क्यों खास है पूर्वांचल एक्सप्रेस?
इंडिया टुडे के मुताबिक 6 लेन वाले इस एक्सप्रेसवे को साढ़े 22 हजार करोड़ रुपये खर्च करके बनाया गया है. 341 किमी लंबा पूर्वांचल एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के 9 जिलों से होकर गुजरेगा. यही नहीं इस एक्सप्रेसवे पर एक इमरजेंसी एयर स्ट्रिप भी बनाई गई है. 3.2 किमी लंबी इस हवाई पट्टी का इस्तेमाल आपातकाल की स्थिति में किया जाएगा. बताया गया है कि केवल एयर फोर्स इस हवाई पट्टी का इस्तेमाल करेगी. आइए अब जानते हैं इस एक्सप्रेसवे के कुछ फीचर और किस तरह से ये प्रदेश की जनता के लिए मददगार साबित हो सकता है.लागत, लंबाई और कनेक्टिविटी
उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण यानी UPEIDA की वेबसाइट के मुताबिक पूर्वांचल एक्सप्रेसवे को बनाने में कुल 22,494.66 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं. इसमें एक्सप्रेसवे के निर्माण और उसके लिए किए गए भूमि अधिग्रहण दोनों की लागत शामिल है. छह लेन वाले इस एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई 340.824 किमी है. बताया जा रहा है कि भविष्य में दो लेन और बढ़ाई जाएंगी, यानी आने वाले समय में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे 8 लेन का हो जाएगा.शरुआत- लखनऊ के चांदसराय गांव से पूर्वांचल एक्सप्रेसवे की शुरुआत होगी. ये गांव लखनऊ-सुल्तानपुर से गुजरने वाले एनएच-731 पर पड़ता है.
अंत- गाजीपुर जिले के हैदरिया गांव से गुजरने वाले एनएच 19 पर पूर्वांचल एक्सप्रेसवे खत्म होगा. इस एक्सप्रेसवे के अंत से यूपी-बिहार की सीमा सिर्फ 18 किमी दूर है.

पूर्वांचल एक्स्प्रेसवे का मैप (तस्वीर: UPEIDA)
लखनऊ से शुरू होने वाला ये एक्सप्रेसवे यूपी के नौ जिलों से गुजरता है. रास्ते में पड़ने वाले जिलों में लखनऊ, बाराबंकी, अमेठी, सुल्तानपुर, अयोध्या, अंबेडकरनगर, आज़मगढ, मऊ, गाजीपुर के नाम शामिल हैं. लखनऊ से गाजीपुर जाने में पहले 6 घंटे लगते थे. अब इस एक्सप्रेसवे के बनने के बाद केवल 3.5 घंटे का समय लगेगा.
पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के बनने से उत्तर प्रदेश के पूर्वी शहर राजधानी लखनऊ से आसानी से जुड़ सकेंगे. इसे यूपी के दूसरे एक्सप्रेसवे और हाइवे से भी जोड़ा जाएगा. इसके बाद पूर्वी यूपी के जिले राजधानी दिल्ली से आसानी से जुड़ सकेंगे. इसके अलावा पूर्वांचल के शहरों से ट्रांसपोर्ट में सुविधा मिले, इसके लिए पूर्वांचल एक्सप्रेसवे को 'आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे' और 'यमुना एक्सप्रेसवे' से जोड़ा जाएगा.
पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से यूपी को क्या फायदा होगा?
- पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का निर्माण एक एक्सेस कंट्रोल्ड एक्सप्रेसवे के रूप में किया गया है. मतलब ऐसी सड़क जिस पर ना केवल गाड़ियां बिना ट्रैफिक के तेज स्पीड में चलती हैं, बल्कि थोड़ी-थोड़ी दूरी पर जो छोटी सड़कें हाइवे से जुड़ती हैं, वे भी इसमें नहीं होतीं. एक्सेस कंट्रोल्ड एक्सप्रेसवे होने के करण ईंधन और समय की बचत तो होगी ही, साथ में प्रदूषण पर भी कबू पाया जा सकेगा. साथ ही इससे सड़क पर होने वाली दुर्घटनाएं भी कम हो जाएंगी.
- कहा गया है कि यूपी के जिन इलाकों को ये एक्सप्रेसवे जोड़ेगा, उनके सामाजिक और आर्थिक विकस में तेजी आएगी. खेती, व्यापार, पर्यटन और बाकी औद्योगिक विकास को भी पूर्वी उत्तर प्रदेश में काफी प्रोत्साहन मिलेगा.
- एक्सप्रेसवे के नजदीकी इलाकों में औद्योगिक, शैक्षिक, मेडिकल और कई तरह के ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट को स्थापित किया जा सकता है, जिससे राज्य में रोजगार के अवसर ज्यादा बढ़ जाएंगे.
खबरों के मुताबिक पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के लोकार्पण के बाद कुछ दिनों तक प्रदेश की जनता से कोई टोल नहीं वसूला जाएगा. बाद में प्राइवेट कंपनी को टोल वसूली का टेन्डर दिया जाएगा.
- पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का निर्माण एक एक्सेस कंट्रोल्ड एक्सप्रेसवे के रूप में किया गया है. मतलब ऐसी सड़क जिस पर ना केवल गाड़ियां बिना ट्रैफिक के तेज स्पीड में चलती हैं, बल्कि थोड़ी-थोड़ी दूरी पर जो छोटी सड़कें हाइवे से जुड़ती हैं, वे भी इसमें नहीं होतीं. एक्सेस कंट्रोल्ड एक्सप्रेसवे होने के करण ईंधन और समय की बचत तो होगी ही, साथ में प्रदूषण पर भी कबू पाया जा सकेगा. साथ ही इससे सड़क पर होने वाली दुर्घटनाएं भी कम हो जाएंगी.
- कहा गया है कि यूपी के जिन इलाकों को ये एक्सप्रेसवे जोड़ेगा, उनके सामाजिक और आर्थिक विकस में तेजी आएगी. खेती, व्यापार, पर्यटन और बाकी औद्योगिक विकास को भी पूर्वी उत्तर प्रदेश में काफी प्रोत्साहन मिलेगा.
- एक्सप्रेसवे के नजदीकी इलाकों में औद्योगिक, शैक्षिक, मेडिकल और कई तरह के ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट को स्थापित किया जा सकता है, जिससे राज्य में रोजगार के अवसर ज्यादा बढ़ जाएंगे.