पश्चिम बंगाल में मवेशियों की तस्करी का मामला सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) के एक नेता की गिरफ्तारी की वजह से चर्चा में आ गया है. केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) ने मवेशियों की तस्करी के आरोप में TMC के अनुब्रता मंडल को गिरफ्तार किया है. अनुब्रता मंडल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के करीबी और पार्टी के कद्दावर नेता माने जाते हैं. उनकी गिरफ्तारी के बाद BJP ने TMC पर हमले तेज कर दिए हैं.
गाय-भैंस की तस्करी के आरोपी अनुब्रता मंडल TMC और ममता बनर्जी के लिए कितने जरूरी हैं?
अनुब्रता का पूरे बीरभूम में काफी प्रभुत्व है. यहां TMC का जनाधार तैयार करने में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई है. ये इसी पता चलता है कि बीरभूम की 11 विधानसभा सीटों में से 10 पर TMC काबिज है.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक CBI ने बताया है कि अनुब्रता को गिरफ्तार करने से पहले उन्हें 10 बार समन जारी किया गया था, लेकिन वो स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर एजेंसी के सामने पेश नहीं हुए थे. पशु तस्करी मामले में केंद्रीय एजेंसी इससे पहले उनसे दो बार पूछताछ कर चुकी है. अब जब उनको गिरफ्तार कर लिया गया है तो विपक्षी BJP ने ममता सरकार पर हमलावर रुख अपनाते हुए कहा है कि अनुब्रता मंडल जैसे लोगों को जेल में रहना चाहिए और उन्हें कभी रिहा न किया जाए.
BJP सांसद दिलीप घोष ने आरोप लगाया कि अनुब्रता मंडल ने कई लोगों का जीवन बर्बाद किया है और बीरभूम में कई व्यक्तियों को प्रताड़ित किया है. उन्होंने मांग की कि CBI अनुब्रता के प्रति इसी तरह का 'बर्बर' रवैया अपनाए.
वहीं TMC ने इस गिरफ्तारी को 'BJP द्वारा राजनीतिक प्रतिशोध' करार देते हुए कहा कि वो इस पूरे मामले पर कानूनी आधार पर लड़ेगी.
कौन है अनुब्रता मंडल?अनुब्रता मंडल बीरभूम जिले में TMC के अध्यक्ष हैं. इन्हें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का करीबी माना जाता है. 61 वर्षीय अनुब्रता का पूरे बीरभूम क्षेत्र में काफी प्रभुत्व है और यहां तृणमूल कांग्रेस का जनाधार तैयार करने में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई है. इसका अंदाजा इसी बात से लग जाता है कि बीरभूम की 11 विधानसभा सीटों में से 10 सीटों पर इस समय TMC काबिज है. अनुब्रता के करीबी उन्हें 'केस्टो दा' के नाम से बुलाते हैं. ममता बनर्जी के प्रति उनकी वफादारी का इनाम तब मिला जब उन्हें TMC की राष्ट्रीय कार्य समिति में जगह दी गई थी.
साल 2021 के विधानसभा चुनाव में TMC के 'खेला होबे' अभियान को भी सफल बनाने में अनुब्रता ने बड़ी भूमिका निभाई थी. इस अभियान के चलते पिछले विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी को धमाकेदार जीत मिली थी. खास बात ये है कि राजनीति में तीन दशक से भी अधिक समय रहने के बावजूद मंडल ने कभी चुनाव नहीं लड़ा और एक तरह से 'किंगमेकर' की भूमिका निभाई. वो पर्दे के पीछे रहकर काम करना पसंद करते हैं और TMC का विस्तार कराने वाले एक प्रमुख व्यक्ति रहे हैं.
कई बार विवादों में रहेअनुब्रता मंडल का विवादों से लंबा नाता रहा है. उन पर पुलिस को धमकाने और 'बम फेंकने' के लिए उकसाने के भी आरोप लगे हैं. इसके अलावा मंडल पर ये भी आरोप है कि उन्होंने 'दादागिरी' करते हुए अपने यहां गुंडों को भी शरण दी थी. इसके साथ ही बीरभूम इलाके में गैरकानूनी बालू खनन, पत्थर उत्खनन और पशु तस्करी जैसी अवैध गतिविधियों से भी उन्हें जोड़ा जाता है.
रिपोर्ट के मुताबिक अनुब्रता मंडल ने विपक्षी नेताओं के खिलाफ हिंसा करने की धमकी भी दी थी. साल 2018 के पंचायत चुनाव के दौरान मंडल ने मीडिया में कहा था,
'जब विपक्षी नेता अपना नामांकन भरने जाएंगे, 'विकास' सड़क के किनारे खड़ा मिलेगा.'
माना जाता है कि ये इशारा था कि उनके ‘गुंडे’ नेताओं के रास्ते में खड़े मिलेंगे.
पिछले साल विधानसभा चुनाव के बाद बंगाल में हुई हिंसा को लेकर भी CBI ने मंडल को समन जारी किया था. उन्होंने गिरफ्तारी से सुरक्षा प्राप्त करने के लिए कलकत्ता हाई कोर्ट का रुख किया था, जिसे कोर्ट ने मंजूरी प्रदान की थी.
अनुब्रता मंडल से जुड़ी निजी जानकारी की बात करें तो वो हाइपोक्सिया से पीड़ित हैं, जिसके चलते वो हमेशा अपने साथ ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर चलते हैं.
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