बीते दिनों हिंसा की चपेट में रहे बांग्लादेश में अंतरिम सरकार बनाने की तैयारी चल रही है. भारत सरकार ने बताया कि वो पड़ोसी मुल्क के हालात पर नजर बनाए हुए है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में ये भी बताया था कि सरकार बांग्लादेश में रह रहे 19 हजार भारतीयों के संपर्क में है. उनके मुताबिक इनमें से करीब 9000 छात्र हैं. इनमें मेडिकल या MBBS की पढ़ाई करने वालों की संख्या अच्छी खासी है.
डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए कई भारतीय युवाओं की फेवरेट जगह है बांग्लादेश, जानें क्यों?
दुनिया के कई प्रतिष्ठित उच्च शिक्षण संस्थानों में एडमिशन के लिए हर साल लाखों भारतीय अप्लाई करते हैं. इनमें मेडिकल क्षेत्र में करियर बनाने का सपना देखने वाले युवा भी शामिल हैं. ये जानना दिलचस्प है कि आखिर बांग्लादेश की शिक्षा व्यवस्था में ऐसी क्या खास बात है जिसकी वजह से भारतीय मेडिकल छात्र यहां से डॉक्टरी पढ़ने आते हैं.

दुनिया के कई प्रतिष्ठित उच्च शिक्षण संस्थानों में एडमिशन के लिए हर साल लाखों भारतीय अप्लाई करते हैं. इनमें मेडिकल क्षेत्र में करियर बनाने का सपना देखने वाले युवा भी शामिल हैं. उच्च शिक्षा के लिए उनकी पसंदीदा विदेशी यूनिवर्सिटी या कॉलेज का नाम या तो अमेरिका से जुड़ा होता है या यूरोप से. ऐसे में ये जानना दिलचस्प है कि आखिर बांग्लादेश की शिक्षा व्यवस्था में ऐसी क्या खास बात है जिसकी वजह से भारतीय मेडिकल छात्र यहां डॉक्टरी पढ़ने आते हैं.
भारत में चुनौतियांटाइम्स ऑफिस इंडिया में 19 मार्च, 2024 को एक रिपोर्ट छपी. इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 900 लोगों पर 1 डॉक्टर है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों के अनुसार हर 1000 लोगों पर 1 डॉक्टर होना चाहिए. भारत ने ये मानक करीब-करीब छू लिया है. लेकिन यहां डॉक्टर बनना काफी चुनौती भरा है. भारत में हर साल करीब 83 हज़ार MBBS सीटों के लिए औसतन 15 लाख स्टूडेंट्स नीट का एग्जाम देते हैं. इनमें भी सरकारी कॉलेजों की संख्या कम है.
मेडिकल की पढ़ाई के लिए बांग्लादेश जाने का एक कारण वहां का कोटा सिस्टम है. बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश के मेडिकल कॉलेजों में 25 प्रतिशत सीटें गैर-बांग्लादेशी स्टूडेंट्स के लिए रिजर्व रहती हैं. भारत में हर सेक्टर में कम्पटीशन बहुत ज्यादा है. सरकारी कॉलेज सीमित हैं. प्राइवेट संस्थानों में वही पढ़ सकता है जिसके पास पैसा बहुत है. और भी कई कारण हैं जिनकी वजह से बड़ी संख्या में छात्र मेडिकल की पढ़ाई नहीं कर पाते.
ऐसे में बांग्लादेशी मेडिकल कॉलेजों का कोटा सिस्टम भारतीय स्टूडेंट्स के लिए अच्छा मौका देता है. भारत के मुकाबले वहां फीस भी काफी कम है. एक भावनात्मक कारण भी है. कई छात्र अपने देश, माता-पिता से बहुत दूर जाकर पढ़ाई नहीं करना चाहते. कई पेरेंट्स भी बच्चों के बहुत दूर जाकर पढ़ने के पक्ष में नहीं होते. ऐसे में बांग्लादेश समझौते के विकल्प के रूप में सामने आता है. अमेरिका, यूरोप की तुलना में यहां पढ़ाई करते हुए छात्र अपने परिवार से ज्यादा करीब रहते हैं.
आर्थिक और पारिवारिक कारणों के अलावा एक कारण सर्टिफिकेट की मान्यता से जुड़ा है. आपने सही पकड़ा. बांग्लादेश से किया गया MBBS भारत में भी मान्य है.
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भारत में मेडिकल की पढ़ाई महंगी होने की वजह से बहुत से छात्र दूसरे देशों का रुख करते हैं. इनमें रूस, किर्गीस्तान, कज़ाकिस्तान, फिलीपीन्स और बांग्लादेश प्रमुख हैं. 15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट कहती है कि 2015 में जहां 3438 स्टूडेंट्स मेडिकल की पढ़ाई के लिए बाहर गए थे, वहीं 2019 में ये संख्या 12 हजार 321 हो गई.
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