श्री लाखा पहले तो शांति से उस वक़्त तक अजय मानी जा रही अंग्रेजों की टीम से मैच फिक्स कर लेते हैं ताकि भुवन मैच हार जाए और गौरी के आगे भुवन की अज़हर छवि धूमिल हो जाए. लेकिन बाद में हृदयपरिवर्तन हो जाता है और फ़िर डी विलियर्स स्टाइल में 'कैच ऑफ़ द मैच' पकड़कर अपनी टीम के प्रति अपनी वफ़ादारी प्रूव करते हैं. लाखा के कमाल के किरदार को निभाया था यशपाल शर्मा ने. फ़िल्म के 20 साल पूरे होने पर यशपाल शर्मा ने इस फ़िल्म से जुड़ीं यादें और किस्से इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में साझा किए. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कुछ बताया. #फ़िल्म के बाद जीवन कैसे बदला?
#कैसे मिला रोल यशपाल जी को कैसे मिला था लाखा का बेहतरीन किरदार वो इसका किस्सा बताते हैं,"लोगों का रिस्पांस बहुत कमाल का था. लोग कह रहे थे जितनी गहराई लाखा के किरदार में थी उतनी गहराई लीड एक्टर को छोड़ किसी अन्य किरदार में नहीं थी. मुझे इंडिया का पहला मैच फ़िक्सर बुलाते थे. मैं अपने आप को बहुत भाग्यशाली मानता हूं कि मुझे ये रोल मिला. जिसमें दोनों शेड्स थे. बहुत अच्छा लगता है जब आपके काम की सराहना होती है. मेरे लिए 'लगान' 'मदर इंडिया', 'दो बीघा ज़मीन' जैसी फिल्मों के साथ खड़ी होती है.
इस फ़िल्म ने फ़िल्म इंडस्ट्री को एक नया मोड़ दिया. साथ ही चली आ रहीं कई प्रथाओं को भी तोड़ा. जैसे 'एक्टर की इमेज एक बार जो बन गई वैसी ही रहती है'. 'एक्टर स्क्रीन पर धोती नहीं पहन सकता'. या 'पहले भी क्रिकेट से जुड़ी फिल्में फ्लॉप हो चुकी हैं, इसलिए दुबारा ये रिस्क नहीं लेना चाहिए'. 'गरीब गांव वालों कि ये फ़िल्म कोई नहीं देखेगा.' लोग ऐसा बोलते थे. लेकिन 'लगान' बावजूद इस सबके सफ़ल हुई. ये सिर्फ़ एक हीरो की फ़िल्म नहीं थी. सारे किरदार फिल्म में अहम थे. मैं हमेशा कहता हूं. अगर आप सीखना चाहते हो सिनेमा कैसे बनता है 'लगान' देखो. जिस स्तर का पैशन, टीम वर्क, मैनेजमेंट, अनुशासन इस फ़िल्म में लगा था. इससे पहले किसी और फ़िल्म में नहीं लगा था."
जीत का जश्न मनाते चंपानेर 11. (फ़ोटो- आमिर खान फ़िल्म्स )
#किरदार की मुश्किलें यशपाल शर्मा ने बताया कि लाखा का किरदार निभाने में उन्हें क्या क्या दिक्कतें आईं. साथ ही उनका फ़ेमस डाइव वाला कैच कैसे शूट हुआ इसके पीछे का किस्सा भी साझा किया."उस वक़्त पेजर चलते थे. मुझे प्रोडक्शन से पेजर पर मैसेज आया. लगान की कास्टिंग काफ़ी वक़्त से चल रही थी. मैं समझ नहीं पाया कि मुझे अब क्यों बुला रहे हैं. मैं ऑफिस गया. आशुतोष ने 4 घंटे तक मुझे फ़िल्म की स्क्रिप्ट सुनाई. मैं उनके कहानी सुनाने के स्टाइल से काफ़ी प्रभावित हुआ था. नैरेशन के दौरान मैं सोच रहा था कि अगर मुझे लाखा का रोल मिल जाए तो मज़ा आ जाएगा. आशुतोष ने स्क्रिप्ट सुनाने के बाद कहा वो मुझे लाखा के रोल के लिए ही सोच रहे हैं. मैं बहुत उत्साहित हो गया. उन्होंने मुझे आमिर के घर पर ऑडिशन देने को बोला. जब मैं गया तो देखा वहां 3-4 अलग किरदार भी मौजूद थे. मैं स्क्रीन टेस्ट देकर लौट ही रहा था कि मुझे मेसेज आया कि मेरा सिलेक्शन हो गया है और मुझे वापस बुला रहे हैं कॉन्ट्रैक्ट साइन करने के लिए.
मैं इस रोल के लिए कितनी सैलरी लूंगा इस बारे में सोच रहा था. मैं सोच रहा था कम से कम एक लाख रुपय मांगूंगा इससे कम में नहीं करूंगा. हालांकि उस वक़्त मैं 20 हज़ार में भी रोल कर लेता क्यूंकि मेरे पास कोई दूसरा काम नहीं था. जब मैं ऑफिस पहुंचा तो रीना दत्ता ने कहा कि वो हर एक्टर को सिर्फ 1.5 लाख रुपय दे रहीं हैं क्यूंकि फ़िल्म का बजट गड़बड़ाया हुआ है. मैंने थोड़ा मोलताल किया और 2 लाख में डील साइन की. बाद में मुझे पता चला कि अगर मैंने कहा होता तो मुझे पांच लाख भी मिल सकते थे."
"जे कोई खेल नहीं है जो हम कोनो मौज-मनोरंजन खातिर खेलत हैं. जे एक जंग है जो हमें हर हाल में जीतनी है."
"मेरा किरदार लाखा क्रिकेट खेलना नहीं जानता था. जबकि मैं तो क्रिकेट खूब खेला हुआ हूं. मैं कैच लेने में सबसे माहिर हुआ करता था. लेकिन फ़िर भी मुझे कैच छोड़ने पड़ते थे क्यूंकि मैं फ़िक्सर था फ़िल्म में. मुझे स्टूल पर चढ़कर स्प्रिंग बोर्ड पर कूदना था जो मुझे हवा में उछाल देता. पहले दिन आमिर बॉल फेंक रहा था. लेकिन मैं सही से शॉट देने में नाकाम हो रहा था. मुझे बहुत चोटें लग रहीं थीं. टाइमिंग ठीक नहीं बैठ रही थी. 5-6 दिन बाद, हमने दुबारा कोशिश की. और पहली बार में ही टेक ओके हो गया. आमिर जब मॉनिटर पर गया तो बहुत उत्साहित हो गया. लेकिन आशुतोष ने कहा कि इससे भी बेटर हो सकता है. हमने दूसरा टेक लिया और फ़िल्म में दूसरा टेक इस्तेमाल हुआ."
# आमिर के साथ आमिर खान के साथ काम करने के अनुभव के बारे में बताते हुए आमिर ने कहा,"हमने कभी नहीं सोचा था कि फ़िल्म ऑस्कर के लिए नॉमिनेटेड होगी लेकिन हमें इस बात का भरोसा था कि ये सबसे अलग फ़िल्म निकलेगी. एक बेमिसाल फ़िल्म. हमें पता था बाकी बन रहीं फ़िल्मों से ये फ़िल्म बहुत अलग थी. मुझे उस वक़्त इतना तजुर्बा नहीं था. मैंने सिर्फ़ चार-पांच फ़िल्में कर रखी थीं. ये मेरी पहली फ़िल्म थी और मेरी जिंदगी का टर्निंग पॉइंट भी. फ़िल्म ने मुझे सिखाया कि सिनेमा कैसे बनाते हैं."
#आशुतोष के साथ आशुतोष गोवारिकर के अंडर बतौर एक्टर काम करने का एक्सपीरियंस यशपाल जी ने शेयर करते हुए कहा,"आमिर की उस वक़्त 'मेला', 'मन' जैसी फ़िल्में फ्लॉप जा चुकीं थीं. 'लगान' उसके जीवन के लिए बहुत अहम थी. फिल्मिंग के दौरान मैं ये देखकर हैरान था कि वो कितने ज़मीन से जुड़े हुए इंसान थे. वो हमारे साथ ज़मीन पर बैठकर चाय पिया करते थे. हम शाम को मिला करते थे और डिनर के बाद हम बैठकर पत्ते खेला करते थे. हमने सेट पर भी खूब मस्ती की. टीम हमेशा साथ में रहती थी. जिस तरीके से वो एक साथ टीम की तरह जोड़ के रखते थे वो सराहनीय था."
'लगान' की शूटिंग के दौर आमिर खान के साथ यशपाल शर्मा.(फ़ोटो- आमिर खान फ़िल्म्स )
"आशुतोष की पिछली दो फ़िल्में 'पहला नशा' और 'बाज़ी' फ्लॉप हो चुकी थीं. उसके लिए ये फ़िल्म गेम चेंजर थी. ये फ़िल्म उसके लिए बच्चे जैसी थी. मुझे याद है 'लगान' का प्रीमियर हो रहा था साउथ अफ्रीका में और हम गेटी-गैलेक्सी बांद्रा से फ़ोन पर रिएक्शन सुन रहे थे. वहां जैसा शोर मच रहा था, ऐसा लग रहा था जैसे कोई क्रिकेट स्टेडियम हो. आशुतोष और उनकी पत्नी एक दूसरे को गले लगाकर खूब रोए. आशुतोष 'लगान' की स्क्रिप्ट लेकर बहुत से एक्टर्स के पास गया था लेकिन सब मना कर देते थे. जब आपकी सारी मेहनत वसूल होती है तब उस सफ़लता में आपको एक अलग ख़ुशी मिलती है. हर साल आशुतोष सब को फ़िल्म एनिवर्सरी पर मुबारकबाद के मैसेज भेजा करता था."