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पापा की मौत हुई, इकलौते बेटे ने मुखाग्नि देने से मना कर दिया, मां से बोला- डेढ़ लाख दो तब काम होगा

मामला मध्य प्रदेश के शहडोल जिले का है. 65 साल के रामस्वरूप बर्मन यहां अपनी पत्नी पार्वती के साथ रहते थे. आरोप है कि उनका बेटा मनोज आए दिन अपने पिता के साथ पैसों को लेकर झगड़ा करता था. पिता की मौत पर भी उसका दिल नहीं पसीजा. और फिर इसके बाद क्या हुआ?

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पुलिस ने मामले में NCR दर्ज की है (तस्वीर- गूगल फोटोज)

मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में एक युवक ने अपने पिता के शव को मुखाग्नि देने से मना कर दिया. सिर्फ इसलिए क्योंकि उसकी मां ने उसे डेढ़ लाख रुपये नहीं दिए. खबर है कि इसके बाद महिला ने खुद ही अपने पति को मुखाग्नि दी और अंतिम संस्कार किया. महिला अपने बेटे की शिकायत लेकर पुलिस थाने भी गई.

आजतक से जुड़े रावेंद्र शुक्ला की रिपोर्ट के मुताबिक, मामला जिले के ब्यौहरी इलाके का है. 65 साल के रामस्वरूप बर्मन यहां अपनी पत्नी पार्वती के साथ रहते थे. आरोप है कि उनका बेटा मनोज आए दिन अपने पिता के साथ पैसों को लेकर झगड़ा करता था. आगे चलकर जब पिता ने पैसे देने से मना कर दिया तो मनोज कथित तौर पर ब्यौहारी में ही माता-पिता से अलग होकर अपनी पत्नी के साथ किराए के मकान में रहने लगा था.

इस बीच मनोज के पिता का निधन हो गया. मां का कहना है कि निधन से एक दिन पहले भी उनका बेटा घर पर डेढ़ लाख रुपये लेने आया था. हालांकि घरवालों ने उसे पैसे नहीं दिए. आरोप है कि अगली सुबह महिला ने जब बेटे को पिता की मौत की जानकारी दी तब भी वो पैसों की मांग करने लगा. मनोज ने कथित तौर पर अपनी मां से घर बेचकर पैसे देने को कहा और धमकाया कि पैसे नहीं मिले तो वो पिता के शव को मुखाग्नि नहीं देगा. मां का कहना है कि इसके बाद मनोज ने अपना फोन स्विच ऑफ कर लिया.

इसके बाद रामस्वरूप बर्मन का अंतिम संस्कार खुद उनकी पत्नी ने ही किया. फिर दो दिन बाद वो अपनी दोनों बेटियों के साथ ब्यौहारी थाने गईं और पुलिस को घटनाक्रम की जानकारी देते हुए शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने मामले में NCR (नॉन कॉग्निजेबल रिपोर्ट) दर्ज की है.

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NCR यानि नॉन कॉग्निजेबल रिपोर्ट. या गैर-संज्ञेय अपराध सूचना. असंज्ञेय अपराध ऐसे अपराध हैं, जिनमें किसी के साथ हुए मामूली झगड़े, गाली-गलौच या कोई दस्तावेज आदि खो जाने की शिकायत दर्ज कराई जाती है. शांति भंग करने के मामले भी इस गैर संज्ञेय अपराध की कैटेगरी में आते हैं. ये भी जान लें कि FIR कोर्ट में पेश की जाती है, लेकिन NCR सिर्फ और सिर्फ पुलिस स्टेशन के रिकॉर्ड तक ही सीमित रहती है.

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