The Lallantop

क्या इंग्लैंड की रानी अब भी भारत के प्रधानमंत्री को कभी भी हटा सकती हैं?

क्या गवर्नर जनरल के द्वारा इंग्लैंड अभी भी भारत पर राज कर रहा है? 'मोदी को क्यों डांट दिया रानी ने' वाले वायरल वीडियो की पड़ताल... पार्ट-2

post-main-image
इस वायरल वीडियो में अनाप-शनाप दावे किए गए हैं.

क्या भारत सी राजगोपालाचारी के दस्तखत से 99 साल की लीज़ पर लिया गया था?

राजाजी ने गवर्नर जनरल का पद लेते हुए इंग्लैंड के राजा के नाम की कसम क्यों खाई?

क्या भारत का प्रधानमंत्री इंग्लैंड की रानी का सेवक होता है?

कॉन्सपिरेसी थ्योरी में रुचि लेते हों तो आपने ये बातें सुनी होंगी. इनके समर्थन में दिए जाने वाले अजीबोगरीब लेकिन बेहद दिलचस्प तर्क भी सुने होंगे. आपने शायद ही कभी इन बातों को गंभीरता से लिया हो. लेकिन एक यूट्यूब चैनल 'भारत परिवार' इन चीज़ों को इस तरह से परोस रहा है कि अच्छे-अच्छे भी सही और गलत में फर्क न कर पाएं. इस चैनल पर एक वीडियो है - "मोदी को क्यों डांट दिया रानी ने? भारत आज भी गुलाम? पक्के सबूत!" इसके थंबनेल पर सवाल है - "भारत का सम्राट कौन मोदी या रानी?" इस वीडियो को अब तक 50 लाख से ज़्यादा लोगों ने देखा है. इसमें इंग्लैंड के प्रिंस विलियम और रानी एलिजाबेथ हिंदी में बात कर रहे हैं. ये बातें अविश्वसनीय हैं. लेकिन वीडियो में नज़र आ रहा अंकित अपनी बातों के लिए ऐसे-ऐसे तर्क देता है कि आप सोच में पड़ जाते हैं. अंकित ये भी कहता है कि वो अपने बताए 'सच' के लिए जेल तक जाने को तैयार है. आप ये वीडियो देखिए और फिर इन दावों की सच्चाई जानिए.

'दी लल्लनटॉप' से एक हज़ार से ज़्यादा लोगों ने फेसबुक और ईमेल के ज़रिए इस वीडियो का सच पूछा. बात संविधान से जुड़ी धाराओं की थी, तो हमने मदद ली संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप और पंजाब यूनिवर्सिटी में हिस्ट्री के प्रोफेसर एम राजीवलोचन से. पढ़िए हमारी खास सीरीज़ जिसमें हम 'भारत परिवार' के हर दावे की पड़ताल करेंगे और बताएंगे कि अंकित को जेल जाना चाहिए कि नहीं. पहली किस्त में हमने दो दावों की पोल खोली थी. उसे आप यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं
. आगे के दावों की पड़ताल पेश है -

दावा 3- इंग्लैंड की रानी भारत और पाकिस्तान की रानी हैं. भारत में राष्ट्रपति के अलावा किसी और को 21 तोपों की सलामी नहीं दी जाती लेकिन इंग्लैंड की रानी के भारत आने पर उनको दी जाती है. इसलिए सी राजगोपालाचारी ने 21 जून, 1948 को इंग्लैंड के महाराजा के नाम पर शपथ ली थी. गणतंत्र शब्द का मतलब मालिक बनना नहीं होता. इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट में भी लिखा है कि भारत के किसी भी कानून को गवर्नर जनरल, इंग्लैंड की रानी की आज्ञा से रद्द कर सकते हैं. भारत के संविधान को भी गवर्नर जनरल ने मान्यता दी. एक फोटो भी दिखाया गया है जिसमें राजगोपालाचारी किसी कागज पर दस्तखत कर रहे हैं. इससे भारत 99 साल की लीज़ पर लिया गया है जिसे ब्रिटेन कभी भी रद्द कर सकता है. ब्रिटिश नेशनलिटी एक्ट-1948 के तहत भारत के नागरिक ब्रिटिश कानूनों के तहत आते हैं. यहां के किसी भी नागरिक को इंग्लैंड की रानी कभी भी सज़ा दे सकती हैं, चाहे वो यहां का प्रधानमंत्री क्यों न हो.

सच्चाई क्या है?

1. राजगोपालाचारी ने राजा के नाम की शपथ इसलिए खाई...

प्रोफेसर राजीवलोचन और सुभाष कश्यप के मुताबिक इंग्लैंड के राजा 14 अगस्त, 1947 तक ही भारत के राजा थे. 26 जनवरी, 1950 को भारत डोमिनियन स्टेट से एक गणराज्य बन गया और इंग्लैंड के राजा का शासन हमेशा के लिए भारत से खत्म हो गया. माउंटबेटन का कार्यकाल खत्म होने के बाद सी. राजगोपालाचारी ने गवर्नर जनरल पद की शपथ ली. गवर्नर जनरल संविधान बनने और भारत के डोमिनियन स्टेट से गणराज्य बनने तक राजा का प्रतिनिधि था. इसलिए राजगोपालाचारी ने इंग्लैंड के राजा के नाम पर ही शपथ ली थी. ये पद 26 जनवरी, 1950 को हमेशा के लिए खत्म हो गया.

2. क्या इंग्लैंड की रानी का भारत के कानून में कोई हस्तक्षेप है?

भारत का संविधान जब तैयार हुआ, तो उसे मान्यता गवर्नर जनरल ने नहीं, बल्कि सविंधान सभा के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद ने दी थी. प्रसाद 26 जनवरी, 1950 को भारत के पहले राष्ट्रपति बने. संविधान लागू होने पर 26 जनवरी, 1950 को ही भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और नए राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने संविधान की शपथ ली. गवर्नर जनरल का पद इस दिन से खत्म हो गया. ऐसे में रानी की आज्ञा से गवर्नर जनरल का कोई एक्शन लेना संभव ही नहीं है. क्योंकि गवर्नर जनरल कोई है ही नहीं. राजगोपालाचारी का जो फोटो इस वीडियो में दिखाया गया है वो 15 जुलाई, 1950 का है, जब राजगोपालाचारी ने कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली थी. इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट भारत के गणराज्य बनने तक ही लागू था. भारत के गणराज्य बनते ही इस एक्ट के प्रावधान अपने-आप रद्द हो गए. संविधान के मुताबिक गणतंत्र शब्द का मतलब- जनता का, जनता के लिए, जनता द्वारा शासन है. इसमें कहीं भी रानी का जिक्र नहीं है.


मं
मंत्रीपद की शपथ लेते सी. राजगोपालाचारी.

3. हैलो फ्रेंड्स, लीज़ ले लो

भारत के किसी तरह की लीज़ पर होने वाली बात मनगढ़ंत है. सोशल मीडिया पर कहीं-कहीं इसे 50 साल की लीज बताया जाता है, जिसे 1997 में 20 साल के लिए बढ़ा दिया गया. लेकिन ये 20 साल, 2017 की जगह 2019 में पूरे होते हैं. क्यों, वो आप समझिए. ब्रिटिश नेशनेलिटी एक्ट, 1948 में इंग्लैंड की सभी कॉलोनियों यानी गुलाम देशों के नागरिकों को ब्रिटेन की नागरिकता दी गई थी. लेकिन इसके बाद इंग्लैंड में प्रवासियों की संख्या बढ़ने लगी. इसके बाद इंग्लैंड ने 1971 में नई इमीग्रेशन पॉलिसी बनाई. जिसमें विदेशियों के इंग्लैंड आने के नियम थोड़े कठोर हुए. ब्रिटिश नेशनलिटी एक्ट-1981 आने के बाद इंग्लैंड ने अपनी (पूर्व) कॉलोनियों के नागिरकों को अपना नागरिक मानना बंद कर दिया.

4. रानी का इंसाफ

किसी भी देश का कानून उस देश की परिधि में लागू होता है. ऐसे में इंग्लैंड की रानी का शासन भी वहां की परिधि में चलेगा. वो अपने दायरे के बाहर वो पीएम तो क्या किसी आम नागरिक को सजा नहीं दे सकती.

5. रानी को सलामी

प्रोटोकॉल के मुताबिक राष्ट्रपति और उनके समकक्ष स्तर के किसी भी राजनेता को 21 तोपों की सलामी दी जा सकती है. अमेरिका के राष्ट्रपति (अब पूर्व) बराक ओबामा के भारत आने पर उन्हें भी 21 तोपों की सलामी दी गई थी. ये गूगल पर सर्च कर आसानी से देखा जा सकता है.


बराक ओबामा के भारत दौरे के समय उनको मिली 21 तोपों की सलामी की खबर.
बराक ओबामा के भारत दौरे के समय उनको मिली 21 तोपों की सलामी की खबर (सोर्स- आजतक).


दावा 4-  भारत का प्रधानमंत्री इंग्लैंड की रानी का सेवक है. इसीलिए मनमोहन सिंह सरकार ने दिल्ली के बुराड़ी में कोरोनेशन पार्क का निर्माण करवाया. मोदी सरकार ने हजारों करोड़ रुपए खर्च कर उस पार्क का जीर्णोद्धार करवाया. क्योंकि कोरोनेशन पार्क की जगह पर जॉर्ज पंचम का राजतिलक हुआ था. ऐसे ही राष्ट्रपति भवन के सामने लगे स्तंभ में रानी के हार में लगा चिह्न लगाया हुआ है.

सच्चाई क्या है?

1. इतिहास दफन न हो जाए, इसलिए बनवाया गया कोरोनेशन पार्क

कोरोनेशन पार्क के इतिहास के बारे में प्रोफेसर राजीवलोचन ने बताया कि अंग्रेज़ों के राज में भारत में जगह-जगह पर उनकी मूर्तियां लगी हुईं थीं. आज़ादी के बाद भारत की संसद में बहस हुई कि अंग्रेज़ों की मूर्तियों को देश में लगे रहने दिया जाए या नहीं. कुछ लोगों ने कहा कि मूर्तियों को तोड़ दिया जाए या हटा दिया जाए. लेकिन इसपर दूसरे लोगों ने असहमति जताई क्योंकि भारत के इतिहासकारों ने मुस्लिम आक्रांताओं पर हमेशा यही आरोप लगाए कि प्राचीन मूर्तियों को तोड़कर उन्होंने इतिहास से छेड़छाड़ करने की कोशिश की. इसपर तय किया गया कि इन मूर्तियों को नष्ट न करते हुए जगह-जगह इकट्ठा कर छोड़ दिया जाएगा. जिससे ये गुलामी का प्रतीक न होकर बस इतिहास का हिस्सा भर बनी रह जाएंगी. दिल्ली के कोरोनेशन पार्क में शहरभर की अलग-अलग मूर्तियों को इकट्ठा कर रखा गया. कोरोनेशन पार्क वह जगह थी, जहां भारत की राजधानी को कोलकाता से दिल्ली लाने पर पहली बार दरबार लगा था. इसलिए यहां पहले से एक पार्क बना था. इन मूर्तियों की शिफ्टिंग के बाद इस पार्क की हालत एकदम खराब होती गई. 2005 में इंडियन नेशनल ट्रस्ट ऑफ आर्ट एंड कल्चरल हैरिटेज (इंटैक) और दिल्ली सरकार ने पार्क की मरम्मत करवाई. वीडियो में विजय स्तंभ बताया गया स्तंभ अंग्रेजों ने अपनी राजधानी कोलकाता से दिल्ली शिफ्ट करने की याद में बनाया था. कोरोनेशन पार्क का जो फोटो इस्तेमाल हुआ है, उसमें उगी बड़ी घास दिखा रही है कि भारत सरकार कितने हज़ार करोड़ इसपर खर्च कर रही होगी.


दिल्ली का कॉरोनेशन पार्क.
दिल्ली का कॉरोनेशन पार्क.

इन भाईसाहब को दिल्ली के अलावा और ऐसी जगहों की जानकारी शायद न रही हो. ऐसा ही दक्षिण मुंबई में एक फेमस चौक है कालाघोड़ा चौक. 2017 में इस चौक पर एक काले घोड़े की मूर्ति लगाई गई. लेकिन इससे पहले भी इसे कालाघोड़ा चौक ही बोला जाता था. वजह थी 1965 तक यहां लगी किंग एडवर्ड्स की घोड़े पर सवार मूर्ति. 1965 में इसे यहां से हटाकर भायकुला के रानीबाग में रख दिया गया. और चौक बिना मूर्ति का रह गया. लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने इस जगह के ऐतिहासिक महत्व की वजह से 2017 में सिर्फ काले रंग की घोड़े की मूर्ति यहां लगवा दी.


1965 से पहले काला घोड़ा चौक पर लगी एडवर्ड्स की मूर्ति (सबसे बाएं). भयाकुला के पार्क में लगी किंग एडवर्ड्स की मूर्ति (बीच में) और वर्तमान में काला घोड़ा चौक (सबसे दाएं)
1965 से पहले काला घोड़ा चौक पर लगी एडवर्ड्स की मूर्ति (सबसे बाएं). भयाकुला के पार्क में लगी किंग एडवर्ड्स की मूर्ति (बीच में) और वर्तमान में काला घोड़ा चौक (सबसे दाएं)

2. राष्ट्रपति भवन में लगा स्तंभ

राष्ट्रपति भवन के सामने लगे स्तंभ का नाम जयपुर स्तंभ है. इसे जयपुर के राजा ने बनवाया था न कि अंग्रेजों ने. इसका निर्माण 1930 में पूरा हो गया था. इसके ऊपर लगे तारे को 'स्टार ऑफ इंडिया' कहा जाता है. जयपुर के राजा ने इसे भारत की बुलंदी का सितारा बताया था. अब रही बात इंग्लैंड की रानी के ताज में लगे सितारे की, तो ये ताज बना ही 1938 में था. ऐसे में 1930 में इस क्राउन का सितारा जयपुर स्तंभ पर लग ही नहीं सकता था. जयपुर स्तंभ की एक कॉपी जयपुर के सांगानेर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के बाहर भी लगी है. इसके ऊपर भी 'स्टार ऑफ इंडिया' लगा हुआ है.


दिल्ली में राष्ट्रपति भवन और जयपुर के सांगानेर एयरपोर्ट के सामने बना स्तंभ.
दिल्ली में राष्ट्रपति भवन(बाएं) और जयपुर के सांगानेर एयरपोर्ट के सामने बना स्तंभ(दाएं).

-----------

अंकित के दावों की लिस्ट अब भी खत्म नहीं हुई है. इसलिए हम तीसरी किस्त भी लेकर आएंगे. तब आप अच्छे से जान जाएंगे कि उन्हें जेल जाना चाहिए कि नहीं. पढ़ते रहिए.




वीडियो-साल 2018 की 5 बड़ी फेक न्यूज़ जो सोशल मीडिया पर घूमती रहीं