस छुट्टी को सही मान रहे हैं. इस सकारात्मक कवरेज़ का असर प्रदर्शन पर पड़ता है. खेलों में इंग्लिश टीमों का प्रदर्शन भी देख लीजिए. फुटबॉल, रग्बी, क्रिकेट तीन खेलों में तो वो बाकियों से बहुत आगे हैं, ओलंपिक खेलों में इस बार नंबर 2 रहे हैं. मीडिया के साथ देने से कोई देश स्पोर्टिंग सुपर पावर भी बन सकता है इसका सबसे अच्छा उदाहरण ऑस्ट्रेलिया है जहां का मीडिया अपने खिलाड़ियों के लिए सपोर्ट स्टाफ की तरह काम करता है.

हमारे यहां खिलाड़ियों को या तो पूरा समर्थन मिला मानो वो भगवान हों या फिर हार जाने पर हिला के रख दिया जाएगा, उनका निजी जीवन भी नहीं छोड़ा जाएगा. दो एकदम विपरित ध्रुवों पर बात होगी. या तो अहो ! अहो ! या फिर हाय ! हाय !

भारत के दोनों कप्तान अपने-अपने ढंग से खबरें न पढ़ने की बात कहते हैं. विराट कोहली कहते हैं मैं अखबार नहीं पढ़ता, धोनी ने एक बार कहा था मैं टीवी नहीं देखता. वैसे वो देखते-पढ़ते तो ज़रूर होंगे लेकिन उनके कहने में ये बात छुपी रहती है कि भैय्या, देखने-पढ़ने को कुछ हो तो बात हो. या तो ज़रूरत से ज़्यादा तारीफ होती है या बेवजह की आलोचना. और फिर निजी जीवन भी नहीं बख्शा जाता.  विराट कोहली ने ऑस्ट्रेलिया दौरे पर एक इंटरव्यू में कहा था यहां एक चीज़ अच्छी लगती है, आपकी निजी ज़िंदगी में कोई ताकझाक नहीं करता. मशीन की तरह क्रिकेट खेलना तो कोई मसला ही नहीं है.

कपिल देव अपने करियर में कभी भी रन आउट नहीं हुए. तेज़ गेंदबाज़ होने के बावजूद एक भी मैच चोट की वजह से मिस नहीं किया. उसका एक कारण था उन दिनों 8 महीने की क्रिकेट होती थी और 4 महीने का रिकवरी टाइम मिल जाता था. अब चोट ज्यादा लग रही हैं, खेल से ज्यादा खिलाड़ी बाहर हो रहे हैं.

टीम इंडिया न्यूज़ीलैंड से खेली, अब इंग्लैंड है फिर ऑस्ट्रेलिया फिर आईपीएल फिर चैंपियस ट्रॉफी और फिर आने-जाने का अगला 4 साल का चक्र शुरू...लगातार क्रिकेट. भारत की टीम दुनिया में सबसे ज्यादा क्रिकेट खेलती है. हाल ही में 900 वनडे खेलने का आंकड़ा सबसे पहले छुआ है और बहुत ज़ल्द 1000 का भी आंकड़ा आने वाला है. ब्रेक जैसी कोई चीज़ नहीं होती, होती हैं सिर्फ चोट. और घर-परिवार को साथ रखें तो हारने पर हाय-हाय शुरू हो जाती है.