कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से रेप और हत्या मामले में दोषी को उम्रकैद की सजा सुनाए जाने पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि वो इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं. उन्होंने कहा कि अगर इस केस की जांच कोलकाता पुलिस करती, तो वो दोषी के लिए मौत की सजा सुनिश्चित करती. मुख्यमंत्री ने दावा किया कि कोलकाता पुलिस से जांच की जिम्मेदारी 'जबरन' ले ली गई. 20 जनवरी को कोलकाता की एक सेशन्स कोर्ट ने मामले में दोषी संजय रॉय को उम्रकैद की सजा सुनाई. कोर्ट ने उस पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
ममता बनर्जी का दावा, 'आरजी कर केस कोलकाता पुलिस देखती तो संजय को मौत की सजा मिलती'
मुख्यमंत्री ने दावा किया कि कोलकाता पुलिस से जांच की जिम्मेदारी 'जबरन' ले ली गई. उन्होंने कहा कि अगर इस केस की जांच कोलकाता पुलिस करती, तो वो दोषी के लिए मौत की सजा सुनिश्चित करती.
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इस फैसले के बाद ममता बनर्जी मुर्शिदाबाद में पत्रकारों से बात कर रही थीं. उन्होंने कहा,
"हम पहले दिन से ही मौत की सजा की मांग कर रहे थे और हम अब भी वही मांग कर रहे हैं. लेकिन कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. अगर ये केस पुलिस के पास होता, तो हम बहुत पहले सुनिश्चित करते कि उसके लिए मौत की सजा सुनिश्चित करते. लेकिन केस हमसे (कोलकाता पुलिस) ले लिया गया. हम न्याय चाहते हैं. इस तरह के अपराधियों को फांसी देनी चाहिए. मैं कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं हूं."
मुख्यमंत्री ने CBI की आलोचना करते हुए आगे कहा,
‘‘हमें नहीं पता कि जांच कैसे की गई. राज्य पुलिस ने इस तरह के कई मामलों में मौत की सजा सुनिश्चित की है. अगर मौत की सजा सुनाई गई होती, तो कम से कम मेरे दिल को कुछ शांति मिलती."
रेप और मर्डर की घटना के कुछ दिन बाद, 13 अगस्त 2024 को कलकत्ता हाई कोर्ट ने मामले की जांच कोलकाता पुलिस से CBI को ट्रांसफर करने का आदेश दिया था. इस घटना के बाद कोलकाता समेत देश के कई हिस्सों में लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन हुए थे.
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57 दिनों की सुनवाई के बाद 18 जनवरी को सियालदह कोर्ट ने संजय रॉय को दोषी ठहराया था. बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, सीबीआई ने दोषी के लिए मौत की सजा की मांग की थी. हालांकि, 20 जनवरी को एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन्स जज अनिर्बान दास ने मौत की सजा देने से इनकार करते हुए कहा कि इसे "दुर्लभ से दुर्लभतम" अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता.
कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को पीड़िता के परिवार को 17 लाख रुपये मुआवजा देने का भी आदेश दिया. जज ने कहा,
"चूंकि पीड़िता की मौत उसके काम की जगह अस्पताल में ड्यूटी के दौरान हुई, इसलिए राज्य की यह जिम्मेदारी है कि वह डॉक्टर के परिवार को मुआवजा दे."
संजय रॉय को भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा-64 (रेप), 66 (मौत का कारण बनने की सजा) और 103 (1) (हत्या) के तहत दोषी ठहराया गया था. कोर्ट ने रॉय को बताया कि उसे इस फैसले के खिलाफ कलकत्ता हाई कोर्ट में अपील करने का अधिकार है. जरूरत पड़ने पर उसे कानूनी मदद भी दी जाएगी.
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