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सतीश चंद्र वर्मा: इशरत जहां केस की जांच करने वाले IPS, जो रिटायरमेंट से पहले बर्खास्त हो गए

गुजरात कैडर के IPS अधिकारी रहे सतीश चंद्र वर्मा को उनके रिटायरमेंट के एक महीने पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बर्खास्त कर दिया.

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IPS सतीश चंद्र वर्मा. (फोटो: सोशल मीडिया)

गुजरात कैडर के IPS अधिकारी रहे सतीश चंद्र वर्मा (Satish Verma) इन दिनों चर्चा में हैं. वो इशरत जहां (Ishrat Jahan) कथित फ़र्ज़ी एनकाउंटर मामले की जांच कर रहे दल में शामिल थे. 36 सालों तक पुलिस सेवा में रहने के बाद इस 30 सितंबर को उनका रिटायरमेंट होने वाला था. लेकिन रिटायरमेंट से सिर्फ एक महीना पहले उन्हें केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा बर्खास्त कर दिया गया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उन पर पहले से विभागीय कार्रवाई चल रही थी.

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कौन हैं सतीश चंद्र वर्मा?

सतीश चंद्र वर्मा 1986 बैच के आईपीएस ऑफिसर थे. बर्खास्तगी से पहले वो कोयंबटूर में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में तैनात थे. वर्मा मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं. उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली (IIT Delhi) से स्नातक की डिग्री हासिल की. इसके बाद भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) में भी अध्ययन किया. दिसंबर 2006 में सतीश वर्मा गुजरात पुलिस में बतौर इंस्पेक्टर जनरल तैनात हुए थे. बाद में 2013 में उन्हें केंद्रीय गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव के तौर पर नियुक्ति दी गई थी.

सतीश चंद्र वर्मा उस जांच दल में शामिल थे जिन्होंने अप्रैल 2010 से लेकर अक्टूबर 2011 तक इशरत जहां एनकाउंटर मामले की पड़ताल की थी. इसी जांच दल की रिपोर्ट के आधार पर एसआईटी (SIT) ने एनकाउंटर को फ़र्ज़ी बताया था. इशरत जहां केस में बनी एसआईटी (SIT) के सदस्य के रूप में सतीश चंद्र वर्मा ने गुजरात हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. गुजरात सरकार की फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (FSL) से एक हार्ड डिस्क ज़ब्त करने के मामले में उनके खिलाफ जांच शुरू करने के लिए राज्य सरकार ने आदेश दिया था. उस हार्ड डिस्क में कथित तौर पर मुठभेड़ से जुड़े संबंधित सबूत थे.

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बर्खास्तगी क्यों हुई?

सतीश चंद्र वर्मा पर इशरत जहां केस से जुड़ी डिटेल्स मीडिया में बताने के आरोप लगे थे. ये भी आरोप था कि उनके ऐसा करने से केंद्र और राज्य सरकारों के आपसी रिश्तों में असहजता आ गई थी. इसके अलावा पड़ोसी देश के साथ संबंधों में खटास पैदा करने जैसे आरोप भी उन पर लगे.

गुजरात सरकार ने सतीश वर्मा के खिलाफ एक जांच शुरू की थी. ये जांच FSL के पास गुप्त रूप से रखी एक हार्ड डिस्क से जुड़ी थी, जिसे कथित तौर पर वर्मा ने अपने कब्जे में लिया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस हार्ड डिस्क में कथित रूप से इशरत जहां एनकाउंटर मामले के सबूत थे. राज्य सरकार की तरफ से जांच शुरू होने के बाद जून 2012 में सतीश वर्मा ने गुजरात हाई कोर्ट का रुख किया था.

वर्मा के वकील ने मीडिया से कहा कि बर्खास्तगी के बाद अब वर्मा किसी भी तरह की पेंशन और नौकरी के बाद मिलने वाली सुविधाओं से वंचित रहेंगे. केंद्र और राज्य की सरकार ने पहले ही उनकी विदेश यात्रा पर रोक लगा रखी है. इसके अलावा उत्तर पूर्वी राज्यो में तैनात अधिकारियों को दो घर रखने की मंजूरी के बाद भी उन्हें अहमदाबाद का सरकारी आवास खाली करने का आदेश दिया जा चुका हैं.

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क्या है इशरत जहां केस?

इशरत जहां मुंबई रहने वाली 19 साल की लड़की थी, जिसे जून 2004 में चार और लोगों जीशान जौहर, अमजद अली, अकबर अली राणा और जावेद शेख के साथ एनकाउंटर में मार दिया गया था. गुजरात पुलिस ने एनकाउंटर के बाद दावा किया था कि मारे गए सभी पांच लोग राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या के लिए आत्मघाती हमला करने की तैयारी में थे.

इस एनकाउंटर के बाद खूब विवाद हुआ था. मानवाधिकार संगठनों और गुजरात की विपक्षी पार्टियों ने इस एनकाउंटर को फ़र्ज़ी बताकर जांच की मांग उठाई. हंगामा खड़ा होने के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट गया, जहां कोर्ट ने CBI जांच का आदेश दिया.

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