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'बीमार था इसलिए मंदिर में ढोल नहीं बजाया' गांववालों ने दलित परिवारों का हुक्का-पानी बंद कर दिया

Uttarakhand: आरोप है कि पंचायत ने दलित परिवारों का हुक्का-पानी बंद कर दिया है. उनके मंदिर में प्रवेश करने पर भी रोक लगा दी गई है.

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गांव पूरे दलित समाज का बहिष्कार कर दिया. (सांकेतिक तस्वीर: इंडिया टुडे)

उत्तराखंड (Uttarakhand) के एक गांव की पंचायत ने दलित परिवारों का कथित बहिष्कार (Dalit families) कर दिया है. वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि दलित समाज का एक व्यक्ति बीमार होने के कारण मंदिर में ढोल बजाने नहीं आ पाया. आरोप है कि इन परिवारों को गांव के संसाधनों का इस्तेमाल करने से रोक दिया गया है. वो ना तो किसी दुकान से सामान खरीद सकते हैं और ना ही वाहनों का उपयोग कर सकते हैं.

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न्यूज एजेंसी PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, मामला भारत-चीन सीमा के पास नीति घाटी में स्थित सुभाई गांव का है. चमोली जिले के इस गांव में 14 जुलाई को पंचायत बुलाई गई. इसके बाद सभी दलित परिवारों के बहिष्कार का कथित फैसला लिया गया. मामले में पुलिस शिकायत की गई है और दो लोगों को आरोपी बनाया गया है.

इस गांव में करीब आधा दर्जन अनुसूचित जाति के परिवार रहते हैं. सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक उत्सवों में ये ढोल बजाने का काम करते हैं. पुष्कर लाल नाम का एक व्यक्ति यहां एक धार्मिक आयोजन में ढोल बजाने नहीं आ सका था. आरोप है कि इसके बाद स्थानीय पंचायत ने गांव के पूरे दलित समाज के बहिष्कार का आदेश दे दिया. PTI ने एक वीडियो का हवाला दिया है जिसमें पंचायत को अपना आदेश सुनाते देखा जा सकता है. हालांकि, लल्लनटॉप इस वीडियो की पुष्टि नहीं करता.

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दुकान से सामान भी नहीं खरीद सकते

आरोप है कि दलित परिवारों को गांव में जंगल और जल संसाधनों का उपयोग करने से रोक दिया गया है. साथ ही उन्हें दुकानों से आवश्यक सामान खरीदने, वाहनों में आने-जाने और मंदिरों में प्रवेश से भी रोक दिया गया. PTI के अनुसार, पंचायत के सदस्य ने धमकी दी कि इस आदेश का पालन नहीं करने पर गांव को इसी तरह के परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं. पीड़ित परिवारों ने जोशीमठ पुलिस स्टेशन में इस मामले की शिकायत दर्ज कराई है. शिकायत में उन्होंने रामकृष्ण खंडवाल और यशवीर सिंह नामक के दो लोगों पर आरोप लगाया है. कहा है कि इन्हीं दोनों ने बहिष्कार का आदेश दिया था.

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