देशभर से सरकारी स्कूलों के ख़राब हालत की तस्वीरें सामने आती रहती हैं. अब खबर आई है साल 2024-25 में सरकारी स्कूलों के एडमिशन में भारी गिरावट आई है. ये गिरावट 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में प्राइमरी और अपर प्राइमरी के लेवल के स्कूल की है. यानी सरकारी स्कूलों में 1-8 तक की क्लास में बच्चे एडमिशन नहीं ले रहे हैं.
देश भर में सरकारी स्कूलों में एडमिशन कम हुए, सबसे ज्यादा गिरावट UP में
Govt school enrolment drop: शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा सचिव ने इन आंकड़ों पर गहरी चिंता जताई है और राज्यों को इसके कारणों की पहचान कर 30 जून तक रिपोर्ट पेश करने की सलाह दी है.

केंद्र सरकार ने इस पर चिंता जाहिर की है. शिक्षा मंत्रालय (MoE) ने संबंधित राज्यों से जांच करने की मांग की है. साथ ही, ये भी बताने को कहा है कि आगे सुधार के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं. द प्रिंट की ख़बर के मुताबिक़, फ़रवरी-मार्च के महीनों में प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण (PM-POSHAN) स्कीम के प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड (PAB) और राज्य के अधिकारियों के बीच बैठक हुई थी. शिक्षा मंत्रालय ने पिछले हफ़्ते इस बैठक के कुछ मिनट्स यानी जानकारियां शेयर कीं. अब उन जानकारियों के एनालिसिस से कई आंकड़े छनकर निकल रहे हैं.
ऐसे ही कई आंकड़ें इंडियन एक्सप्रेस से जुड़ीं अभिनया हरगोविंद ने दिए. उन्होंने अपनी रिपोर्ट में बताया कि कम से कम आठ राज्यों के स्कूलों के नामांकन में एक-एक लाख से ज़्यादा छात्रों की गिरावट देखी गई है. सबसे ज़्यादा गिरावट उत्तर प्रदेश (21.83 लाख) में देखी गई. इसके बाद बिहार (6.14 लाख), राजस्थान (5.63 लाख) और पश्चिम बंगाल (4.01 लाख) हैं.
PM-POSHAN को ही पहले मध्याह्न भोजन योजना (Midday-Meal Scheme) के नाम से जाना जाता था. ये सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में कक्षा 8 तक के छात्रों को कवर करता है. उनके सही न्यूट्रीशियन के लिए अच्छे आहार की व्यवस्था करता है. ये योजना तीन दशक पहले शुरू की गई थी. इसकी लागत केंद्र और राज्य 60:40 के आधार पर शेयर करते हैं.
शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा सचिव ने इन आंकड़ों पर गहरी चिंता जताई है और राज्यों को इसके कारणों की पहचान कर 30 जून तक रिपोर्ट पेश करने की सलाह दी है. सभी राज्यों से भोजन की गुणवत्ता की जांच करने और उसे सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है.
इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक़, शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने नाम न बताने की शर्त पर दो संभावित कारणों की ओर इशारा किया. पहला है डेटा-कलेक्ट करने के तरीक़े में बदलाव. अब स्कूल-वार गिनती की जगह से लेकर छात्र-वार गिनती हो रही है. इस डेटा क्लीनिंग के चलते घोस्ट एंट्रीज़ में कमी आ रही है.
दूसरा, कोविड के बाद के सालों में नामांकन सरकारी से निजी स्कूलों में ट्रांसफ़र रहे हैं. हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि सटीक कारणों का पता लगाने के लिए अभी भी प्रयास जारी हैं.
नामांकन में गिरावट तो आई ही है. साथ ही, इस बैठक में स्कीम के कवरेज में कमी की बात भी कही गई. मसलन, दिल्ली में 2023-24 की तुलना में 2024-25 में मिड-डे मील का फ़ायदा उठाने वाले छात्रों की संख्या में 97,000 की कमी आई है.
दिल्ली में इसके तहत, सिर्फ़ 60 प्रतिशत बालवाटिका (प्री-प्राइमरी), 69 प्रतिशत प्राइमरी और 62 प्रतिशत अपर-प्राइमरी के छात्र ही कवर किए गए हैं. जो राष्ट्रीय औसत से नीचे है. शिक्षा मंत्रालय ने दिल्ली से इन आंकड़ों को सुधारने के लिए प्रयास करने को कहा है.
इसके अलावा, उत्तर प्रदेश में मील कवरेज में 5.41 लाख छात्रों की कमी आई है. राजस्थान में 3.27 लाख और पश्चिम बंगाल में 8.04 लाख छात्रों की कमी आई है. अधिकारियों ने बताया कि कुछ राज्यों ने छात्रों के ख़ुद के टिफिन लाने की बात कही है.
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