मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम भारत के राजकीय दौरे पर हैं. अपने एक संबोधन में उन्होंने भारत के अल्पसंख्यकों पर जो टिप्पणी की, संभवतः भारत सरकार को गवारा न गुज़रे. मगर ज़ाकिर नाइक को भारत लाने के लिए जो कहा, वो तसल्ली दे सकता है. उन्होंने कहा कि अगर भारत सरकार के पास ज़ाकिर नाइक के ख़िलाफ़ पर्याप्त और ठोस सबूत हैं, तो वो उसे भारत को सौंपने के बारे में सोच सकते हैं.
"आतंकवाद को शह नहीं देंगे" कहने वाले मलेशियाई PM ने जाकिर नाइक को सौंपने पर क्या कहा?
पहले तो मलेशिया के PM Anwar Ibrahim ने कहा कि अगर भारत सरकार के पास Zakir Naik के ख़िलाफ़ पर्याप्त और ठोस सबूत हैं, तो वो उसे भारत को सौंपने के बारे में सोच सकते हैं. बाद में इंडिया टुडे के साथ बातचीत में उन्होंने अलग ही बात कह दी.

- ज़ाकिर नाइक पेशे से एक डॉक्टर है. मुंबई में पैदा हुआ था. बाद में इस्लामी प्रचारक बन गया. ‘असली’ इस्लाम की शिक्षा बांचने का दावा करता है. कहता है कि उसे हिंदू और मुस्लिम धर्म ग्रंथों की पूरी जानकारी है. बात-बात पर क़ुरान की आयतें और गीता के रेफरेंस फेंक के मारता है.
- उसने इस्लामिक रिसर्च फ़ाउंडेशन (IRF) की स्थापना की थी. भारत में 2016 से ये संगठन प्रतिबंधित है. 2021 में बैन को पांच साल के लिए बढ़ा दिया गया था.
- उसका अपना एक टीवी नेटवर्क भी है, ‘पीस टीवी’. भारत, कनाडा, बांग्लादेश, श्रीलंका और यूके की सरकारों ने बैन कर रखा है. वो भारत सरकार पर आरोप लगाता है कि मुस्लिम चैनल होने की वजह से टेलिकास्ट की इजाज़त नहीं मिलती. बैन के बावजूद उसके वीडियोज़ सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स के ज़रिए हज़ारों-लाखों लोगों तक पहुंचते रहते हैं.
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- साल 2016 में बांग्लादेश की राजधानी ढाका की मशहूर होली आर्टिसन बेकरी में बम धमाका हुआ था, जिसमें 20 लोग मारे गए थे. 2019 में ईस्टर के दिन श्रीलंका में एक के बाद एक बॉम्ब ब्लास्ट हुए थे, जिसने 250 से अधिक लोगों की जान ले ली थी. दोनों ही आतंकी हमलों में शामिल आतंकियों ने ये बात क़ुबूली कि वो ज़ाकिर नाइक के भाषणों से प्रभावित थे.
- नवंबर, 2016 में NIA ने ज़ाकिर नाइक के ख़िलाफ़ इंडियन पीनल कोड (IPC) और Unlawful Activities (Prevention) Act यानी UAPA के तहत केस दर्ज किया. उसी साल एक दूसरी केंद्रीय एजेंसी - प्रवर्तन निदेशालय (ED) - ने भी ज़ाकिर के ख़िलाफ़ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की थी. उस समय वो मलेशिया में था. वो जांच के लिए भारत नहीं लौटा. NIA ने उसके ख़िलाफ़ इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने की कोशिश भी की, लेकिन इंटरपोल ने सबूतों की कमी के चलते मांग को ठुकरा दिया.
- ज़ाकिर नाइक के केस में भारत तीन बार इंटरपोल के सामने अर्ज़ी दे चुका है. लेकिन तीनों बार इंटरपोल ने एप्लीकेशन रिजेक्ट कर दी. कहना ये कि भाषणों में पैसे मांगना और धर्म का प्रचार करना अपराध की केटेगरी में नहीं आता.
- भारत सरकार ने ज़ाकिर नाइक को हेट स्पीच, ज़बरन धर्म-परिवर्तन और आतंकी घटनाओं में संलिप्तता के आरोप में ‘भगोड़ा’ घोषित कर रखा है.
- वहीं, केस दर्ज होने के बाद नाइक ने ओपेन लेटर्स लिखे. उसने दावा किया कि उसके ख़िलाफ़ बदले की कार्रवाई की जा रही है. उसका कहना है कि एक ग़लत रिपोर्ट के आधार पर भारत में उसका मीडिया ट्रायल किया गया. मदीने में खड़े होकर इंडियन मीडिया को खुली चुनौती दी थी कि उसके ख़िलाफ़ सबूत लाकर दिखाए.
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- हमलों के ठीक बाद नाइक भारत से भागकर मलेशिया चला गया था. वहां भी उसका हेट स्पीच देना बंद नहीं हुआ. हिंदुओं और चीनियों के ख़िलाफ़ उसके नस्लभेदी बयानों की आलोचना की गई. इसके बाद मलेशिया सरकार ने भी ज़ाकिर को देश की राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेने से रोक दिया.
- उसने मलेशिया की सरकार से शरण मांगी, तो 2018 में उसे शरण दे भी दी गई. भारत सरकार को ये जमा नहीं.
- मई, 2020 में भारत ने मलेशिया सरकार को आधिकारिक आवेदन भेजा. इसमें ज़ाकिर नाइक के प्रत्यर्पण की अपील की गई थी. लेकिन मलेशिया सरकार ने उसको भारत भेजने से मना कर दिया.
दरअसल, भारत सरकार ने तो कई बार इंडिया लाने की कोशिश की है. लेकिन मलेशिया सरकार हर बार मना कर देती है. ये कहते हुए कि ज़ाकिर को लगता है कि उसके साथ भारत में न्याय नहीं होगा.
क़ायदा ही ऐसा है कि अगर कोई व्यक्ति अपराध करके किसी दूसरे देश में भाग जाए, तो उसे वापस लाने में मशक्क़त लगती है, क्योंकि ये दूसरे देश की संप्रभुता से जुड़ा मसला बन जाता है. इसलिए जिस देश में अपराध हुआ है, उन्हें अपराध करने वाले पर केस चलाने और सज़ा देने के लिए उस देश की सहमति चाहिए, जहां आरोपी भागकर पहुंचा हो. इसके लिए देशों के बीच समझौते होते हैं. क़ानून की भाषा में प्रत्यर्पण. कुछ देश बिना किसी समझौते के मदद कर देते हैं, कुछ अंतरराष्ट्रीय संधि का पालन करते हैं. कुछ आपस में समझौता करते हैं.
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विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारत ने कुल 48 देशों के साथ प्रत्यर्पण संधि की हुई है. मलेशिया के साथ 2010 में ही. लेकिन अभी तक मलेशिया ने किसी आरोपी को अपने यहां से भारत नहीं भेजा है. ज़ाकिर नाइक को भी नहीं.
मगर ये पहली बार है, जब मलेशिया सरकार ने सहमति की दिशा में कुछ कहा है. प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने साफ़ शब्दों में कहा कि वो आतंकवाद को शह नहीं देंगे, और कहा कि इससे (एक व्यक्ति की वजह से) दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ना चाहिए.
हालांकि, इंडिया टुडे के साथ बातचीत के दौरान अनवर इब्राहिम ने कहा कि मलेशिया में रहते हुए नाइक ने भारत के ख़िलाफ़ कुछ भी विवादास्पद नहीं कहा है, और जब तक वो कोई समस्या नहीं पैदा कर रहा या सुरक्षा का कोई जोख़िम नहीं है, इस मामले को ठंडे बस्ते में ही रखा जाएगा.
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