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संसद भवन में 'वास्तु दोष' बताने वाले खुशदीप बंसल 65 करोड़ के धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार

1997 में Vastu Expert Khushdeep Bansal ने दावा किया था कि पुराने संसद भवन की लाइब्रेरी में वास्तु दोष है, इसलिए सरकारें गिर रही हैं. उन्होंने दोष का निवारण भी बताया.

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27 साल बाद खुशदीप 65 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में गिरफ़्तार किया गया है. (फ़ोटो/आजतक)

खुद को वास्तु एक्सपर्ट बताने वाले खुशदीप बंसल (Vastu Expert  Khushdeep Bansal) धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार हो गए हैं. खुशदीप बंसल वही शख्स हैं जिन्होंने 1997 में दावा किया था कि पुराने संसद भवन की लाइब्रेरी में वास्तु दोष है, इसलिए लगभग एक साल में देश में 4 प्रधानमंत्री बने. ये दावा कर खुशदीप काफ़ी चर्चा में आए थे. अब 27 साल बाद उन्हें 65 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में गिरफ़्तार किया गया है. असम पुलिस ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की मदद से वास्तु एक्सपर्ट को अरेस्ट किया है.

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इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक़ दिल्ली स्थित सबरवाल ट्रेडिंग कंपनी के मालिक कमल सबरवाल ने 2022 में खुशदीप बंसल के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई है. पुलिस ने बताया कि असम में 65 करोड़ रुपये के ऑटोनॉमस काउंसिल स्कैम में मध्य प्रदेश के एक कांग्रेस नेता के बेटे समेत कुल पांच लोग आरोपी हैं. मामले में गौहाटी हाई कोर्ट ने आरोपियों के ख़िलाफ़ सर्च वारंट जारी किया है.

असम पुलिस ने पहले दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा से संपर्क किया. उन्हें बताया कि खुशदीप बंसल के ख़िलाफ़ गैर-जमानती वारंट है और वो दिल्ली के सैनिक फार्म इलाके में रहते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक़ स्पेशल सेल की काउंटर इंटेलिजेंस यूनिट (CI) ने 5 फरवरी को दिल्ली के बाराखंभा इलाके से खुशदीप बंसल और उसके भाई हरीश को गिरफ़्तार किया. इसके तुंरत बाद असम पुलिस ने आरोपियों को ट्रांजिट रिमांड पर लेकर असम भेज दिया.

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रिपोर्ट के मुताबिक असम पुलिस ने दिल्ली पुलिस के हवाले से बताया कि खुशदीप बंसल ने कमल सबरवाल को एक व्यक्ति से मिलवाया था. उस शख्स पर धोखाधड़ी के आरोप हैं. हालांकि असम पुलिस ने दावा किया है कि मामले से जुड़े सभी आरोपी इस घोटाले में शामिल थे.

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कौन हैं खुशदीप बंसल?

21 जून 1991 से 16 मई 1996 तक पीवी नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री रहे. 16 मई 1996 को अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री की शपथ ली. लेकिन 13 दिन बाद उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा. बहुमत की कमी के चलते उनकी सरकार गिर गई.

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अटल बिहारी के इस्तीफ़े के बाद 1 जून 1996 को एचडी देवगौड़ा ने प्रधानमंत्री की शपथ ली. और 21 अप्रैल 1997 तक वो प्रधानमंत्री रहे. 21 अप्रैल को इंद्र कुमार गुजराल ने प्रधानमंत्री की शपथ ली. मतलब लगभग एक साल में देश ने 4 प्रधानमंत्री देख लिए.

इसी के चलते 1997 में खुशदीप ने दावा किया था कि पुराने संसद भवन की लाइब्रेरी में वास्तु दोष है, इसलिए सरकारें गिर रही हैं. उन्होंने दोष का निवारण करने के लिए कहा कि संसद भवन और लाइब्रेरी की बिल्डिंग के नीचे तांबे के तार डालने चाहिए. बंसल ने कहा था कि ऐसा करने से एक ‘बैलेंस’ बना रहेगा और सरकारें अपना कार्यकाल पूरा कर पाएंगी.

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