वहीं इंडिया टुडे से बातचीत करते हुए कमेटी में शामिल शिव कुमार कक्का ने कहा,
"हम सरकार से आधिकारिक तौर पर बातचीत करना चाहते हैं. वो जो भी वादें करें, लिखित में करें. हमने सरकार को जो पत्र लिखा था, उसमें अपनी मांगे स्पष्ट कर दी थीं."वहीं किसान नेता योगेंद्र यादव ने भी इस पूरे मामले पर इंडिया टुडे से बात की. उन्होंने बताया कि इस कमेटी का मकसद सिर्फ अपनी मांगो को लेकर सरकार से बातचीत करना है. योगेंद्र यादव ने यह भी बताया कि जब तक किसानों पर दर्ज केस वापस नहीं होंगे और उन्हें मुआवजा नहीं मिलेगा, तब तक आंदोलन जारी रहेगा. 'आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश' इस मीटिंग के दौरान किसान नेताओं ने आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों का मुद्दा एक बार फिर से उठाया. किसानों ने मृतक 702 किसानों की लिस्ट कृषि सचिव को सौंपी. इस दौरान इस मुद्दे पर भी चर्चा हुई कि केंद्र सरकार आंदोलनरत किसानों को बांटने की कोशिश कर रही है.

किसान आंदोलन की एक तस्वीर. (साभार- पीटीआई)
इंडिया टुडे से जुड़े अमित भारद्वाज की रिपोर्ट के मुताबिक, संयुक्त किसान मोर्चा को लगता है कि अलग-अलग किसान नेताओं से बात कर केंद्र सरकार आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश कर रही है. ऐसे में जब मोर्चे ने पांच लोगों के नाम को तय कर दिया है, तो अब सरकार को बातचीत के लिए सीधे उनसे संपर्क करना होगा. संयुक्त किसान मोर्चा के का कहना है कि सरकार से मुलाकात के बाद ये पांच सदस्य एक बड़ी बैठक का आयोजन करेंगे, जिसमें आगे के कदम का फैसला लिया जाएगा.
इससे पहले 30 नवंबर को केंद्र सरकार ने संसद में बताया कि उसके पास आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों का डेटा नहीं हैं. केंद्र सरकार की तरफ से ये जवाब कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा में दिया. उन्होंने कहा कि क्योंकि सरकार के पास मृतक किसानों का कोई डेटा नहीं है, इसलिए उनके परिजनों का मुआवजा देने का कोई सवाल ही नहीं उठता. केंद्रीय कृषि मंत्री ने एक लिखित सवाल के जवाब में ये बयान दिया था. उन्होंने ये भी बताया था कि आंदोलनरत किसानों के साथ गतिरोध को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार ने उनसे 11 दौर की बातचीत की.



















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