और आगे बढ़ने के पहले एक घटना जान सुन लीजिए.
साल 2012. कर्नाटक विधानसभा से एक वीडियो आया था. तीन मंत्री मोबाइल पर कुछ देख रहे थे. कैमरा साफ़ हुआ था तो पता चला कि मंत्री-नेता पॉर्न देख रहे थे. विधानसभा की कार्यवाही के बीच. तीनों से जवाब तलब किया गया. कहा कि विधानसभा की बहस में जानकारी जुटाने के लिए वे पॉर्न देख रहे थे. तीनों ने दबाव में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. मंत्री थे लक्ष्मण सावदी, सी.सी. पाटिल और कृष्णा पालेमर.
अब आगे की कहानी.
येद्दियुरप्पा मुख्यमंत्री बने. और पॉर्न देखने से चर्चा में आए लक्ष्मण सावदी को बना दिया उपमुख्यमंत्री. वो भी तब, जब लक्ष्मण सावदी ने हालिया विधानसभा चुनाव भी हार गए थे. ऐसा क्यों किया?

अब तो बना दिया.
इसलिए क्योंकि हाल में जो कुमारास्वामी की सरकार गयी, उसे गिराने में लक्ष्मण सावदी की बड़ी भूमिका थी. कुमारास्वामी की सरकार कैसे गिरी? क्योंकि कांग्रेस और जद(स) के कुछ विधायक बागी हो गए. सरकार का समर्थन देने से मना कर दिया. कुमारास्वामी की सरकार गिर गयी. और येद्दियुरप्पा आ गए. लेकिन विधायक कैसे बाग़ी हो गए. कहा जाता है कि इसमें लक्ष्मण सावदी की बड़ी भूमिका थी.
लक्ष्मण कांग्रेस के अयोग्य करार दिए गए विधायक रमेश जरकिहोली के करीबी माने जाते हैं. और गठबंधन के आधा दर्जन विधायकों को उन्होंने तोड़ लिया. रमेश जरकिहोली के सहयोग के साथ. ऐसा कर्नाटक के पत्रकार कहते हैं.
विरोध भी हुआ
येद्दियुरप्पा के क़रीबी नेता और भाजपा विधायक एमपी रेनुकाचार्यन ने सावदी के उपमुख्यमंत्री बनाए जाने का विरोध भी किया था. उन्होंने कहा था,
'जब सावदी चुनाव हार गए थे तो इतनी जल्दी या ऐसी क्या ज़रूरत थी कि उनको मंत्री के रूप में शामिल किया जाए.'लेकिन सावदी को काफ़ी शक्तिशाली लिंगायत नेता माना जाता है. साथ ही साथ युवाओं में उनकी पकड़ अच्छी है. भले ही भाजपा की सरकार बन गयी हो, लेकिन भाजपा की पॉलिटिक्स अभी भी कर्नाटक में बहुत अच्छी नहीं है. पत्रकार बताते हैं कि इस वजह से येद्दियुरप्पा ने नहीं, बल्कि भाजपा संगठन ने दबाव डाला है कि सावदी को उपमुख्यमंत्री बनाया जाए. जिससे भाजपा आगामी समय में मजबूत हो सके. संतुलन बनाए रखने के लिए गोविंद एम करजोल और अश्वथ नारायण को भी उपमुख्यमंत्री बनाया गया है.
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