बंगाल विधानसभा के भीतर झड़प, बीजेपी विधायक सुवेंदु अधिकारी (फोटो- वीडियो स्क्रीनशॉट)
बीरभूम हिंसा को लेकर सोमवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ. हंगामा ऐसा हुआ कि मारपीट की नौबत आ गई. बीजेपी और टीएमसी के विधायक सदन के भीतर ही आपस में भिड़ गए. जिसके बाद सुवेंदु अधिकारी समेत पांच बीजेपी विधायकों को सस्पेंड कर दिया गया. सस्पेंड होने वालों में बीजेपी विधायक मनोज तिग्गा, नरहरी महतो, शंकर घोष और दीपक बरमन भी शामिल हैं. सदन में विधायकों की हाथापाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. बंगाल विधानसभा के बजट सत्र का आज आखिरी दिन है. टीएमसी और बीजेपी दोनों दलों ने एक-दूसरे पर आरोप लगाया और दावा किया कि इस हाथापाई में उनके विधायक घायल भी हुए हैं. इस झड़प की घटना के बाद बीजेपी विधायकों ने सदन के बाहर प्रदर्शन किया. सस्पेंडेड विधायक सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि विपक्ष ने अंतिम दिन कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर चर्चा की मांग की, लेकिन सरकार ने इसे खारिज कर दिया. अधिकारी ने आरोप लगाया कि इसके बाद उनके 8-10 विधायकों से हाथापाई के लिए राज्य सरकार ने कोलकाता पुलिस को सिविल ड्रेस में बुला लिया. सुवेंदु अधिकारी ने मीडिया से बातचीत में कहा,
"जिस तरह की स्थिति अनारुल हुसैन ने रामपुरहाट घटना में पैदा की थी, वही सदन के भीतर टीएमसी विधायकों और उनकी पुलिस के द्वारा देखी गई. हम इसके खिलाफ आज दोपहर 2 बजे प्रदर्शन करेंगे. मैं स्पीकर को शिकायत लिखूंगा और नियमों के अनुसार कार्रवाई की मांग करूंगा. हम इस घटना में केंद्र का हस्तक्षेप चाहते हैं."
वहीं, टीएमसी ने कहा कि इस झगड़े में पार्टी विधायक असित मजूमदार घायल हो गए, जिन्हें अस्पताल ले जाया गया है. टीएमसी नेता और मंत्री फिरहद हकीम ने मीडिया से कहा कि विधानसभा में अफरातफरी पैदा करने के लिए बीजेपी ड्रामा कर रही है. उन्होंने कहा,
"सदन के भीतर हमारे कुछ विधायक घायल हुए हैं. हम बीजेपी की इस कृत्य की निंदा करते हैं."
कैसे हुई झड़प?
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही बीजेपी विधायकों ने बीरभूम हिंसा को लेकर हंगामा करना शुरू कर दिया था. वे सीएम ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग कर रहे थे. बीजेपी विधायकों ने मुख्यमंत्री के खिलाफ नारेबाजी भी की. स्पीकर बिमान बनर्जी ने विधायकों से सीट पर बैठने का अनुरोध किया, लेकिन उनका विरोध जारी रहा. करीब आधे घंटे बाद टीएमसी विधायक भी वेल के पास पहुंच गए. इसके बाद ही विपक्षी सदस्यों से बहस शुरू हुई और यह झड़प में बदल गई.
बीजेपी नेता सुकांता मजूमदार ने आज तक से बातचीत में कहा कि आज विधानसभा में जो भी हुआ वह लोकतंत्र को शर्मसार करने वाला है. उन्होंने कहा,
"ऐसी घटना हमने पहले कभी नहीं देखी. जिस तरीके से बीजेपी विधायकों के साथ हाथापाई की गई, महिलाओं को भी नहीं छोड़ा गया, यह साबित करता है कि पश्चिम बंगाल में कानून-व्यवस्था नहीं बची है. हम विरोध जता रहे थे. यह विपक्ष का काम है. इस घटना के लिए स्पीकर जिम्मेदार हैं, उन्हें अपने पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है. स्पीकर को इस्तीफा दे देना चाहिए."
केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री और बांकुरा से सांसद डॉ सुभाष सरकार ने कहा कि पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र के लिए एक 'काला दिन' है. उन्होंने कू ऐप पर लिखा,
"रामपुरहाट नरसंहार पर चर्चा की मांग करने पर टीएमसी विधायकों ने विधानसभा के भीतर बीजेपी विधायकों पर हमला किया. यह घटना निंदनीय है."
क्या है बीरभूम हिंसा?
22 मार्च को बीरभूम जिले के रामपुरहाट में कई घरों में आग लगा दी गई थी, जिसमें 8 लोगों की जिंदा जलकर मौत हो गई थी. ये घटना टीएमसी के लोकल पंचायत नेता भादू शेख की हत्या के तुरंत बाद हुई थी. टीएमसी पर आरोप लगा कि राजनीतिक प्रतिशोध के लिए इस आगजनी की घटना को अंजाम दिया गया. आठ मृतकों में तीन महिलाएं और दो बच्चे भी शामिल थे. इस घटना में टीएमसी के एक नेता अनारुल हुसैन सहित 20 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि अनारुल सरेंडर करें नहीं तो उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा. सीएम बनर्जी ने इस घटना में पुलिस की लापरवाही को भी जिम्मेदार ठहराया. सीएम ने कहा था कि जो पुलिस वाले इस घटना के लिए जिम्मेदार हैं इसलिए उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. हालांकि, पिछले हफ्ते कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस घटना की जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दे दिया.