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गणतंत्र दिवस परेड में नहीं दिखेगी पंजाब की झांकी, कैसे सेलेक्ट की जाती हैं?

झांकियां सेलेक्ट करते वक्त काफी कुछ ध्यान में रखा जाता है.

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सांकेतिक फोटो. (फोटो: इंडिया टुडे)

इस साल भारत अपना 74वां गणतंत्र दिवस (Republic Day) मनाने जा रहा है. साल 1950 में भारत का संविधान लागू हुआ था. जिसके बाद से ही गणतंत्र दिवस पर कर्तव्यपथ (पूर्व में राजपथ) से लेकर लाल किले तक परेड निकाली जाती है. इस परेड में भारत की आर्मी, नेवी और एयर फोर्स वहां मौजूद लोगों को अपने पराक्रम और शौर्य का साक्षी बनाती है. परेड में सैन्य शक्ति के अलावा देश के अलग-अलग राज्यों की संस्कृति को भी दिखाया जाता है. अलग-अलग झांकियां दिखाई जाती हैं. 

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इस बार 17 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की 23 झांकियों को चुना गया है. वहीं इस साल की परेड में पंजाब की झांकी को जगह नहीं मिली है. इसपर पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि केंद्र ने जानबूझकर राज्य को गणतंत्र दिवस परेड में झांकी पेश करने से रोक दिया है. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर झांकियों को कैसे चुना जाता है? 

रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी

दरअसल, गणतंत्र दिवस की परेड की पूरी जिम्मेदारी रक्षा मंत्रालय की होती है. रक्षा मंत्रालय परेड के दौरान सुरक्षा, परेड में होने वाली झांकियों की व्यवस्था अपने पास रखता है. सुरक्षा, रक्षा मंत्रालय के पास होने का एक कारण और भी है. क्योंकि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राष्ट्रपति होते हैं और वो तीनों सेना के प्रमुख भी हैं, जिस वजह से रक्षा मंत्रालय सारी जिम्मेदारी अपने पास रखता है.  

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गणतंत्र दिवस की परेड में होने वाली झांकियों की प्रर्दशर्नी के लिए राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों की तरफ से सुझाव मांगे जाते हैं. जिसके बाद एक कमेटी फाइनल लिस्ट तैयार करती है. रक्षा मंत्रालय हर साल होने वाली परेड की चयन प्रक्रिया के लिए एक नियमावली प्रकाशित करती है. इस साल की नियमावली के मुताबिक ‘रिपब्लिक डे’ पर होने वाली परेड के लिए तीन थीम रखी गई हैं. 

ये थीम्स हैं नारी शक्ति, भारत की आजादी के 75 वर्ष और इंटरनेशनल इयर ऑफ मिलेट्स माने मोटा आनाज वर्ष (IYOM 2023). ये इसलिए क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी ने UN में साल 2023 को मोटा अनाज वर्ष घोषित करने के लिए प्रस्ताव रखा था. जिसका समर्थन 70 से ज्यादा देशों ने किया था. साथ ही दुनिया में मोटे अनाज का 20 प्रतिशत उत्पादन भारत में होता है. इस नजरिए से ये भी काफी जरुरी है.

कैसे होता है चुनाव?

राज्यों और मंत्रालयों की तरफ से प्रस्ताव आने के बाद एक एक्सपर्ट कमेटी कई दौर की बैठक करती है. इस कमेटी में कला और संस्कृति समेत कई अन्य क्षेत्रों से जुड़े एक्सपर्ट शामिल होते हैं. जिसके बाद कमेटी इन प्रपोजल्स का कई एंगल्स से रिव्यू करती है. एक बार सेलेक्शन होने के बाद चुने गए मेंबर्स को तीन तरह के डाइमेंशनल मॉडल लाने के लिए कहा जाता है. मॉडल लाने के बाद उन मॉडल्स पर डिस्कशन के लिए मीटिंग होती है. और अगर मीटिंग में प्रस्तावक नहीं आते हैं, तो उस प्रस्ताव को हटा दिया जाता है. इन मॉडल्स को लेकर भी कुछ खास निर्देश होते हैं. जैसे कि मॉडल पर सिर्फ राज्य का नाम अंग्रेजी और हिंदी में लिखा जा सकता है. झांकी के लिए ट्रैक्टर, 10 कलाकारों, ड्रेस और लोकगीत की जिम्मेदारी प्रस्तावकों की होती है.

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झांकियों को लेकर डिफेंस मिनिस्ट्री की कुछ स्पष्ट गाइडलाइन हैं. मसलन, दो राज्यों की झांकी एक जैसी नहीं होनी चाहिए. इसे तैयार करने में ज्यादा से ज्यादा प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है. ये ऐसी होनी चाहिए जिसमें देश की सांस्कृतिक विविधता नजर आए. झांकी का चयन जोनल सिस्टम के आधार पर होता है. देश के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 6 जोन में बांटा गया है. इसमें नॉर्थ, सेंट्रल, ईस्ट, वेस्ट, साउथ और नॉर्थ ईस्ट जोन शामिल होते हैं. सभी जोन मिलाकर कम से कम 15 झांकी तैयार की जाती हैं. इन्हें चुनते समय ये ध्यान रखा जाता है कि किसी जोन से ज़्यादा या कम झांकियों का चयन न हो. इतना ही नहीं, झांकी को तैयार होने के बाद और परेड में पेश होने से पहले इसका फाइनल रिव्यू किया जाता है ताकि ये देखा जा सके कि झांकी थीम पर कितनी खरी उतर रही है.

इन राज्यों की झांकियां दिखाई देंगी

इस बार 26 जनवरी को कर्तव्‍य पथ पर होने वाली गणतंत्र दिवस परेड में असम, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, दादर नगर हवेली और दमन दीव, गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल की 23 झांकियां प्रदर्शित की जाएंगी. इसके अलावा केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों की भी 6 झांकियां परेड भी शामिल होंगी.

वीडियो: 26 जनवरी परेड में कैसे चुना जाता है चीफ गेस्ट, जिसे दी जाती है 21 तोपों की सलामी

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