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पश्चिम बंगाल में गैंगरेप पीड़िताओं ने TMC के लोगों पर गंभीर आरोप लगाए हैं

बूढ़ी महिला का पोते के सामने और नाबालिग का जंगल में घसीटकर गैंगरेप करने का आरोप.

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बाएं से दाएं. TMC और BJP के झंडे. सुप्रीम कोर्ट. कोर्ट पहले ही West Bengal Violence पर केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर चुका है. (फोटो: PTI)
पश्चिम बंगाल की तीन महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं डाली हैं. तीनों ने आरोप लगाया है कि चुनाव के बाद TMC के लोगों ने उनका बलात्कार किया. आरोप है कि BJP समर्थक होने की वजह से उनके साथ ऐसा किया गया. इन तीन पीड़िताओं में से एक नाबालिग है. पीड़िताओं ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने उनकी शिकायत पर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की. यहां तक कि उनके ऊपर FIR वापस लेने का दबाव डाला गया. ऐसे में वे चाहती हैं कि CBI या SIT इन मामलों की जांच करे और जांच पूरी तरह से अदालत की निगरानी में हो. पोते के सामने दादी का गैंगरेप इन याचिकाओं में पीड़िताओं ने गंभीर आरोप लगाए हैं. 60 साल की महिला का आरोप है कि TMC के गुंडों ने उनके छह साल के पोते के सामने ही उनका गैंगरेप किया. इंडिया टुडे से जुड़ी अनीषा माथुर की रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़िता ने अपनी याचिका में कहा-
"चुनाव परिणाम आने के अगले दिन यानी 3 मई को हमारे घर को 100 से 200 लोगों की भीड़ ने घेर लिया. भीड़ में तृणमूल कांग्रेस के समर्थक शामिल थे. इन लोगों ने मुझे और मेरे परिवार को धमकी दी. कहा कि हम घर छोड़कर चले जाएं, नहीं तो अंजाम भुगतना होगा. भीड़ में शामिल लोगों ने मेरी बहू को बुरी तरह से पीटा. उसे घायल कर दिया."
याचिका में आगे लिखा गया,
"चार मई को रात में करीब साढ़े बारह बजे पांच लोग हमारे घर आए. ये सभी तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता थे. वे घर में जबरन घुस गए. उन्होंने पहले मुझे मारा पीटा. फिर फिर मेरे हाथ बेड से बांध दिए. उसके बाद बारी-बारी से बलात्कार किया. इस दौरान मेरा छह साल का पोता मौजूद था. जो बेड के नीचे छिप गया."
पीड़िता ने अपनी शिकायत में यह भी आरोप लगाया कि उसका गैंगरेप बदला लेने की भावना के साथ किया गया क्योंकि वो और उसका परिवार बीजेपी के समर्थक हैं. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़िता ने बताया कि शुरुआत में पुलिस ने FIR दर्ज करने से मना कर दिया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक पीड़िता ने अपनी याचिका में यह भी कहा कि कथित गैंगरेप के आठ दिन के बाद उसकी हालत बिगड़ गई. जिसके बाद उसे एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां मेडिकल रिपोर्ट में उसके साथ रेप की पुष्टि हुई.
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव नतीजे आने के साथ बंगाल में हिंसा की रिपोर्ट्स आई थीं. (तस्वीर: एएनआई)
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव नतीजे आने के साथ बंगाल में हिंसा की रिपोर्ट्स आई थीं. (तस्वीर: एएनआई)

रिपोर्ट के मुताबिक, बाद में पुलिस ने इस मामले में FIR दर्ज की, लेकिन सिर्फ एक आरोपी के खिलाफ ही. जबकि पीड़िता ने अपनी याचिका में पांच आरोपियों के खिलाफ शिकायत करने की बात कही है. हालांकि, कोलकाता पुलिस का कहना है कि पीड़िता के परिजनों ने केवल एक आरोपी के खिलाफ ही FIR दर्ज कराई थी. जिसे पुलिस ने गिरफ्तार भी कर लिया है. आरोपी की पहचान 35 साल के मोहम्मद उस्मान के तौर पर हुई है. आरोपी फिलहाल न्यायिक हिरासत में है. जंगल में घसीटकर नाबालिग का गैंगरेप दूसरा मामला 17 साल की नाबालिग के कथित गैंगरेप से जुड़ा है. इस मामले में जो याचिका डाली गई है, उसमें कहा गया है-
"नौ मई को पीड़िता अपनी दोस्त के साथ दादी के घर से लौट रही थी. रास्ते में पीड़िता और उसकी दोस्त को चार आदमियों ने रोक लिया. वे चारों उन्हें पास के जंगल में घसीट ले गए. इस दौरान चारों ये चिल्लाते रहे कि पीड़िता और उसकी दोस्त के परिवारों को BJP का समर्थन करने की सजा मिलेगी."
याचिका में आगे कहा गया है कि चारों ने बारी-बारी से नाबालिग पीड़िता का करीब घंटे भर तक बलात्कार किया. इस दौरान पीड़िता की दोस्त वहां से भागने में कामयाब हो गई. वो भागकर सीधे पीड़िता के घर पहुंची. पीड़िता के घरवालों को घटनास्थल पर लेकर आई. जहां पीड़िता के  घरवालों ने उसे बेहोशी की हालत में पाया. याचिका में यह भी कहा गया कि शिकायत के बाद भी पुलिस ने एक भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया.
हालांकि, इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कोलकाता पुलिस का कहना है कि शिकायत के तुरंत बाद ही इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है. पीड़िता ने याचिका में यह भी कहा है कि TMC के स्थानीय नेताओं ने उसे और उसके परिवार को धमकाया. यही नहीं, उसे जबरन बाल सुधार गृह भेज दिया गया, ताकि वो अपने परिवार से ना मिल पाए.
राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की है. (फोटो: पीटीआई)
राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की है. (फोटो: पीटीआई)

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, ठीक इसी तरह के आरोप एक 19 साल की पीड़िता ने भी लगाए हैं. तीनों याचिकाओं में कहा गया है कि पुलिस आरोपियों को बचा रही है और शुरुआत से ही पुलिस ने इन जघन्य अपराधों को छोटी-मोटी घटना के तौर पर पेश करने की कोशिश की है. ये तीनों याचिकाएं उस याचिका के संबंध में डाली गई हैं, जिसे पश्चिम बंगाल बीजेपी के उन कार्यकर्ताओं की परिवारों की तरफ से डाला गया है, जिन्हें चुनाव बाद की हिंसा में कथित तौर पर TMC कार्यकर्ताओं ने मार दिया. पश्चिम बंगाल हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट का नोटिस बता दें कि 2 मई को पश्चिम बंगाल विधानसभा का चुनाव परिणाम आने के बाद राज्य में हिंसा हुई थी. इसी दौरान BJP ने आरोप लगाया था कि उसकी दो कार्यकर्ताओं का TMC के लोगों ने गैंगरेप किया. हालांकि, पश्चिम बंगाल पुलिस ने इन आरोपों को फेक घोषित कर दिया था. जिन कार्यकर्ताओं के रेप की बात बीजेपी की तरफ से कही गई थी, उनमें से एक ने रेप की बात को नकार दिया था. उसके बाद बीजेपी के नेता गौरव भाटिया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी. इस याचिका में उन्होंने मांग की थी कि चुनाव के बाद पश्चिम बंगाल में जो हिंसा हुई, बीजेपी के कार्यकर्ताओं का जो मर्डर और रेप हुआ, उसकी CBI जांच कराई जाए.
इसके बाद 25 मई को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, पश्चिम बंगाल सरकार, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय महिला आयोग को नोटिस जारी किए थे. कोर्ट ने इन संस्थाओं से पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा की रिपोर्ट मांगी थी. पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से कहा गया था कि कोलकाता हाई कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच ने पहले ही इस मामले का संज्ञान ले लिया है. साथ ही बेंच SIT जांच के लिए डाली गई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. राज्य सरकार की तरफ से यह भी कहा कि पुलिस ने FIR दर्ज की हैं और आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. वहीं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने अपनी रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट को बताया कि चुनाव के बाद पश्चिम बंगाल में गंभीर स्तर पर मानवाधिकारों का हनन हुआ है.

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