शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शनिवार 20 जुलाई को राज्य सरकार के खिलाफ एक प्रेस कान्फ्रेंस की. जिसमें 'धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट' के बहाने उनके निशाने पर उद्योगपति गौतम अडानी रहे. ठाकरे ने कहा 'हम मुंबई को अडानी सिटी नहीं बनने देंगे'. उन्होंने पीएम मोदी और अमित शाह पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार की ‘लाडला मित्र’ या ‘लाडला कॉन्ट्रैक्टर’ या ‘लाडला उद्योगपति योजना’ चल रही है. ऐसे में अगर उनकी पार्टी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता में आती है तो मुंबई में ‘अडानी धारावी प्रोजेक्ट’ के टेंडर को रद्द कर देगी.
‘मुंबई को अडानी सिटी नहीं बनने देंगे', धारावी प्रोजेक्ट पर उद्धव ठाकरे ने केंद्र सरकार क्यों घेरा?
Uddhav Thackeray ने पीएम मोदी और अमित शाह पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार की लाडला मित्र या लाडला उद्योगपति योजना चल रही है. अगर उनकी पार्टी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता में आती है तो सरकार मुंबई में अडानी धारावी प्रोजेक्ट के टेंडर को रद्द कर देगी.

दरअसल, महाराष्ट्र सरकार ने पिछले साल जुलाई में ‘धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट’ के लिए अडानी ग्रुप के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. नवंबर 2022 में अडानी ग्रुप ने 5069 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी. मंजूरी के बाद मुंबई के बीचो-बीच बसे इस 2.5 वर्ग किलोमीटर धारावी इलाके को अडानी प्रॉपर्टीज रीडेवलप करेगी. रियल एस्टेट कारोबार के लिए अडानी ग्रुप की ये अलग कंपनी है. इसी प्रोजेक्ट के तहत अडानी को सरकार की तरफ से रियायत मिलने का आरोप लगाते हुए उद्धव ठाकरे ने सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा,
'धारावी में हमने आंदोलन किया था. वहां के लोगों को 500 वर्ग फुट का घर मिलना ही चाहिए. हर घर में एक माइक्रो व्यापार चलता है. इसके लिए क्या उपाय किया जाएगा. ये मुंबई का नाम अडानी सिटी भी कर देंगे. इनकी कोशिश चल रही है, लेकिन हम ऐसा होने नहीं देंगे. धारावी के लोगों को पात्र और अपात्र के चक्रव्यू में फंसाने की कोशिश की जा रही है. हमारी सरकार सत्ता में आएगी तो हम धारावी के लोगों को दूसरी जगह नहीं बसाएंगे. धारावी में ही कारोबार की उचित व्यवस्था की जाएगी.'
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उद्धव ठाकरे ने आगे कहा,
'धारावी का विकास होना चाहिए, अडानी का नहीं. अगर अडानी ये सब पूरा नहीं कर सकते तो दोबारा टेंडर कराया जाए. ग्लोबल टेंडर निकलना चाहिए और पारदर्शिता का पालन होना चाहिए. हम मुंबई को अडानी सिटी नहीं बनने देंगे.'
धारावी मुंबई का झुग्गी बस्ती इलाका है. इसे एशिया का सबसे बड़ा स्लम कहा जाता है. ये न्यूयॉर्क के सेंट्रल पार्क के आकार का लगभग तीन-चौथाई है. 2.5 वर्ग किलोमीटर के इस इलाके में आठ लाख से ज्यादा लोग रहते हैं. मुंबई के केंद्र में स्थित इस एरिया में हजारों गरीब परिवार तंग घरों में रह रहे हैं और इनमें से कई के पास शुद्ध पानी और साफ शौचालय तक नहीं है. इसके रिडेवलपमेंट का काम दशकों से लटका हुआ है.
धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत 7 सालों में इस इलाके के लोगों को पुनर्वास किए जाने का प्रस्ताव है. समाचार एजेंसी PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रोजेक्ट के लिए बोली लगाने की प्रक्रिया में अडानी ग्रुप ने DLF को पीछे छोड़ा था. DLF ग्रुप ने इसके लिए 2,025 करोड़ की बोली लगाई थी. सरकार ने प्रोजेक्ट हासिल करने वाली कंपनी के लिए शर्त रखी थी कि उसका नेटवर्थ कम से कम 20 हजार करोड़ हो. शिंदे-फडणवीस की सरकार ने अक्टूबर 2022 में इस प्रोजेक्ट के लिए ग्लोबल टेंडर जारी किया था. इस नीलामी की बेस प्राइस 1600 करोड़ थी. साउथ कोरिया और UAE सहित कुल आठ कंपनियों ने नीलामी से पहले हुई बैठक में हिस्सा लिया था. लेकिन इनमें से तीन कंपनियों ने ही बोली लगाई थी. तीसरी कंपनी नमन ग्रुप थी, जिसकी बोली को योग्य नहीं पाया गया.
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