तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा (TMC MP Mahua Moitra) के खिलाफ 'पैसों के बदले सवाल पूछने' के आरोपों की शिकायत एथिक्स कमेटी को भेजी गई थी. अब इस कमेटी के अध्यक्ष विनोद कुमार सोनकर ने बताया है कि इस मामले की जांच की जाएगी. साथ ही सबूतों को भी परखा जाएगा.
"गंभीर मामला है..."- महुआ मोइत्रा के मामले में एथिक्स कमेटी ने और क्या कहा?
तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ 'पैसों के बदले सवाल पूछने' के आरोपों की शिकायत एथिक्स कमेटी को भेजी गई थी. अब इस कमेटी के अध्यक्ष विनोद कुमार सोनकर ने कहा है कि उन्हें अभी तक दर्शन हीरानंदानी की चिट्ठी नहीं मिली है. उन्होंने ये भी कहा कि इस मामले में दोनों पार्टियों से सबूत मांगे गए हैं.
इंडिया टुडे से जुड़ीं पॉलोमी साहा की रिपोर्ट के मुताबिक एथिक्स कमेटी के अध्यक्ष विनोद सोनकर ने इस मामले पर कहा,
"ये एक गंभीर मामला है, इसमें कोई शक नहीं है. हमने दोनों पार्टियों से सबूत जमा करने के लिए कहा है."
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद निशिकांत दुबे ने TMC सांसद महुआ मोइत्रा पर संसद में सवाल पूछने के लिए रिश्वत लेने के आरोप लगाए थे. उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव और उनके राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर को पत्र लिखकर इन आरोपों की जांच के लिए एक जांच पैनल गठित करने की मांग की थी.
61 में से 51 सवाल हीरानंदानी समूह के लिएनिशिकांत दुबे का ये पत्र सुप्रीम कोर्ट के एक वकील की चिट्ठी पर आधारित है. इसमें महुआ मोइत्रा और हीरानंदानी रियल-स्टेट समूह के CEO दर्शन हीरानंदानी के बीच रिश्वत के सबूतों का जिक्र किया गया था. चिट्ठी में दावा किया गया कि इन सबूतों को झूठा साबित नहीं किया जा सकता. इसके बाद दर्शन हीरानंदानी ने इस मामले पर एक हलफनामा भी दायर किया.
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चिट्ठी में ये भी कहा गया कि TMC सांसद महुआ मोइत्रा ने अभी तक संसद में 61 सवाल पूछे. इनमें से 51 सवाल हीरानंदानी समूह के व्यवसायिक हितों की रक्षा करने और उन्हें कायम रखने के उद्देश्य से पूछे गए.
अब एथिक्स कमेटी के अध्यक्ष विनोद सोनकर ने इस मामले की जांच के बारे में बयान देते हुए कहा,
महुआ मोइत्रा ने आरोपों को किया खारिज"हमें अभी तक दर्शन हीरानंदानी की चिट्ठी नहीं मिली है."
महुआ मोइत्रा ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ऑफिस (PMO) ने दर्शन हीरानंदानी से जबरन हलफनामे पर हस्तातक्षर करवाए हैं. महुआ मोइत्रा ने हलफनामे की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए कहा कि ये कागज के एक सफेद टुकड़े पर है, ना ही इसमें कोई लेटरहेड है और ना ही आधिकारिक स्टैम्प.
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वहीं, हीरानंदानी समूह ने भी इन आरोपों को खारिज किया है. उन्होंने कहा कि हीरानंदानी समूह ने हमेशा सरकार के साथ मिलकर काम किया है. साथ ही वे देश के हित में काम करते हैं और ऐसा करते रहेंगे.
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