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अमेरिका और चीन की सेनाएं पहली बार मिलकर करेंगी ये काम, भारत के लिए खतरा बढ़ने वाला है?

चीन और अमेरिका के बीच मिलिट्री चैनल स्थापित करने के फैसले को जियोपॉलिटिक्स के लिहाज से काफी अहम माना जा रहा है. अमेरिका और चीन के बीच हाल के सालों में सैन्य मामलों में तनाव बढ़ा है. खासकर ताइवान और साउथ चाइना सी के मुद्दे पर.

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अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और शी जिनपिंग के बीच मुलाकात की सांकेतिक तस्वीर. (Photo: File/ITG)

अमेरिका और चीन फिर से अपने संबंधों को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं. हाल ही में डॉनल्ड ट्रंप और शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हुई थी. अमेरिकी राष्ट्रपति की चीन के राष्ट्रपति के साथ 6 साल बाद यह मुलाकात हुई थी. अब दोनों देशों ने आपस में मिलिट्री चैनल स्थापित करने का फैसला किया है. अमेरिका के सेक्रेटरी ऑफ वॉर पीट हेगसेथ ने इसकी घोषणा की है.

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पीट हेगसेथ ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि डोनाल्ड ट्रंप और शी जिनपिंग के बीच हुई बैठक के बाद उन्होंने चीन के राष्ट्रीय रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जून से मुलाकात की. उन्होंने कहा कि एडमिरल डोंग और मैं इस बात पर सहमत हुए कि हमें किसी भी उत्पन्न होने वाली समस्या को कम करने और तनाव कम करने के लिए मिलिट्री-टू-मलिट्री चैनल स्थापित करने चाहिए. पीट हेगसेथ ने अपनी पोस्ट में लिखा,

मैंने अभी राष्ट्रपति ट्रंप से बात की है, और हम इस बात पर सहमत हैं कि अमेरिका और चीन के बीच संबंध पहले कभी इतने बेहतर नहीं रहे. दक्षिण कोरिया में राष्ट्रपति ट्रंप की शी जिनपिंग के साथ ऐतिहासिक मुलाकात के बाद, मलेशिया में मेरी अपने समकक्ष, चीन के राष्ट्रीय रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जून के साथ भी उतनी ही सकारात्मक मुलाकात हुई. कल रात हमने फिर बात की. एडमिरल और मैं इस बात पर सहमत हैं कि शांति, स्थिरता और अच्छे संबंध, हमारे दो महान और मज़बूत देशों के लिए सबसे अच्छा रास्ता है… एडमिरल डोंग और मैं इस बात पर भी सहमत हुए कि हमें किसी भी उत्पन्न होने वाली समस्या को कम करने और तनाव कम करने के लिए सैन्य चैनल स्थापित करने चाहिए. इस विषय पर हमारी जल्द ही और बैठकें होने वाली हैं.

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क्यों अहम है फैसला?

चीन और अमेरिका के बीच मिलिट्री चैनल स्थापित करने के फैसले को जियोपॉलिटिक्स के लिहाज से काफी अहम माना जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अमेरिका और चीन के बीच हाल के सालों में सैन्य मामलों में तनाव बढ़ा है. खासकर ताइवान और साउथ चाइना सी के मुद्दे पर. अल जजीरा की रिपोर्ट के अनुसार चीन और अमेरिका दोनों देशों की नौसेनाएं इंडो पैसिफिक क्षेत्र में ऑपरेट करती हैं. विवादित साउथ चाइना सी और ताइवान स्ट्रेट में चीनी और अमेरिकी सेनाओं के बीच कई बार तनाव भी हुआ. रिपोर्ट में बताया गया है कि एक्सपर्ट्स लंबे समय से दोनों महाशक्तियों के बीच सीधे सैन्य संपर्क की वकालत करते रहे हैं. उनका मानना है कि हॉटलाइन, अनजाने में तनाव बढ़ने से बचने का सबसे अच्छा तरीका है.

अमेरिकी थिंक टैंक, सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (CSIS) के अनुसार डॉनल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान अमेरिका और चीन के बीच 90 से ज़्यादा कम्यूनिकेशन मीडियम यानी बातचीत के माध्यम बंद कर दिए गए थे. इसके बाद 2022 में जो बाइडन के कार्यकाल के दौरान अमेरिका की तत्कालीन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी ने ताइवान का दौरा किया था. इससे नाराज होकर चीन ने अमेरिकी सेना के साथ अपने संबंधों को और कम कर दिया था. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने एक विश्लेषक के हवाले से बताया कि चीन और अमेरिकी सेना के बीच संपर्क स्थापित करना शुरुआती कदम है. हालांकि अभी भी दोनों देशों के बीच गहरा अविश्वास बना हुआ है.

भारत पर क्या होगा असर?

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक साउथ चाइना सी से लेकर लद्दाख सीमा तक चीन की आक्रामकता ने दुनिया को चौंका दिया था. इससे अमेरिका ने जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर क्वाड समूह को फिर से एक्टिव कर दिया. ऐसे में अमेरिका चूंकि अब सैन्य स्तर पर चीन के साथ बातचीत करेगा, इससे भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया में चिंता बढ़ना स्वाभाविक है. रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि भारत, अमेरिका और चीन के बीच रक्षा संबंधों के बारे में जल्दबाज़ी में कोई निष्कर्ष नहीं निकालना चाहेगा. इस संबंध के पीछे के उद्देश्य का आकलन करेगा. सूत्रों के मुताबिक यह सकारात्मक तरीके से भी काम कर सकता है.

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भारत-अमेरिका ने भी किया रक्षा समझौता 

इधर, अमेरिका ने भारत के साथ भी अहम रक्षा समझौता किया है. मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में हाल ही में 12वीं ASEAN रक्षा मंत्रियों की बैठक (ADMM-Plus) हुई थी. इस बैठक में भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिका के वॉर सेक्रेटरी पीट हेगसेथ के बीच मुलाकात हुई. इस दौरान दोनों देशों ने 10 साल के फ्रेमवर्क फॉर यूएस-इंडिया मेजर डिफेंस पार्टनरशिप के समझौते पर हस्ताक्षर किए. इस समझौते के तहत भारत और अमेरिका अगले 10 सालों तक रक्षा क्षेत्र में मिलकर काम करेंगे. इसमें सैन्य सहयोग, तकनीकी साझेदारी और संयुक्त अभ्यास जैसे काम शामिल होंगे. यह समझौता दोनों देशों के बीच सुरक्षा और रणनीतिक संबंधों को मजबूत करेगा. इससे पहले भारत और अमेरिका ने 2015 में भी इसी तरह का 10 साल का रक्षा सहयोग समझौता किया था.

वीडियो: डॉनल्ड ट्रम्प और शी जिनपिंग की साउथ कोरिया में मुलाक़ात, चीन और अमेरिका दोस्त बन गए?

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