हमने इस वीडियो की पड़ताल की. पता चला कि वीडियो तो सही है. लेकिन इसके साथ खबरें गलत चलाई जा रही हैं. कांवड़ियों को बदनाम करने के लिए. दावे से तो कोई नहीं कह सकता कि वीडियो में कांवड़िये क्या कर रहे हैं? लेकिन निम्नलिखित पॉसिबलिटी नजर आ रही हैं.
पहली बात तो ये है कि लोग कांवड़ियों जैसी ड्रेस देखकर धोखा खा गए. जबकि असल में ये कांवड़िये हैं ही नहीं. ध्यान से देखने पर पता चलता है कि ये रेलवे के गैंगमैन हैं. इनकी ड्रेस भी कांवड़ियों जैसी होती है इसलिए धोखा हो गया. इनके हाथों में पटरी दुरुस्त रखने वाले औजार भी हैं. ये लोग काम पर निकल रहे थे तो देखा कि किसी की कार पंचर हो गई है. उसके पास कार को उठाने के लिए जैक भी नहीं था. तो इन लोगों ने श्रमदान किया. गाड़ी को उठाकर स्टेपनी बदलवाई. स्टेपनी खोजने के लिए दोनों दरवाजे खोले. अंदर अंधेरा था, स्टेपनी दिख नहीं रही थी, तो पूरे खोल दिए.

कांवड़ियों और गैंगमेन की ड्रेस में कनफूजन हो गया
दूसरी उम्मीद इस बात की है कि इन्हें 'डिफरेंट आर्मी ट्रेनिंग' दी जा रही हो. इस ट्रेनिंग के तहत रंगरूटों को हॉकी और डंडे से लड़ना सिखाया जाता है. कैसे अपनी एकता और डंडे की शक्ति से दुश्मन को नेस्तनाबूत करना है, ये बताया जाता है. लोहे की गाड़ी को लकड़ी के डंडों से तोड़ना आसान काम नहीं है. लेकिन ये किस सफाई से करना है, इसकी ट्रेनिंग जरूरी है. इसके बाद ये लोग बॉर्डर पर तैनात किए जाएंगे और वहां दुश्मनों को दौड़ा दौड़ाकर हॉकी मारेंगे.
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