5 अगस्त 2019. केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 (Jammu Kashmir Article 370) हटाने का निर्णय लिया. जम्मू कश्मीर के राजनैतिक ताने-बाने में बदलाव हुआ. सरकार अनुच्छेद 370 हटने के जो फायदे गिनाती है, उनमें ये दावा भी था कि आतंक पर लगाम लगी. दूसरी ओर इस फैसले के आलोचक कहते हैं कि आतंकी घटनाएं बढ़ गईं. ऐसे में सच कैसे मालूम किया जाए. जवाब बड़ा सिंपल है - डेटा. आंकड़े जो झूठ नहीं बोलते.
अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर में आतंकी हमलों से जुड़े आंकड़े क्या कहते हैं?
सरकार का दावा है कि 370 जाने के बाद आतंक पर लगाम लगी है. वहीं आलोचक कहते हैं कि आतंक का पैटर्न बदल गया है. सच क्या है?

आउटलुक में PTI के हवाले से छपी रिपोर्ट के मुताबिक अनुच्छेद 370 हटने के बाद से अब तक जम्मू कश्मीर में आठ ग्रेनेड हमले और 13 IED ब्लास्ट हुए हैं. ये आंकड़ा 5 अगस्त 2019 से पहले के आंकड़ों से कहीं ज्यादा है. 25 अक्टूबर 2015 से 4 अगस्त 2019 तक के चार सालों में जम्मू कश्मीर में चार ग्रेनेड हमले और 7 IED ब्लास्ट हुए थे. इतना ही नहीं साल 2019 से 2023 के बीच IED ब्लास्ट से मरने वालों की संख्या साल 2015 से 2019 के मुकाबले 73 फीसदी ज्यादा थी.
रिपोर्ट के मुताबिक 2019 के बाद से आतंकियों द्वारा स्टैंड-ऑफ फायर (जब आतंकियों की ओर से फायरिंग की शुरुआत होती है) और हिट-एंड रन के केस 43 फीसदी बढ़े हैं.
अनुच्छेद 370 हटने के बाद से NIA जैसी सेंट्रल एजेंसियों ने जम्मू कश्मीर में कई कड़े कदम उठाए हैं. इसका नतीजा ये हुआ है कि घाटी में स्टोन पेल्टिंग के मामले कम हुए हैं. गृह मंत्रालय के डेटा के मुताबिक जनवरी से जुलाई 2021 के बीच स्टोन पेल्टिंग के 76 मामले देखने को मिले थे. साल 2020 में इस दौरान 222 मामले देखने को मिले थे. वहीं 2019 में स्टोन पेल्टिंग के 618 मामले सामने आए थे.
आतंकी घटनाएं | सिविलियन मौतें | कितने जवानों के प्राण गए | आतंकियों की भर्ती | |
2 अक्टूबर 2016-4 अगस्त 2019 | 959 | 137 | 267 | 459 |
5 अगस्त 2019-6 जून 2022 | 654 | 118 | 127 | 394 |
कितनी गिरावट | 32% | 14% | 52% | 14% |
स्टोन पेल्टिंग की घटनाओं से चोटिल हुए सुरक्षाबलों की संख्या में भी कमी देखने को मिली है. साल 2019 में 64 सुरक्षा बल इन घटनाओं में चोटिल हुए थे. ये आंकड़ा 2021 में 10 बताया गया है. स्टोन पेल्टिंग के मामलों में सिविलियन्स को लगी चोट के मामले साल 2019 में 339 रिकॉर्ड किए गए थे. वहीं साल 2021 में ये आंकड़ा 25 रह गया है.
कितने उग्रवादी गिरफ्तार किए गए?गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू कश्मीर में साल 2019 में उग्रवादियों के 82 ओवर-ग्राउंड वर्कर्स को गिरफ्तार किया गया था. वहीं साल 2021 में 178 ओवर-ग्राउंड वर्कर्स को गिरफ्तार किया गया. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 5 अगस्त 2019 से 6 जून 2022 के बीच आतंकी गतिविधियों में 32 फीसदी की गिरावट देखने को मिली (हालांकि ये आंकड़ा 5 अगस्त 2019 से 10 महीने पहले के आंकड़े से कंपेयर करके बताया गया है).
PIB में छपी रिपोर्ट के मुताबिक 4 अक्टूबर 2022 को गृह मंत्री अमित शाह ने बताया था कि साल 2006 से 2013 के बीच जम्मू कश्मीर में आतंकी गतिविधियों के 4 हजार 766 मामले दर्ज किए गए थे. वहीं अनुच्छेद 370 के हटने के बाद से साल 2022 के बीच 721 मामले सामने आए थे. गृह मंत्री ने दावा किया था कि जम्मू कश्मीर के युवाओं के हाथ में पत्थर की जगह लैपटॉप पहुंच गया है. उन्होंने युवाओं को रोजगार मिलने की बात भी कही थी.
कितने सुरक्षाबलों की जान गई?5 अगस्त 2019 के बाद से जम्मू कश्मीर में 87 सिविलियन लोगों की जान गई है. इस दौरान 99 जवान भी वीरगति को प्राप्त हुए. ये जानकारी सरकार ने राज्य सभा में बताई थी. 2019 से पहले के पांच सालों में 177 सिविलियन लोगों की जान गई थी. वहीं इस दौरान 406 जवानों की जान गई.
रिपोर्ट के मुताबिक सिविलियन्स की मौत के मामले अनुच्छेद 370 हटने के बाद 63 फीसदी कम हुए हैं. वहीं इस दौरान सुरक्षाबलों को होने वाले जानी नुकसान में 13 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है.
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