मलेशिया में बैठे ज़ाकिर नाइक को मिला एक और बड़ा झटका
दो महीने का वक्त मांगा था. कोर्ट ने मना कर दिया.

इस्लामिक उपदेशक ज़ाकिर नाइक. उसकी मुश्किलें थोड़ी बढ़ती हुई दिख रही हैं. क्योंकि उसके खिलाफ मुंबई की एक विशेष अदालत ने गैर-ज़मानती वारंट जारी कर दिया है. मनी लॉन्ड्रिंग के एक केस में. ये वारंट प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट यानी PMLA कोर्ट ने जारी किया है. प्रवर्तन निदेशालय यानी ED ने कोर्ट में इस मामले में एक याचिका दायर की थी. ED ही मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच कर रही है.
पिछले हफ्के ज़ाकिर ने अपने वकील के ज़रिए एक याचिका दायर करवाई थी. कोर्ट में पेश होने के लिए दो वक्त का समय मांगा था. लेकिन कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करके ED की याचिका पर एक्शन लिया.
अब बताते हैं कि ज़ाकिर आखिर है कौन?
एक इस्लामिक उपदेशक है. कुछ साल पहले तक भारत में था. यहां उसके ऊपर भड़काऊ भाषण देने और आतंकी गतिविधि में शामिल होने के लिए युवाओं को भड़काने के आरोप लगे. ज़ाकिर के खिलाफ भारत में मनी लॉन्ड्रिंग, हेट स्पीच और बांग्लादेश के एक रेस्टोरेंट में हुए ब्लास्ट मामले में जांच चल रही है. मनी लॉन्ड्रिंग केस की जांच ED कर रहा है. नाइक 2016 में भारत से भागकर मलेशिया चला गया था. वहां भी उसका हेट स्पीच देना बंद नहीं हुआ. उसने हिंदुओं और चीनियों के खिलाफ नस्लभेदी बयान दिए. जिसके बाद मलेशिया ने ज़ाकिर को देश की राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेने से रोक दिया था.
वहीं ज़ाकिर नाइक को लेकर भारत और मलेशिया के बीच आरोप-प्रत्यारोप चल रहा है. भारत कह रहा है कि जनवरी में मलेशिया सरकार से ज़ाकिर नाइक के प्रत्यर्पण की मांग की गई थी. लेकिन मलेशिया के प्रधानमंत्री मोहम्मद महातिर ने इन दावों को खारिज किया है. उनका कहना है कि पीएम मोदी ने ज़ाकिर नाइक के प्रत्यर्पण की मांग नहीं की थी. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस बयान का जवाब दिया. खंडन किया. कहा कि पीएम मोदी और उनके मलेशियाई समकक्ष की मुलाकात के दौरान यह मुद्दा उठाया गया था. जयशंकर ने कहा कि भारत ने जनवरी में ही मलेशिया के सामने जाकिर के प्रत्यर्पण की मांग की थी.
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