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अब इस देश ने भी भारतीय कंपनी पर लगाया आरोप, कहा- 'कफ सिरप पीने से 18 बच्चों की जान चली गई'

कफ सिरप लेने के बाद 21 बच्चे बीमार हुए, 18 की मौत हो गई

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21 बच्चे बीमार हुए 18 की मौत हो गई | फोटो: इंडिया टुडे

गाम्बिया में 66 बच्चों की मौतों के बाद अब उज्बेकिस्तान (Uzbekistan) ने भी अपने यहां बच्चों की मृत्यु के लिए एक भारतीय दवा कंपनी को जिम्मेदार बताया है. उज्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने आरोप लगाया है कि उनके देश में 18 बच्चों की मौत एक भारतीय दवा कंपनी द्वारा बनाई गई कफ सिरप को पीने से हुई है.

इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक उज्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने एक बयान में कहा,

‘दवा लेने के बाद 21 में से 18 बच्चों की मौत हो गई. उन्हें सांस की गंभीर बीमारी हुई थी. मरने वाले बच्चों ने भारत के नोएडा स्थित मैरियन बायोटेक लिमिटेड (Marion Biotech pvt Ltd) द्वारा निर्मित ’डॉक 1 मैक्स' कफ सिरप का सेवन किया था. 'डॉक 1 मैक्स' सिरप और टैबलेट ठंड से बचाने की दवा है. चूंकि दवा का मुख्य घटक पेरासिटामोल है, इसलिए इसे कुछ दवा विक्रेताओं या माता-पिता ने खुद ठंड से बच्चों को बचाने के एक उपाय तौर पर इस्तेमाल कर लिया. जोकि एक गलत तरीका था. इन सभी बच्चों को बिना डॉक्टर की सलाह के ये दवा दी गई.'

मंत्रालय ने आगे बताया,

‘शुरुआती जांच के दौरान ये भी पाया गया कि अस्पताल में भर्ती होने से पहले मृतक बच्चों ने इस दवा को 2-7 दिनों तक, दिन में 3-4 बार लिया. हर बार खुराक 2.5-5 मिलीलीटर थी. जो बच्चों के लिए दवा की निर्धारित खुराक से ज्यादा है’

'डॉक 1 मैक्स' में विषैला पदार्थ मिला

उज्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक शुरुआती जांच से पता चला है कि खांसी की दवाई डॉक 1 मैक्स' में एथिलीन ग्लाइकॉल है, जो एक विषैला पदार्थ है. मंत्रालय के मुताबिक एथिलीन ग्लाइकॉल के 95 फीसदी कंसन्ट्रेशन वाले सोल्युशन की 1-2 मिली/किग्रा डोज अगर किसी रोगी को दे दी जाए, तो इससे उसे गंभीर नुकसान हो सकते हैं. उदाहरण के तौर पर उल्टी, बेहोशी, दिल की बीमारी के अलावा मरीज की किडनी भी फेल हो सकती है.

उज्बेकिस्तान की सरकार ने 'डॉक 1 मैक्स' की टैबलेट और सिरप देश के सभी मेडिकल स्टोर्स से वापस ले ली हैं. मंत्रालय ने अपने नागरिकों से भी कहा है कि वे अपने बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें और मेडिकल स्टोर्स से केवल डॉक्टर की सलाह के बाद ही दवाएं खरीदें.

उज्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि मैरियन बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड को 2012 में उज्बेकिस्तान में रजिस्टर्ड किया गया था.

गाम्बिया का मामला

अक्टूबर 2022 में गाम्बिया ने आरोप लगाया था कि भारत में निर्मित सिरप से उनके यहां 66 बच्चों की मौत हो गई थी. हालांकि इस बात की पुष्टि अभी तक नहीं हुई है कि भारतीय कफ सिरप की वजह से बच्चों की मौत हुई है. मामले को गंभीरता से लेते हुए भारत सरकार ने जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया था. कमेटी की जांच रिपोर्ट आने तक कंपनी का प्रोडक्शन बंद कर दिया गया था. इसके बाद 1, 3, 6 और 11 अक्टूबर को उस जगह का निरीक्षण किया गया, जहां इस सिरप का प्रोडक्शन किया जा रहा था. वहां से सैंपल कलेक्ट करके जांच के लिए चंडीगढ़ की लैब में भेजे गए थे.

नेपाल ने भारत की कंपनियां बैन कर दीं

बीते हफ्ते ही नेपाल ने दवा बनाने वाली भारत की 16 कंपनियों पर बैन लगाया है. इनमें बाबा रामदेव की पतंजलि के लिए दवा बनाने वाली 'दिव्य फार्मेसी' भी शामिल है. नेपाल ने आरोप लगाया कि ये सभी कंपनियां WHO के स्टैंडर्ड्स को पूरा नहीं कर रही हैं.

न्यूज़ एजेंसी PTI के मुताबिक पड़ोसी देश के डिपार्टमेंट ऑफ ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन ने दवा निरीक्षकों की एक टीम को इस साल अप्रैल और जुलाई में उन दवा कंपनियों का निरीक्षण करने के लिए भारत भेजा. जिन्होंने नेपाल को अपनी दवाएं बेचने के लिए आवेदन किया था. अब विभाग का कहना है कि उन कंपनियों को बैन किया गया है जो WHO के मानकों का पालन नहीं करती हैं.

इन 16 कंपनियों पर बैन लगा?

दिव्य फार्मेसी के अलावा, इस लिस्ट में रेडियंट पैरेन्टेरल्स लिमिटेड, मरकरी लेबोरेटरीज लिमिटेड, एलायंस बायोटेक, कैपटैब बायोटेक, एग्लोमेड लिमिटेड, जी लेबोरेटरीज, डैफोडिल्स फार्मास्युटिकल्स, जीएलएस फार्मा, यूनिजूल्स लाइफ साइंस, कॉन्सेप्ट फार्मास्यूटिकल्स, श्री आनंद लाइफ साइंसेज, IPCA लैबोरेटरीज़, कैडिला हेल्थकेयर लिमिटेड, डायल फार्मास्यूटिकल्स और मैकुर लैबोरेटरीज़ शामिल हैं.

इसी के साथ सैनिटाइजर बनाने वाली भारतीय कंपनी ग्लोबल हेल्थकेयर पर बैन लगाया गया है. 19 दिसंबर को जारी एक अन्य नोटिस में डिस्ट्रिब्यूटर्स को ग्लोबल हेल्थकेयर के 500ml और 5 लीटर के हैंड सैनिटाइजर को वापस लेने के लिए कहा गया. विभाग ने संबंधित संगठनों से हैंड सैनिटाइजर का उपयोग, बिक्री या वितरण नहीं करने को कहा है.

वीडियो: 66 बच्चों की मौत के बाद WHO ने बैन किए ये चार भारतीय कफ सिरप