इंडिया टुडे की पत्रकार सौम्या विश्वनाथन (Soumya Vishwanathan) मर्डर केस में चार दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. कोर्ट ने फैसल में कहा कि चारों कैदियों से जुर्माने के तौर पर 1 लाख 25 लाख रुपये भी लिए जाएंगे. दिल्ली की साकेत कोर्ट ने उन्हें फांसी की सजा देने से इनकार कर दिया. कोर्ट का मानना है कि चारों दोषियों ने जो किया, वो दुर्लभ श्रेणी (रेअरेस्ट ऑफ द रेयर) में नहीं आता है इसलिए उन्हें मौत की सजा नहीं दी जा सकती है.
पत्रकार सौम्या विश्वनाथन मर्डर के चार दोषियों को उम्रकैद की सजा, कोर्ट में मां ने क्या कहा?
दिल्ली की साकेत कोर्ट ने सभी दोषियों को फांसी की सजा देने से इनकार कर दिया.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, 25 नवंबर को कोर्ट ने सजा की घोषणा करते हुए कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि युवा पत्रकार सौम्या की जान चली गई. कोर्ट ने आगे कहा,
“भारत में कामगार महिलाओं की भागीदारी दर में गिरावट आ रही है और इस गिरावट का एक कारण ये है कि महिलाओं को काम पर आने-जाने के दौरान दुर्व्यवहार, हमले का ज्यादा खतरा रहता है.”
जब कोर्ट ने सौम्या की मां से पूछा कि वो कुछ कहना चाहती हैं तो मां ने जवाब दिया कि उन्हें 15 साल बाद सिर्फ न्याय का इंतजार है. उन्होंने कहा कि उनके पति ICU में न्याय का इंतजार कर रहे हैं.
चारों दोषियों - रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत मलिक और अजय कुमार को हत्या और मकोका के तहत आजीवन कारावास की सजा हुई है. हत्या के लिए 25 हजार जुर्माना और मकोका के तहत 1 लाख रुपये जुर्माना देना होगा.
वहीं, पांचवें आरोपी अजय सेठी को IPC के सेक्शन 411 के तहत दोषी करार दिया था. उसे लूट का माल अपने कब्जे में रखने के लिए दोषी माना गया था. हत्या के लिए नहीं. उस पर 7 लाख 50 हजार रुपये का जर्माना लगाया गया है, जिसमें से 7 लाख 20 हजार रुपये सौम्या के परिवार को दिए जाएंगे. उसे तीन साल की सजा सुनाई गई. लेकिन अजय पहले से ही जेल में बंद है तो अब वो जेल से बाहर आ सकता है.
पत्रकार सौम्या विश्वनाथन 30 सितंबर 2008 को अपनी कार में मृत पाई गई थीं. उस वक्त वो अपने ऑफिस से वापस घर लौट रही थीं. कार दक्षिणी दिल्ली के वसंत कुंज इलाके में मिली. शुरुआत में माना जा रहा था कि वो कार एक्सीडेंट में मारी गई हैं. लेकिन फॉरिन्सिक रिपोर्ट में सामने आया कि सिर पर गोली लगने से उनकी मौत हुई है. इसके बाद मामले में हत्या की जांच शुरू हुई.
पुलिस को शक था कि किसी ने सौम्या की गाड़ी का पीछा किया. लेकिन गोली किसी और गाड़ी से चलाई गई. CCTV फुटेज से पता चला कि एक कार सौम्या का पीछा कर रही थी. फिर 2009 में एक अलग मामले में पुलिस ने दो संदिग्धों रवि कपूर और अमित शुक्ला को गिरफ्तार किया. उन पर कॉल सेंटर एग्जिक्यूटिव जिगीशा घोष की हत्या करने का आरोप था. रवि कपूर और अमित शुक्ला ने पूछताछ में सौम्या की हत्या करने को भी कबूल किया था. उन्होंने कहा था कि ये उनके लिए एक थ्रिल था. इनसे पूछताछ के बाद बलजीत मलिक, अजय कुमार और अजय सेठी को भी गिरफ्तार किया गया था.
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जून 2010 में दिल्ली पुलिस ने सौम्या विश्वनाथन की हत्या के लिए रवि कपूर और अमित शुक्ला के साथ दो और संदिग्धों बलजीत मलिक और अजय सेठी के खिलाफ चार्जशीट दायर की. सुनवाई 16 नवंबर 2010 को साकेत कोर्ट में शुरू हुई. इसके 6 साल बाद 19 जुलाई 2016 को साकेत कोर्ट ने अपनी सुनवाई पूरी की. लेकिन फैसला अगली सुनवाई के लिए सुरक्षित रखा. तब से किसी न किसी कानूनी जटिलता के चलते फैसले को कई बार टाला गया. आखिरकार, साकेत कोर्ट ने इस साल 18 अक्टूबर को सौम्या विश्वनाथन के पांच आरोपियों को दोषी करार दिया.
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