केंद्र सरकार की स्किल योजना ‘प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना’ (PMKVY) में कई गड़बड़ियां सामने आई हैं (CAG report on PMKVY). सीएजी की रिपोर्ट में बताया गया कि कहीं बैंक खातों में फर्जी नंबर डाले गए, तो कहीं कई लाभार्थियों के लिए एक ही फोटो इस्तेमाल की गई. इतना ही नहीं, करीब 34 लाख से ज्यादा युवाओं का पैसा अब तक अटका हुआ है और कई ट्रेनिंग सेंटरों पर ताले पड़ गए हैं.
'एक जैसी फोटो, अकाउंट नंबर 11111111111… ', प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना में बड़ा 'घोटाला'
CAG की रिपोर्ट में बताया गया कि प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) में बड़ी गड़बड़ियां सामने आई हैं. कहीं बैंक खाते में फर्जी नंबर डाले गए, तो कहीं कई लाभार्थियों के लिए एक ही फोटो इस्तेमाल की गई. और क्या पता चला?


भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानी सीएजी (CAG) ने गुरुवार, 18 दिसंबर को लोकसभा में यह रिपोर्ट में पेश की. ये गड़बड़ियां 2015 से 2022 के बीच, योजना के तीन चरणों में पाई गईं. यह योजना जुलाई 2015 में शुरू की गई थी, जिससे युवा ट्रेनिंग लेकर सर्टिफिकेट पाएं और आसानी से नौकरी पा सकें. लेकिन जांच में सामने आई गड़बड़ियों ने योजना पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
2015 से 2022 के बीच सरकार की प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) पर करीब 14,450 करोड़ रुपये खर्च हुए. मकसद था कि 1.32 करोड़ युवाओं को ट्रेनिंग देकर काम के लायक बनाया जाए, लेकिन सर्टिफिकेट सिर्फ करीब 1.1 करोड़ युवाओं को ही मिल पाए.
CAG की जांच में पता चला कि योजना के रिकॉर्ड में भारी गड़बड़ियां हैं. लाखों युवाओं के बैंक खाते की जानकारी या तो भरी ही नहीं गई या गलत भरी गई. कहीं खाते में 11111111111 या 123456 जैसे फर्जी नंबर लिखे मिले.
कई मामलों में एक ही बैंक खाता कई लोगों के नाम पर दर्ज पाया गया. इसका असर ये हुआ कि 34 लाख से ज्यादा युवाओं को अब तक उनका पैसा नहीं मिला. सरकार ने कहा कि भुगतान आधार से जुड़े खातों में होना था, लेकिन जांच में सामने आया कि बहुत कम लोगों को ही सही तरीके से पैसा मिला.
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एक ही फोटो कई लोगों के लिए इस्तेमाल
CAG ने यह भी पाया कि कई जगह ट्रेनिंग सेंटर बंद पड़े थे, लेकिन कागजों में वहां ट्रेनिंग चलती दिखाई गई. रिपोर्ट में सामने आया कि उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और राजस्थान में कई लोगों के नाम पर एक ही फोटो लगा दी गई. इससे शक और मजबूत हो गया कि रिकॉर्ड सही नहीं हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, CAG ने लाभार्थियों से ऑनलाइन सर्वे के जरिए संपर्क करने की कोशिश की. लेकिन करीब 36 फीसदी ईमेल भेजे ही नहीं जा सके. जिन ईमेल पर मैसेज गया, उनमें से भी बहुत कम लोगों ने जवाब दिया. कुल मिलाकर सिर्फ 171 जवाब मिले और इनमें से ज्यादातर जवाब एक ही ईमेल आईडी या ट्रेनिंग सेंटर की आईडी से भेजे गए. इससे साफ हुआ कि असली लाभार्थियों से सीधा संपर्क बहुत कम हो पाया.
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