The Lallantop

कभी जूतों के लिए तरसने वाला सैनिक कैसे बना टोक्यो में बॉक्सिंग गोल्ड की उम्मीद?

कहानी वर्ल्ड नंबर वन बॉक्सर अमित पंघाल की.

Advertisement
post-main-image
Tokyo 2020 Olympics Gold के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं Amit Panghal (पीटीआई फोटो)

'मेरा जन्म भले ही लिवरपूल में हुआ हो- लेकिन मैं हैम्बर्ग में पला-बढ़ा हूं.'

Advertisement
मशहूर बैंड बीटल्स के जॉन लेनन ने सालों पहले ये बात कही थी. अब आप सोच रहे होंगे कि स्पोर्ट्स के बीच ये जॉन लेनन कहां से आ गए. दरअसल, ये है हमारा टोक्यो स्पेशल ' उम्मीद'. इसमें आज हम सुनाएंगे बॉक्सर अमित पंघाल की कहानी. और अमित के 'उम्मीद' बनने  की कहानी की शुरुआत जर्मनी के हैम्बर्ग शहर से ही हुई थी. साल 2017. अगस्त का महीना. भारतीय बॉक्सर्स वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए जर्मनी पहुंचे. इस टीम में 22 साल का एक नया-नया नेशनल चैंपियन भी था. हरियाणा के रोहतक से आया ये लड़का अपने डेब्यू पर ही नेशनल चैंपियन बना और फिर एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप का ब्रॉन्ज़ मेडल ले आया. लेकिन कम अनुभव के चलते वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में कोई उसका लोड नहीं ले रहा था. # क्या हुआ था हैम्बर्ग में? किसान परिवार से आए अमित पंघाल वर्ल्ड चैंपियनशिप से पहले एक रोज हैम्बर्ग शहर घूमने निकले. टीम के अपने साथियों के संग. घूमते-घूमते वो एक स्पोर्ट्स शॉप पर पहुंचे. उन्हें एक जूता पसंद आया. लेकिन जेब में पैसे ही नहीं थे. ऐसे में उन्होंने अपने साथी बॉक्सर से कहा,
'यार पैसे दे दे, बाद में लौटा दूंगा'
उधार के पैसों से अपने पसंदीदा जूते खरीदकर पंघाल बहुत खुश हुए. हालांकि, उनकी ये खुशी बहुत देर तक नहीं चली. पंघाल इस वर्ल्ड चैंपियनशिप के क्वॉर्टर-फाइनल में ओलंपिक चैंपियन बॉक्सर से हार गए. उज़्बेकिस्तान के रहने वाले हसनबॉय दुस्मातोव के हाथों यह अमित की लगातार दूसरी हार थी. और इस हार के बाद पंघाल ने टीम इंडिया के हाई परफॉर्मेंस डायरेक्टर सैंटियागो नीवा से वादा किया,
'अगली बार ये जहां भी मिलेगा, मैं इसे वहीं हराऊंगा'
फिर आया साल 2018 के एशियन गेम्स का फाइनल. पंघाल ने अपना वादा पूरा किया. दुस्मातोव को हराकर गोल्ड मेडल घर ले आए. अगले साल पंघाल ने दुस्मातोव को फिर पीटा. एशियन चैंपियनशिप के क्वॉर्टर-फाइनल में आई इस जीत के बाद पंघाल ने ऐलान कर दिया,
'ओलंपिक चैंपियन दुस्मातोव मुझसे डरता है.'
साल 2019 के अप्रैल महीने में हुई एशियन चैंपियनशिप के दौरान पंघाल अपने चरम पर थे. इस इवेंट में उन्होंने लगातार मुकाबलों में दुस्मातोव, ओलंपिक ब्रॉन्ज मेडलिस्ट हु जियनघुआन (चाइना) और फिर वर्ल्ड चैंपियनशिप ब्रॉन्ज मेडलिस्ट किम हिंक्यू (कोरिया) को पीटकर गोल्ड मेडल जीता. # खास क्यों हैं Amit Panghal? पंघाल ने 2019 की वर्ल्ड चैंपियनशिप का फाइनल भी खेला था. यहां उनको उज़्बेकिस्तान के शाखोबिदिन ज़ोरोव से मात मिली. इस तरह पंघाल वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष बॉक्सर भी बन गए. अपने छोटे से करियर में पंघाल एशियन गेम्स और एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीत चुके हैं. साथ ही उन्होंने वर्ल्ड चैंपियनशिप और कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल भी जीता है. पंघाल के नाम एशियन चैंपियनशिप के सिल्वर और ब्रॉन्ज़ मेडल भी हैं. ओलंपिक जा रहे भारतीय बॉक्सर्स में से पंघाल का हालिया रिकॉर्ड सबसे बेहतर है. उन्होंने साल 2019 से अब तक कई इंटरनेशनल इवेंट्स में मेडल्स जीते हैं. पंघाल ने दिसंबर 2020 में बॉक्सिंग वर्ल्ड कप का गोल्ड मेडल भी जीता था. भारतीय सेना में नायब सूबेदार की पोस्ट पर तैनात पंघाल की एक और खासियत है- मौके के हिसाब से खुद को बदलना. किसी भी फाइट में पंघाल मौके को देखते हुए अपनी रणनीति बदलने का दिमाग रखते हैं. सिर्फ 5 फुट 2 इंच लंबे पंघाल की रिंग में रेंज भले कम हो लेकिन वो इसकी भरपाई अपनी चालाकी से कर लेते हैं. और इस चालाकी से मिलने वाले फायदे के बारे में द्रोणाचार्य अवॉर्डी कोच सीए कटप्पा ने मिरर से कहा था,
'जब आप एक फाइट में होते हैं, एक कोच आपको सच में नहीं बता सकता कि क्या करना है. यह ऐसी चीज है जो बॉक्सर में शुरू से होनी ही चाहिए.'
लेकिन इतनी खूबियों वाले पंघाल गोल्ड के अलावा किसी और मेडल से खुश नहीं होते. और अगर उन्हें टोक्यो 2020 ओलंपिक्स में खुश होना है, तो अपनी सबसे बड़ी चुनौती से पार पाना होगा. और इस चुनौती का नाम है शाखोबिदिन ज़ोरोव. कहते हैं कि इस बार पंघाल और ओलंपिक्स गोल्ड के बीच सिर्फ ज़ोरोव ही खड़े हैं. वर्ल्ड नंबर वन बॉक्सर पंघाल लगातार तीन बार ज़ोरोव से हार चुके हैं. हालांकि पहले और अब की हार में काफी अंतर है. पहली दोनों बार जहां पंघाल को 5-0 से हार मिली थी, वहीं तीसरी बार उन्होंने मुकाबला 2-3 से गंवाया. और इस हार पर काफी विवाद भी हुआ. पंघाल लंबे वक्त तक इस फैसले से नाराज़ थे. भारतीय दल ने इसके खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई थी. हालांकि उनकी शिकायत मानी नहीं गई और ज़ोरोव का एशियन चैंपियनशिप गोल्ड मेडल कायम रहा. # इनसे उम्मीद क्यों? पंघाल से उम्मीद करने की सबसे बड़ी वजह बॉक्सिंग की रैंकिंग है. पंघाल 52Kg कैटेगरी में दुनिया के नंबर एक बॉक्सर हैं. साथ ही उन्हें Tokyo2020 Olympics  के लिए भी नंबर वन की रैंकिंग मिली है. पंघाल इन ओलंपिक्स गेम्स में रैंकिंग पाने वाले इकलौते भारतीय पुरुष बॉक्सर हैं. वर्ल्ड रैंकिंग में पंघाल के सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी ज़ोरोव को पांचवीं रैंक मिली है. रैंकिंग में ज़ोरोव से ऊपर चाइना के हु जियनघुआन, अल्जीरिया के मोहम्मद फ्लिसी और फ्रांस के बिलाल बेनामा हैं. पंघाल बेनामा और जियनघुआन को एक-एक बार हरा चुके हैं जबकि फ्लिसी के खिलाफ उन्होंने अभी तक एक भी मैच नहीं खेला है. ऐसे में रैंक और प्रदर्शन देखते हुए निश्चित तौर पर पंघाल ओलंपिक्स मेडल के बड़े दावेदार हैं. हालांकि वह पहली बार ओलंपिक्स में जा रहे हैं. और ओलंपिक्स का प्रेशर अलग ही होता है ऐसे में चीजें आसान नहीं रहेंगी. लेकिन ऐसे मौकों से निपटने का हुनर पंघाल के पास है. फोन पर मारधाड़ वाले गेम्स खेलने के शौकीन पंघाल का फलसफा सीधा है- लट्ठ उठा है तो गाड़ेंगे ही.

Advertisement
Advertisement
Advertisement