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नूह हिंसा पर विदेशी मीडिया में क्या छपा, G20 को लेकर क्या शंका जता दी गई?

नूह हिंसा और मुंबई ट्रेन फायरिंग, दोनों घटनाओं पर पीएम मोदी की चुप्पी पर भी ज्यादातर विदेशी मीडिया ने बात की है...

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नूह हिंसा पर विदेशी मीडिया

नूह हिंसा और मुंबई ट्रेन फायरिंग. 31 जुलाई  2023 को घटीं ये दोनों ही खबरें इस वक्त देश में चर्चा का विषय हैं. आए दिन नए अपडेट्स आ रहे हैं. इसके इतर, हमारे देश में सरकारों की ये चिंता होती है कि दुनिया, उनके और देश के बारे में क्या कह रही है, क्या राय रखती है और उसे कैसे प्रचारित करती है. तो हाल की इन दो घटनाओं पर विदेशी मीडिया ने क्या-क्या छापा है. वो देखते हैं. शुरुआत अमेरिका से, जहां के अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स ने हिंसा की घटना को छापते हुए शीर्षक दिया है-

Under Hindu Nationalist Leaders, Sectarian Violence Flares in India
भारत में हिंदू राष्ट्रवादी नेताओं की देखरेख में भड़क उठी सांप्रदायिक हिंसा

अखबार ने अंदर लिखा है:

एक गनमैन जिसने मुस्लिम ट्रेन यात्रियों की हत्या की और एक हिंदू रैली जो दंगे में तब्दील हो गई. इन दोनों घटनाओं से पता चलता है कि भारत के शीर्ष हिंदू नेताओं के पक्षपातपूर्ण रुख ने देश में अराजक तत्वों को कैसे लाइसेंस दिया है.

मुंबई ट्रेन हादसे को लेकर अखबार ने इस बात का भी ज़िक्र किया कि घटना का एक ऑडियो सुनकर ऐसा लगता है जैसे गोली चलाने वाला जवान चेतन सिंह कह रहा है : ‘यदि आप हिंदुस्तान में रहना चाहते हैं, तो आपको मोदी और योगी को वोट देना होगा.’ वह भारत के अग्रणी हिंदू राजनेताओं, नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ के समर्थन की वकालत करता दिखाई देता है. इनमें से नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री और योगी आदित्यनाथ भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य के नेता हैं.

अखबार आगे लिखता है कि अगले दिन यानी मंगलवार एक अगस्त 2023 को प्रधानमंत्री मोदी ने एक हिंदू समारोह में भाग लिया. वो भी उसी राज्य में जहां ट्रेन में गोलीकांड की ये घटना हुई. लेकिन इस दौरान इन हत्याओं के बारे में उन्होंने कुछ नहीं कहा.

इसी लेख में अखबार ने नूह हिंसा पर अलग से लिखा कि ये हिंसा मुस्लिम बहुसंख्यक इलाके में तब हुई जब एक हिंदू राष्ट्रवादी संगठन के नेतृत्व में मार्च निकाला गया. मामला तब बिगड़ा जब इस रैली में हिंदू संगठन का एक प्रमुख, जिसपर कई मुसलमानों की हत्याओं का आरोप है, के शामिल होने की खबर वायरल हुई. इसपर रैली झड़प में बदल गई. और इसने एक सांप्रदायिक दंगे की शक्ल ले ली जो दिल्ली तक फैल गया. पुलिस ने कहा कि दुकानों, वाहनों और एक मस्जिद में आग लगा दी गई. इन दंगों में मस्जिद के इमाम सहित कम से कम पांच लोग मारे गए. 

अखबार फिर से दोनों घटनाओं को जोड़ते हुए लिखता है कि हालांकि, इन दोनों घटनाओं का एक दूसरे से कोई सम्बन्ध नहीं है, लेकिन मोदी के कार्यकाल में भारत में ऐसा होना कोई असामान्य बात नहीं है. ये घटनाएं देश में ऐसे समय में हो रही हैं जब सितंबर में नई दिल्ली में G 20 शिखर सम्मेलन होना है. इस दौरान मोदी दुनिया भर में अर्थव्यवस्था-केंद्रित ‘भारत की विकास गाथा’ का प्रचार कर रहे हैं और उनके नेतृत्व को पेरिस और वाशिंगटन में प्रशंसा भी मिली है.

अमेरिका के प्रमुख अखबार के बाद अब ब्रिटिश मीडिया की बात करें तो बीबीसी ने इन घटनाओं के आफ्टरमेथ पर लिखते हुए शीर्षक दिया है- 

Days after Nuh, Gurugram violence, victims count losses
नूह-गुरुग्राम हिंसा हो चुकने के बाद अपने नुकसान का आकलन करते पीड़ित

बीबीसी ने दंगों से पीड़ित लोगों की अलग-अलग तस्वीरें शेयर करते हुए लिखा- हिंदुओं और मुसलमानों के बीच हिंसक झड़पों में छह लोगों की मौत के तीन दिन बाद, उत्तर भारतीय राज्य हरियाणा के कुछ हिस्सों में तनाव बना हुआ है. नूह में, जहां सोमवार दोपहर को हिंसा शुरू हुई, सड़कें खाली हैं और हर जगह कांच के टुकड़े बिखरे हुए हैं. जली हुई कारों और दुकानों के मलबे, जिन्हें दंगाई भीड़ ने तोड़ दिया और लूट लिया, झड़पों की याद दिला रहे हैं.

अखबार इस बात का ज़िक्र भी करता है की मारे गए लोगों में दो "होम गार्ड" शामिल हैं, जो दंगों और सार्वजनिक गड़बड़ी को नियंत्रित करने में पुलिस की सहायता कर रहे थे. इस हिंसा में कई पुलिसकर्मी भी घायल हो गए. अखबार आगे लिखता है कि भारत की राजधानी दिल्ली के ठीक बाहर स्थित शहर गुरुग्राम में भी झड़पें फैलने के बाद अधिकारियों ने कर्फ्यू लगा दिया, इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दीं और हजारों अर्धसैनिक बल के जवानों को तैनात कर दिया. वहां एक मस्जिद में आग लगा दी गई और मंगलवार तक जारी हिंसा में एक मुस्लिम मौलवी की मौत हो गई. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पीड़ितों को आर्थिक मुआवजा देने की घोषणा की है और कहा है कि दोषियों को सजा दी जाएगी. लेकिन कई स्थानीय लोगों को डर है कि एक छोटी सी चिंगारी भी हिंसा की एक नई लहर को जन्म दे सकती है.

तीसरे अंतर्राष्ट्रीय मीडिया नेटवर्क की बात करें तो कतर से प्रकाशित होने वाले अलजजीरा ने शीर्षक दिया है- 

Muslims in fear in India’s Gurugram after attacks on mosque, businesses
भारत के गुरुग्राम में मस्जिद, दुकानों(व्यवसायिक संस्थानों) पर हमलों के बाद डरे हुए मुसलमान

अलजजीरा ने लिखा- गुरुग्राम के सेक्टर 57 में अंजुमन जामा मस्जिद वीरान है. लगभग 10 पुलिस अधिकारी इस कंक्रीट संरचना के सामने खड़े हैं, जिसमें 450 लोग आकर नमाज अदा कर सकते थे, लेकिन अब यह मलबे और राख का ढेर बन गया है. यह मस्जिद गुरुग्राम में मुस्लिम पूजा के लिए कुछ स्थानों में से एक था जिसपर 31 जुलाई की रात को कथित तौर पर हिंदू राइट विंग भीड़ द्वारा हमला किया गया था. हमलावरों ने मस्जिद में आग लगा दी और एक 22 वर्षीय नायब इमाम मुहम्मद साद को मार दिया जो उस समय अंदर था. 2011 से इस क्षेत्र में रहने वाले 32 वर्षीय व्यक्ति ने अल जज़ीरा को बताया, “यह हमला नूह के लिए बदला था.

अखबार ने इस बात का भी ज़िक्र किया कि millennium city, गुरुग्राम के जिन हिस्सों में हिंसा हुई थी वो घटनास्थल Google और डेलॉइट जैसी कंपनियों के ऑफिस से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर हैं. हरियाणा में हुई ये हिंसा G 20 शिखर सम्मेलन से एक महीने पहले हुई है. जिसमें नई दिल्ली में दुनिया भर के लीडर्स आने वाले हैं.

अखबार ने ट्रेन में RPF जवान के एक सहकर्मी और तीन मुस्लिम यात्रिओं की हत्या का भी ज़िक्र किया है. अखबार ने इस बात को भी हाइलाइट किया है कि प्रधानमंत्री मोदी ने इस हिंसा पर कोई टिप्पणी नहीं की है.  

और अंत में अगर बात करें CNN, जोकि अमेरिकी मीडिया संस्थान है तो उसने शीर्षक दिया है- 

Deadly communal violence flares in India a month before world leader summit
वर्ल्ड लीडर्स के शिखर सम्मेलन से एक महीने पहले भारत में भड़की जानलेवा सांप्रदायिक हिंसा 

CNN के मुताबिक, इस सप्ताह हिंसा की अलग-अलग घटनाओं, जिसमें ट्रेन में एक पुलिसकर्मी द्वारा तीन मुस्लिम पुरुषों की कथित तौर पर गोली मारकर हत्या करना भी शामिल है, ने राजधानी में G 20 नेताओं के स्वागत से कुछ हफ्ते पहले भारत में गहरी सांप्रदायिक दरार को उजागर किया है. उत्तरी राज्य हरयाणा में सोमवार को उस समय हिंसा भड़क उठी जब एक दक्षिणपंथी हिंदू संगठन ने मुस्लिम बहुल क्षेत्र नूह में एक धार्मिक जुलूस निकाला. 

अखबार ने इस बात का भी ज़िक्र किया कि वित्त और तकनीकी केंद्र, गुरुग्राम के कई जिलों में झड़पें फैल गईं, जहां 15 लाख से अधिक लोग और सैकड़ों वैश्विक कंपनियां काम करती हैं. यहां हिंसक भीड़ ने मुख्य रूप से मुस्लिमों की संपत्तियों को निशाना बनाया, इमारतों में आग लगा दी. दुकानों और रेस्तरां को तोड़ दिया.

अखबार ने आगे लिखा, मोदी और उनकी भारतीय जनता पार्टी भारत की जो छवि पेश करना चाहते हैं वह एक आत्मविश्वासी, जीवंत और आधुनिक महाशक्ति की छवि है और यह वही छवि होगी जिसे वे भारत में अगले महीने नई दिल्ली में जी20 नेताओं की बैठक में प्रदर्शित करना चाहेंगे. लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि हिंसा की ये घटनाएं मोदी के लगभग एक दशक के शासन के बाद दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में भाजपा के हिंदू राष्ट्रवादी नीतियों में आई तेजी की असहज वास्तविकता को रेखांकित करती हैं.

इसके अलावा कई और अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों ने समाचार एजेंसियों के हवाले से इस घटना को कवर किया है.