'माननीय लोकपाल के आदेश के सम्मान में, मैंने तुरंत प्रभाव से DDCA प्रेसिडेंट के दफ्तर का चार्ज संभाल लिया है. मैं आप सभी से अपील करता हूं कि DDCA को ईमानदारी और पारदर्शी रूप से चलाने में मेरा सहयोग करें. वर्तमान घटनाक्रम को देखते हुए एपेक्स काउंसिल की कोई भी बैठक मेरी अनुमति के बिना आयोजित नहीं की जा सकती. इसके बाद मैं आप सभी से अनुरोध करता हूं कि एपेक्स काउंसिल की कोई भी मीटिंग आयोजित ना करें, और ना ही ऐसी किसी मीटिंग में भाग लें जिसे मैंने आयोजित ना किया हो या फिर जिसके लिए मेरी अनुमति ना ली गई हो.'शर्मा के इस बयान के पीछे DDCA की अंदरूनी राजनीति जिम्मेदार है. दरअसल DDCA के दूसरे गुट ने मंगलवार, 19 नवंबर की शाम को एपेक्स काउंसिल की एक मीटिंग बुलाई है.
'हम कंपनीज एक्ट, जिसके अंतर्गत DDCA रजिस्टर है, के तहत मीटिंग के लिए आगे बढ़ रहे हैं. इस्तीफा वापस नहीं लिया जा सकता और लोकपाल के आदेश बाध्यकारी नहीं हैं. हमने आठ डायरेक्टर्स के साइन वाला एक लेटर रजत शर्मा को भेजा है जिसमें विस्तार से बताया गया है कि वह क्यों अपना इस्तीफा वापस नहीं ले सकते.'इससे पहले रजत शर्मा ने इस्तीफा देते वक्त BCCI और सुप्रीम कोर्ट से DDCA पर ध्यान देने की अपील की थी. शर्मा ने कहा था,
'इस इस्तीफे को खतरे की घंटी की तरह देखा जाना चाहिए. उम्मीद है कि इससे सुप्रीम कोर्ट, क्रिकेटर्स और BCCI सहित सभी हितधारकों को पता चलेगा कि इस तरह के निहित स्वार्थ से जुड़े लोग DDCA में है. मैं देखना चाहता हूं कि अब BCCI और सुप्रीम कोर्ट इन लोगों को नियंत्रित करने के लिए क्या कदम उठाते हैं.'DDCA के पूर्व प्रेसिडेंट अरुण जेटली के परम मित्र रजत शर्मा ने साल 2018 की जुलाई में DDCA प्रेसिडेंट की पोस्ट संभाली थी. उन्होंने पूर्व क्रिकेटर मदन लाल को इलेक्शन में हराया था. मीनव्हाइल रजत शर्मा आजकल ये गाना सुन रहे होंगे: चैन से हमको कभी आपने जीने न दिया ज़हर भी चाहा अगर पीना तो पीने न दिया
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