The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • News
  • Maharashtra govt awards Dharavi project to Adani group Congress questions process

फडणवीस जाते-जाते अडानी का भला कर गए? कांग्रेस ने गंभीर आरोप लगा दिया

कांग्रेस का आरोप- महाराष्ट्र सरकार ने अडानी को धारावी का प्रोजेक्ट देने के लिए शर्तों को बदल लिया.

Advertisement
ADANI Dharavi redevelopment project
पिछले साल नवंबर में अडानी ग्रुप ने प्रोजेक्ट के लिए सबसे ज्यादा बोली लगाई थी (फोटो- रॉयटर्स)
pic
साकेत आनंद
15 जुलाई 2023 (Updated: 15 जुलाई 2023, 02:25 PM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

महाराष्ट्र सरकार ने धारावी रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए अडानी ग्रुप के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. पिछले साल नवंबर में अडानी ग्रुप ने 5069 करोड़ रुपये की बोली लगाकर इस प्रोजेक्ट को हासिल किया था. इसके बाद करीब 7 महीनों तक डेडलॉक बन गया था. मंजूरी के बाद मुंबई के बीचों बीच बसे इस 259 हेक्टेयर इलाके को अडानी प्रॉपर्टीज रीडेवलप करेगी. रियल एस्टेट कारोबार के लिए अडानी ग्रुप की ये अलग कंपनी है.

हाई कोर्ट में केस पेंडिंग

धारावी मुंबई का झुग्गी बस्ती इलाका है. इसे एशिया का सबसे बड़ा स्लम कहा जाता है. 2.5 वर्ग किलोमीटर के इस इलाके में आठ लाख से ज्यादा लोग रहते हैं. प्रोजेक्ट के तहत 7 सालों में इस इलाके के लोगों को पुनर्वास करना है. ये प्रोजेक्ट कई सालों से अटका पड़ा था. प्रोजेक्ट को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट में एक केस भी पेंडिंग है, हालांकि हाई कोर्ट ने कोई रोक नहीं लगाई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार की मंजूरी का आदेश 13 जुलाई को आया था. इस प्रोजेक्ट से 20 हजार करोड़ का राजस्व हासिल हो सकता है.

समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, बोली लगाने की प्रक्रिया में अडानी ग्रुप ने DLF को पीछे छोड़ा था. DLF ग्रुप ने इसके लिए 2,025 करोड़ की बोली लगाई थी. सरकार ने प्रोजेक्ट हासिल करनेवाली कंपनी के लिए शर्त रखी थी कि उसका नेटवर्थ कम से कम 20 हजार करोड़ का हो.

शिंदे-फडणवीस की सरकार ने पिछले साल अक्टूबर में इस प्रोजेक्ट के लिए ग्लोबल टेंडर जारी किया था. इस नीलामी की बेस प्राइस 1600 करोड़ थी. साउथ कोरिया और UAE सहित कुल आठ कंपनियों ने नीलामी से पहले हुई बैठक में हिस्सा लिया था. लेकिन इनमें से तीन कंपनियों ने ही बोली लगाई थी. तीसरी कंपनी नमन ग्रुप थी, जिसकी बोली को योग्य नहीं पाया गया.

कांग्रेस ने उठाया सवाल

कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि देवेंद्र फडणवीस ने आवास विभाग छोड़ने से पहले इसे मंजूरी दे दी. दरअसल, महाराष्ट्र कैबिनेट में हुए फेरबदल से पहले आवास विभाग फडणवीस के ही पास था. जयराम रमेश ने कहा कि पीएम मोदी के करीबी दोस्त को प्रोजेक्ट देने के लिए टेंडर की शर्तों में बदलाव किया गया. इसमें कंपनी के नेटवर्थ की शर्त को 10 हजार से 20 हजार करोड़ किया गया. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 

"देवेंद्र फडणवीस ने हाउसिंग डिपार्टमेंट छोड़ने से पहले आखिरी काम अडानी ग्रुप के धारावी रीडेवलेपमेंट प्रोजेक्ट के अवैध टेकओवर को मंजूरी देने का किया. यह प्रोजेक्ट 5069 करोड़ का है जिसमें मुंबई की 600 एकड़ की मुख्य जमीन शामिल है. यह प्रोजेक्ट पहले किसी और बोली लगाने वाले को दिया गया था." 

पिछली नीलामी रद्द हुई

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2018-19 में दुबई की कंपनी सेकलिंक ग्रुप ने इस प्रोजेक्ट के लिए 7200 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी. तब अडानी ग्रुप ने नीलामी में पिछड़ गई थी. कंपनी ने 4500 करोड़ की बोली लगाई थी. हालांकि बाद में नीलामी प्रक्रिया रद्द कर दी गई. इसके बाद, सेकलिंक ग्रुप ने सरकार के फैसले के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट ने केस दर्ज करवाया था. ये केस अभी कोर्ट में पेंडिंग है. रिपोर्ट बताती है कि महाराष्ट्र सरकार 2024 से इस परियोजना पर काम शुरू करना चाहती है.

वहीं बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य सरकार की तरफ से रीडेवलपमेंट का पहला प्रस्ताव 2004 में आया था. स्लम रिहैबिलिटेशन अथॉरिटी (SRA) की माने तो मुंबई की करीब 48 फीसदी आबादी झुग्गियों में रहती है. मुंबई में किसी भी झुग्गी वाले इलाके के विकास और पुनर्वास का काम SRA की देखरेख में होता है. मौजूदा प्रोजेक्ट भी इसी अथॉरिटी के नियमों के तहत पूरा होगा.

इस रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट में 80 फीसदी निजी और 20 फीसदी सरकार की हिस्सेदारी होगी. इस प्रोजेक्ट के CEO एसवीआर श्रीनिवास ने बीबीसी को बताया था कि सरकार की मंजूरी के बाद मास्टर प्लान तैयार होगा. इसमें कितने घर होंगे, इंफ्रास्ट्रक्चर, कमर्शियल बिजनेस की जगहों को भी देखा जाएगा. साथ ही निवेश के लिए भी कोशिश की जाएगी.

वीडियो: खर्चा-पानी: अडानी मामले में अब तक का सबसे बड़ा खुलासा

Advertisement