उमेश पाल हत्याकांड के बाद से अतीक अहमद का नाम खूब चर्चा में है. माफिया से नेता बने अतीक के अपराधों की लिस्ट बहुत लंबी है. हत्या, हत्या की कोशिश, किडनैपिंग जैसे सैकड़ों केस दर्ज हैं. उस वक्त IPS अफसर रहे लाल जी शुक्ला ने अतीक अहमद से जुड़ी कई बातें बताई हैं (Retd. IPS Lalji Shukla on Ateeq Ahmed). वो किस्सा भी सुनाया जब अतीक ने उनके खौफ से खुद पर ही बम से हमला करवाया था. ताकि उसके खिलाफ की जा रही कार्रवाई को रोका जा सके.
जब एक IPS से डरकर अतीक अहमद ने खुद पर बम फिकवाया था!
अतीक ने बेटे से क्यों करवाई उमेश की हत्या? रिटायर्ड IPS ने इसके पीछे की भी कहानी बताई

आजतक से जुड़े संतोष शर्मा के साथ बातचीत में लाल जी शुक्ला ने उमेश पाल हत्याकांड को लेकर अतीक की प्लानिंग से जुड़ी कुछ अहम बातें बताईं.
सवाल- अतीक ने उमेश पाल की हत्या में बेटे असद को क्यों शामिल किया?
जवाब: अतीक अहमद ने उमेश पाल हत्याकांड में असद को इसलिए शामिल कराया ताकि ये ऑपरेशन सफल हो सके. राजू पाल पर जो हमला हुआ उसमें अशरफ शामिल था. कई हत्याओं में अतीक खुद शामिल हुआ. अतीक ने हमेशा वारदात के ऑपरेशन को अपने कंट्रोल में रखा. एक वारदात में तो उसके पिता भी शामिल रहे हैं जिन्होंने खुद ललकार कर चकिया इलाके में एक हत्या करवाई थी.
सवाल- उमेश पाल हत्याकांड में कहां चूक हुई कि 18 दिन बाद भी शूटर गिरफ्तार नहीं हो सके?
जवाब: इसे चूक ना कहा जाए. अतीक अहमद काफी दिनों से गुजरात जेल में है. अनुमान नहीं था कि उमेश पाल की हत्या करवाई जाएगी क्योंकि उसके गैंग के अन्य लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी. पुलिस को लगा था कि वो अब उस तरह से सक्रिय नहीं है जैसे पहले रहता था. उमेश पाल हत्याकांड में कुछ नए शूटर हैं और कुछ पुराने. पुराने शूटर सक्रिय नजर नहीं आए और नए के बारे में जानकारी नहीं हो पाई. इसी वजह से उनके खिलाफ कार्रवाई में देरी हुई.
सवाल- मुख्तार और अतीक के बीच कैसे रिश्ते हैं?
जवाब: अभी का नहीं बता सकता. लेकिन मेरी जानकारी में मुख्तार और अतीक के बीच दुश्मनी की कोई घटना नहीं है. उनके मधुर संबंध रहे हैं.
सवाल- अतीक ने खुद पर ही क्यों बम से हमला करवाया था?
जवाब: अतीक के खिलाफ मेरी नियुक्ति के दौरान इलाहाबाद पुलिस ने बहुत कार्रवाई की. प्रभावी कार्रवाई के चलते उसके अंदर डर पैदा होना स्वाभाविक था. वो मुझसे क्या... कानून से डरता था क्योंकि कानून उसका पीछा कर रहा था. 7 अगस्त, 2002 को अतीक को पेशी पर लाया गया था, रिमांड की कार्रवाई होनी थी और उसने खुद पर बम से हमला करवाया.
हमला ऐसे करवाया गया जो ज्यादा घातक ना हो. इस घटना के बाद इनके समर्थकों ने कई जगहों पर हिंसा की. अकस्मात घटना होती तो सभी जगह एक साथ हिंसा शुरू नहीं होती. इसका केवल एक उद्देश्य था कि पुलिस प्रशासन दबाव में आ जाए और कोई कार्रवाई न करे. लेकिन इनकी साजिश फेल हो गई जब अखलाक गिरफ्तार हुआ.
सवाल- किस मामले में अतीक पर एक दिन में 113 मुकदमे दर्ज हुए?
जवाब: अतीक अहमद पहले गुंडई , रंगदारी, वसूली करता था लेकिन उसने जो बड़ा व्यापार पकड़ा, वो था रेलवे की ठेकेदारी. कोई उसके खौफ के मारे टेंडर डालता नहीं था. अतीक अहमद बड़े पैमाने पर स्क्रैप के काम में गड़बड़ी करता था. खूब पैसा कमाया. 2002 में इसने व्यापार करने के लिए 12 फर्म खोली और इनमें से केवल दो फर्म सेल टैक्स में रजिस्टर्ड थीं. बाकी 10 फर्म फर्जी थीं और सभी एक ही पते पर रजिस्टर्ड थीं.
जब ये बात सामने आई तो रेलवे, सेल्स, टैक्स सभी से रिकॉर्ड लिए गए. अरबों की हेरा-फेरी सामने आई. उस समय अतीक पर कुल 113 मामले बने. तब अतीक अहमद ने हाई कोर्ट में अपील की और हाईकोर्ट ने टेक्निकल ग्राउंड पर सभी FIR खत्म कर दीं. फिर सरकार बदल गई और अतीक फिर तरक्की करने लगा.
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