वर्क प्लेस पर सीनियर्स या बॉस आमतौर पर अपने एम्प्लॉयीस को डांट-फटकार लगा देते हैं. लेकिन कभी-कभार ये डांट ज्यादा हो जाती है, जिससे एम्प्लॉयीस खुद को अपमानित महसूस करते हैं और नाराज हो जाते हैं. कभी-कभी ये नाराजगी ज्यादा हो जाती है और 'पीड़ित कर्मचारी' इसके लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हैं. लेकिन, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसे ही मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि ‘वर्क प्लेस पर सीनियर्स की डांट-फटकार को “इरादतन अपमान” मानकर उसपर आपराधिक एक्शन नहीं लिया जा सकता है.’ कोर्ट ने कहा कि ऐसा करने से ऑफिस का अनुशासनपूर्ण माहौल (Office Discipline) प्रभावित हो सकता है.
''बॉस की डांट, अब अपराध नहीं...' सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी 'दुखियारे कर्मचारी' की याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि वर्क प्लेस पर सीनियर्स की डांट-फटकार को 'इरादतन अपमान' मानकर उस पर आपराधिक एक्शन नहीं लिया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि ऐसा करने से ऑफिस का अनुशासनपूर्ण माहौल प्रभावित हो सकता है.

आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय करोल और संदीप मेहता की पीठ ने ये सारी बातें 2022 के एक केस को रद्द करते हुए कहीं. जिसमें राष्ट्रीय मानसिक दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान (NIMH) के एक असिस्टेंट प्रोफेसर ने कार्यवाहक डायरेक्टर पर उन्हें अपमानित करने का आरोप लगाया था. शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि डायरेक्टर ने उन्हें संस्थान के दूसरे कर्मचारियों के सामने डांटा और अपमानित किया. उसने यह भी आरोप लगाया कि कोविड के दौरान संस्थान के डायरेक्टर ने पर्याप्त PPE किट उपलब्ध नहीं कराई थी, जिससे कोविड-19 जैसी संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा था.
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इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि केवल अपशब्द, बदतमीजी या असभ्यता को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 504 के तहत “इरादतन अपमान” नहीं माना जा सकता है. IPC की धारा 504 को, जुलाई 2024 से भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 352 में बदल दिया गया है. बताते चलें कि धारा 504, IPC में शांति भंग करने के इरादे से अपमान करने का प्रावधान है. इसमें दो साल तक की सजा हो सकती है. कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा,
'यह एक सामान्य अपेक्षा है कि जो व्यक्ति वर्क प्लेस पर मैनेजमेंट करता है, वह अपने जूनियर से अपने पेशेवर कर्तव्यों को पूरी निष्ठा और समर्पण से निभाने की उम्मीद करता है.’
आगे कोर्ट ने कहा कि अगर यह फटकार कार्यस्थल से संबंधित अनुशासन और कर्तव्यों के निर्वहन से जुड़ी हो, तो इसे इरादतन अपमान नहीं माना जा सकता. ऐसे मामलों को अपराध के दायरे में लाने पर गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं.
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