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अरबों खर्च करके बने महाकाल कॉरिडोर की मूर्तियां हवा से क्यों ढेर हुईं? सच दुखी कर देगा

45 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार वाली हवा न झेल पाईं मूर्तियां!

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महाकाल कॉरिडोर में टूटी मूर्तियां. (फोटो- सोशल मीडिया)

मध्यप्रदेश के उज्जैन में 28 मई को ऐसी आंधी आई जिसने ‘श्री महाकाल लोक’ कॉरिडोर (Ujjain Mahakal) में बनीं सप्त ऋषियों की छह मूर्तियां गिरा दीं. तीन मूर्तियां तो गिरकर टूट भी गईं. हालांकि इस नुकसान की ज्यादा बड़ी वजह आंधी नहीं, बल्कि इन मूर्तियों के खराब निर्माण को बताया गया. अब विशेषज्ञों के हवाले से छपी कुछ मीडिया रिपोर्टों में इन मूर्तियों की गुणवत्ता पर सवाल उठाए गए हैं.

मूर्तियों के ‘अंदर’ का सच

दैनिक भास्कर में छपी रिपोर्ट के मुताबिक टूटी हुई मूर्तियां अंदर से खोखली थीं. बताया गया कि मूर्तियों का बेस काफी कमजोर था. उनके नीचे काफी जगह छोड़ दी गई थी जिससे आसानी से हवा-पानी मूर्ति के अंदर जा सकता था. रिपोर्ट में बताया गया कि मूर्तियों के अंदर सरिये भी नहीं लगाए गए थे. 10 से 25 फीट ऊंची मूर्तियों को फाइबर रेनफोर्स प्लास्टिक (FRP) से बनाया गया था. ऐसी मूर्ति को मजबूती देने के लिए अंदर सरिये लगाने होते हैं, लेकिन मूर्तियां खोखली थीं.

अखबार ने सिविल इंजीनियर और मूर्तियों के जानकर आशीष शर्मा से बातचीत के आधार पर बताया कि फाइबर रेनफोर्स प्लास्टिक से बनी मूर्ति का वजन हल्का होता है. जब ऐसी मूर्ति ऊंची जगह पर लगाई जाती हैं तो मजबूती के लिए एक केमिकल डाला जाता है. आशीष ने बताया,

"महाकाल लोक की मूर्ति अंदर से खोखली होंगी. इस कारण हवा का प्रभाव नहीं झेल पाईं. ऐसी मूर्तियों को लोहे का प्लेट लगाकर लोहे के सेक्शन पर कसना चाहिए था."

कुछ अन्य मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये भी जानकारी सामने आई है कि मूर्तियों की बनावट ऐसी नहीं थी कि वो 30 से 50 किलोमीटर प्रति घंटे की हवा झेल सकें. भोपाल के मौसम विभाग के अनुसार उज्जैन में 28 मई के दिन 45 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चल रही थी. हवा का इतना प्रेशर मूर्तियां नहीं झेल पाईं.

मामले पर मूर्तियां बनाने वाली एमपी बावरिया कंपनी की सफाई आई है. इसके प्रोजेक्ट मैनेजर संजय पटेल ने दैनिक भास्कर को बताया है कि तेज हवा ने बवंडर बना दिया, जिस वजह से अंदर का स्ट्रक्चर टूट गया. पटेल ने कहा कि मूर्तियों के अंदर माइल्ड स्टील का जॉइंट कमजोर पड़ गया होगा. अब इनमें स्टील के साथ कंक्रीट लगाया जाएगा.

भेजे गए नोटिस

इस मामले में मध्यप्रदेश के लोकायुक्त संगठन ने कार्रवाई शुरू कर दी है. भ्रष्टाचार की शिकायत के बाद लोकायुक्त संगठन ने उज्जैन के तत्कालीन कलेक्टर और स्मार्ट सिटी लिमिटेड के अध्यक्ष आशीष सिंह, स्मार्ट सिटी के तत्कालीन निदेशक क्षितिज सिंघल और तत्कालीन नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता को नोटिस भेजा गया है. इन सबसे 15 दिन के अंदर जवाब मांगा गया है. 

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