सवाल नंबर 1 - क्राइम सीन क्यों खराब किया?

बाइक के पास भी पहले बैरिकेडिंग लगी थी.
28 सितंबर की रात को घटना हुई. एक जगह गोली चली. उससे करीब 350 मीटर दूर विवेक की एक्सयूवी कार अंडरब्रिज के खंभे से भिड़ गई. गोमतीनगर थाने की पुलिस मौके पर पहुंची. जांच शुरू की. क्राइम सीन को अपने कब्जे में लिया. बैरिकेडिंग लगवाई. पर शनिवार दोपहर 3 बजे तक ये बैरिकेडिंग मौके से हट गई. गाड़ियां (एसयूवी और बाइक) गोमतीनगर थाने पहुंचा दी गईं.
तो पहला सवाल यही है कि ये बैरिकेडिंग क्यों हटी. गाड़ियां मौके से क्यों हटीं, जबकि शनिवार को, यानी तब तक आईजी सुजीत पांडेय के नेतृत्व में 10 लोगों की एसआईटी गठित हो चुकी थी. पुलिस को पता रहा होगा कि ये टीम मौके पर जांच करने आएगी. सीन री-कंस्ट्रक्शन होगा. ऐसे में उस क्राइम सीन को सुरक्षित रखा जाना चाहिए था. पर ऐसा नहीं हुआ. क्या गोमतीनगर पुलिस ने ऐसा इसलिए किया कि अब उसे तो जांच करनी नहीं. सो एसआईटी जाने, उसका काम जाने.

क्राइम सीन पर पहले बैरिकेडिंग लगाई गई थी.
सवाल नंबर 2 - एसआईटी ने एक दिन की देर क्यों की
क्राइम सीन तो गड़बड़ा ही चुका था. पर इसके लिए गोमतीनगर थाने की पुलिस के साथ ही एसआईटी भी जिम्मेदार है. वो इसलिए कि क्यों नहीं उसने लोकल पुलिस से उस क्राइम सीन को सुरक्षित रखने को बोला. 29 सितंबर यानि शनिवार को गठन के बाद भी 29 सितंबर यानि रविवार को एसआईटी मौके पर क्यों पहुंची. एक दिन गुजरने का इंतजार क्या इसलिए किया जा रहा था कि क्राइम सीन ठीक से बरबाद हो जाए. पुलिस को बचाया जा सके.
हमने इस बारे में एसआईटी मुखिया आईजी सुजीत पांडे से बात करने की कोशिश की. बताया गया, सुबह से मीटिंग में बिजी हैं.
सवाल नंबर 3 - सबूत पर भरोसा क्यों करें
एसआईटी ने मौके से मिट्टी के सैंपल लिए. गाड़ी के टूटे शीशे जैसे अवशेष इकट्ठा किए. टायर के निशान लिए. मगर इसमें ज्यादातर तो क्राइम सीन खराब होने के चलते किसी काम के नहीं रहे. अब सोचिए कोर्ट तक पहुंचते पहुंचते बचाव पक्ष इन सबूतों पर क्यों न सवालिया निशान उठाएगा.

घटना के बाद मौके पर पहुंची लोकल पुलिस.
सवाल नंबर 4 - सीन रिक्रिएट करते वक्त चश्मदीद गवाह क्यों नहीं
जब कोई भी क्राइम होता है तो पुलिस उसकी जांच के दौरान उसका सीन री-कंस्ट्रक्शन करवाती है. तमाम टीवी चैनलों पर आपने नाट्य रूपांतरण देखा होगा, इसे वहीं समझ लीजिए. माने पुलिस समझने की कोशिश करती है कि घटना कैसे हुई होगी. तो एसआईटी ने भी ये काम किया. जानना चाहा होगा कि कैसे सिपाही प्रशांत ने गोली चलाई, कैसे उसे टक्कर मारी गई. फिर कैसे विवेक की एक्सयूवी खंभे पर भिड़ गई. पर ये सब जैसे किया गया, उस पर सवाल खड़े हो रहे हैं. मतलब जब ये सीन री-कंस्ट्रक्शन करवाया जा रहा था, तब न मौके पर वो गाड़ियां थीं, जिनसे घटना हुई. और न कोई दूसरी डमी गाड़ियां मौके पर लाईं गईं. मामले में चश्मदीद गवाह विवेक की साथी सना को भी नहीं लाया गया. अब ये तो वही हो गया कि मकान बिना नक्शे के बना दिया जाए. कुल मिलाकर एसआईटी वहां मन ही मन सीन री-कंस्ट्रक्ट करवाकर लौट आई है.

मौक पर गवाह सना को क्यों नहीं बुलाया गया.
सवाल नंबर 5 - पुलिस ने विवेक की गाड़ी किसी नीयत से तोड़ी
आप पहले इन दो तस्वीरों को देखिए. पहली है अंडर पास के पास की जिसके पिलर से एक्सयूवी टकराई थी. इसमें कार का बम्पर सुरक्षित है. नंबर प्लेट भी लगी है. दूसरी तस्वीर में नंबर प्लेट गायब है और बम्पर बुरी तरह क्षतिग्रस्त है. यही नहीं गाड़ी के एयर बैलून भी खुले हैं. अब एक्सयूवी चंद घंटों में खड़े-खड़े इतना डैमेज कैसे हो गई, इस पर भी सवाल उठ रहे हैं. लोग कह रहे हैं कि पुलिस ने लीपापोती करने के लिए और अपना वर्जन तैयार करने के लिए ये सब किया.

विवेक की कार का एक्सीडेंट और बाद के वक्त की फोटो.
विवेक के भाई नीरज का कहना है कि घटना के समय गाड़ी में मौजूद सना ने बताया था कि गाड़ी काफी कम स्पीड में अंडरपास से टकराई थी. अगला हिस्सा भी मामूली रूप से डैमेज हुआ था, लेकिन पुलिस ने जब गाड़ी रिकवर की तो वह बुरी तरह क्षतिग्रस्त मिली है. इससे यही आशंका है कि पुलिस ने रश ड्राइविंग दिखाने के चक्कर में एक्सयूवी को अंडरपास के पिलर से दोबारा भिड़ाकर डैमेज किया होगा.
क्या कर रही है सरकार?