सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में जाति जनगणना (Bihar caste census) करवाने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने बिहार सरकार के फैसले के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं को 'पब्लिसिटी' बताया. बिहार में जाति आधारित सर्वे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में तीन याचिका डाली गई थी. 20 जनवरी को याचिकाओं को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि इनमें कोई मेरिट नहीं है. हालांकि कोर्ट ने ये भी कहा कि याचिकाकर्ता चाहें तो हाई कोर्ट जा सकते हैं.
बिहार में जाति सर्वे के खिलाफ डाली थी याचिका, सुप्रीम कोर्ट ने पब्लिसिटी बता खारिज कर दी
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नीतीश कुमार का भी बयान आया है.

बिहार सरकार ने राज्य में 7 जनवरी को जाति सर्वे शुरू किया था. इस सर्वे के तहत एक मोबाइल ऐप के जरिये पंचायत से लेकर जिला स्तर पर हर परिवार के आंकड़े को डिजिटली इकट्ठा करना है. इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने याचिकाओं पर नाराजगी जताई और कहा,
"यह एक पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन है. अगर हम ये आदेश देते हैं तो वे (राज्य सरकार) कैसे तय करेंगे कि किस जाति को कितना आरक्षण दिया जाए. माफ करिये हम इन याचिकाओं पर सुनवाई नहीं कर सकते हैं."
अखिलेश कुमार नाम के एक याचिककर्ता ने जाति जनगणना को लेकर बिहार सरकार के नोटिफिकेशन को चुनौती दी थी. उन्होंने कहा था कि ये नोटिफिकेशन समानता के अधिकार का उल्लंघन है. याचिका में कहा गया था कि इस तरह की जनगणना संविधान की मूलभूत ढांचे के खिलाफ है. याचिका में यह भी तर्क दिया गया था कि जातिगत जनगणन के लिए केंद्र के कानून की जरूरत है. राज्य सरकार अपने हिसाब से ये नहीं करवा सकती है.
एक याचिका 'एक सोच एक प्रयास' नाम के एनजीओ ने दाखिल की थी. वहीं तीसरी याचिका हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने दाखिल की थी. याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील ने बताया कि इसी तरह का सर्वे (2011 की सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना) पहले भी किया गया था लेकिन प्रकाशित नहीं हुआ.
फैसला सबके हित में- नीतीश कुमारसुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि यह फैसला सबके हित में है. सीएम ने नालंदा में मीडिया से बात करते हुए कहा,
"जाति जनगणना तो केंद्र सरकार का काम है, हम तो राज्य में कर रहे हैं. एक-एक चीज की जानकारी होगी तो विकास के काम को बढ़ाने में सुविधा होगी"
वहीं डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने इस फैसले को बिहार सरकार की जीत बताया. उन्होंने कहा कि याचिका पब्लिसिटी के लिए दाखिल की गई थी. तेजस्वी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक सर्वे नहीं होगा तो कैसे पता चलेगा कि किसे कितना आरक्षण दिया जाए. हम इस फैसले का स्वागत करते हैं.
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