रिंकू सिंह. कुछ साल पहले तक दो कमरों के मकान में रहने वाला एक लड़का, जो अब एक IPL टीम के फै़न्स की उम्मीद बन चुका है. गुजरात टाइटन्स के खिलाफ पांच बॉल में पांच छक्के लगाने के बाद रिंकू के जलवे चौतरफा हैं.
लास्ट ओवर, 32 रन की जरूरत, क्रीज़ पर रिंकू... फिर क्या हुआ?
पांच छक्के मारने वाले रिंकू से उम्मीद बहुत थी.
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गुजरात के खिलाफ आखिरी ओवर में कोलकाता को 29 रन चाहिए थे. रिंकू ने पांच छक्के मार इस टार्गेट को बौना बना दिया था. अगले ही मैच में कोलकाता के सामने एक बार फिर ऐसा ही कुछ चैलेंज था. सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ चढ़ाई थोड़ी और सीधी थी. इस बार 29 नहीं, 32 रन चाहिए थे. रिंकू रनर्स एंड पर थे. वैसे ही, जैसा गुजरात के खिलाफ हुआ था.
फिर क्या हुआ?
आखिरी ओवर सनराइजर्स के कैप्टन एडन मार्करम ने उमरान मलिक को थमाया. उमरान अपनी स्पीड और विकेट लेने की काबिलियत के लिए जाने जाते हैं, पर महंगे भी साबित होते रहे हैं. यानी उम्मीद अब भी बाकी थी.
पहले बॉल पर वाशिंगटन सुंदर आउट हो गए. दूसरे बॉल पर उमेश यादव ने सिंगल लेकर रिंकू को ज़िम्मा सौंप दिया. चार बॉल, 31 रन. यानी नो बॉल चाहिए थी, और उस पर भी छक्के की जरूरत. पर अगली ही बॉल पर कहानी और खराब हो गई. उमरान ने अगली दो बॉल डॉट्स निकाली. यानी कहानी ख़त्म हो गई.
गुजरात के खिलाफ अविश्वसनीय को सच कर दिखाने वाले के लिए सनराइजर्स के खिलाफ कुछ कर पाना लगभग नामुमकिन था. हालांकि, आखिरी ओवर तक मैच गया, इसमें भी रिंकू का अहम रोल था. मैच ख़त्म होने तक रिंकू ने 31 बॉल में 58 रन बनाए. उनकी पारी में चार चौके और चार छक्के शामिल थे.
# रिंकू की कहानी
रिंकू बेहद ग़रीब घर से आते हैं. उनके पिता घर-घर गैस सिलेंडर पहुंचाने का काम करते थे. और पूरा परिवार उसी सिलेंडर बांटने वाली एजेंसी से सटे दो कमरों वाले मकान में रहता था. अलीगढ़ स्टेडियम के पास रहने वाले इस परिवार के पांच बच्चों में रिंकू तीसरे नंबर पर हैं. रिंकू का एक बड़ा भाई ऑटोरिक्शा चलाता है, दूसरा एक कोचिंग सेंटर में काम करता है. 2018 के ऑक्शन में बिकने के बाद रिंकू ने इंडियन एक्सप्रेस के देवेंद्र पांडेय से कहा था,
'सोचा था 20 लाख में जाऊंगा. लेकिन मुझे 80 मिल गए. पैसे मिलने के बाद सबके पहले मेरे दिमाग में ये आया कि मैं अपने भाई की शादी में योगदान दे पाऊंगा. और बहन की शादी के लिए भी पैसे बचा पाऊंगा. और एक अच्छे से घर में शिफ्ट हो जाऊंगा.'
दरअसल रिंकू ने इस दिन से पहले बहुत बुरे दिन देखे थे. इस ऑक्शन से तीन साल पहले उनके परिवार पर पांच लाख का कर्ज़ था. और इस परिवार की कमाई में ये पैसा वापस करना आसान नहीं था. नौवीं क्लास में फेल हो चुके रिंकू पढ़ाई में बहुत अच्छे नहीं थे. इसलिए उन्हें पता था कि उनकी किस्मत क्रिकेट से ही पलट सकती है. ऐसे में उन्होंने पूरा ध्यान इसी पर लगा दिया.
रिंकू उस वक्त यूपी अंडर-19 टीम के लिए खेलते थे. और यहां से होने वाली सारी कमाई उन्होंने इस कर्ज़ को उतारने में लगाई. इस बारे में रिंकू ने कहा था,
'पापा और भैया महीने के 6-7 हजार ही कमा पाते थे. मेरा परिवार थोड़ा बड़ा है, इसलिए मेरे पास क्रिकेट पर फोकस करने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं था. जिंदगी में बहुत स्ट्रगल किया है.'
रिंकू के परिवार का उन पर भरोसा तब बढ़ा, जब उन्हें दिल्ली के एक टूर्नामेंट में मैन ऑफ द सीरीज बनने पर एक मोटरसाइकिल मिली. अब पिताजी इस मोटरसाइकिल के जरिए सिलेंडर डिलिवर करने लगे. हालांकि हालात अब भी बहुत अच्छे नहीं थे. ऐसे में रिंकू ने अपने भाई से कुछ काम दिलाने को कहा. इस बारे में उन्होंने बताया था,
'वो मुझे जहां ले गए, वहां मुझसे साफ-सफाई और पोछा मारने का काम कराया गया. मैं घर लौटा तो अपनी मां से बोला कि मैं वहां दोबारा नहीं जाऊंगा. मुझे क्रिकेट में अपना भाग्य आजमाने दीजिए.'
और फिर भाग्य आजमाते हुए रिंकू IPL तक पहुंचे. जहां वो IPL2018 से ही KKR के साथ हैं. टीम हर बार उन्हें रीटेन कर रही है. लेकिन उनके आंकड़े बहुत अच्छे नहीं थे. IPL 2022 में अपनी काबिलियत दिखाने के बाद IPL 2023 में रिंकू शानदार बैटिंग कर रहे हैं.
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