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CM प्रमोद सावंत को घेरने वाले गोविंद गौड़े का दावा, 'जेपी नड्डा के दबाव में...'

Govind Gaude On Pramod Sawant JP Nadda: आदिवासी नेता गोविंद गौड़े को 18 जून को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया था. अब गोविंद ने सीएम प्रमोद सावंत के इस फैसले के पीछे दबाव होने की बात कही है.

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गोवा कैबिनेट से बाहर किए जाने के बाद गोविंद गौड़े ने बड़ा दावा किया है. (फ़ोटो- Facebook/Govind Gaude)

मंत्रिमंडल से हटाए जाने के कुछ दिनों बाद, गोवा के पूर्व कला एवं संस्कृति मंत्री गोविंद गौड़े (Govind Gaude) ने BJP आलाकमान पर बड़ा आरोप लगाया है. उन्होंने दावा किया है कि BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) के दबाव में उन्हें हटाने का फ़ैसला लिया गया. और ये बात उन्हें ख़ुद गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत (Pramod Sawant) ने बताई है.

रविवार, 22 जून को गोवा के मार्सेल शहर में प्रियोल प्रगति मंच के बैनर तले एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था. गोविंद गौडे यहीं पहुंचे हुए थे. इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक़, मंत्रिमंडल से निकाले जाने के बाद वो पहली बार सार्वजनिक रूप से सामने आए थे. इस दौरान उन्होंने पूछा, ‘क्या ये ग़लत है कि कोई मंत्री किसी विभाग से जवाबदेही मांगता है.’ उन्होंने आगे कहा,

मुझे 18 जून की शाम मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत का फ़ोन आया. जिसमें मुझसे इस्तीफ़ा देने को कहा गया. मुख्यमंत्री ने कहा कि जेपी नड्डा का दबाव है. मैंने स्पष्ट कर दिया कि मैं इस्तीफा नहीं दूंगा. क्योंकि मेरी लड़ाई हमेशा लोगों के लिए रही है. बाद में, मुख्यमंत्री ने मीडिया से कहा कि ये (मुझे मंत्रिमंडल से हटाने का) उनका अपना फ़ैसला था.

आदिवासी नेता गोविंद गौड़े को 18 जून को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया था. उससे क़रीब तीन हफ़्ते पहले उन्होंने आदिवासी कल्याण विभाग में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. ये विभाग मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के पास है.

विवाद कैसे शुरू हुआ?

विवाद तब शुरू हुआ, जब 25 मई को प्रेरणा दिवस के मौक़े पर गौड़े ने आदिवासी कल्याण मंत्रालय के कामकाज पर कटाक्ष किया. उस दिन अपने भाषण में गौड़े ने कहा था,

टैक्सपेयर्स के पैसे का एक बड़ा हिस्सा आदिवासी कल्याण विभाग को अलॉट किया जाता है. अगर ये विभाग इस कार्यक्रम को सही से आयोजित करने में समर्थ नहीं, तो ये प्रशासन पर नियंत्रण की कमी को दर्शाता है. मेरे विचार से, आज प्रशासन कमज़ोर हो गया है. ठेकेदारों की फाइलें चुपके से श्रम शक्ति भवन (एक सरकारी ब्लॉक) की इमारत में संभाली जाती हैं. उनसे कुछ लिया जाता है. फिर उनसे अपनी फ़ाइलें जमा करने के लिए कहा जाता है.

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बयान के सामने आते ही गौड़े अपनी पार्टी के भीतर ही घिर गए. प्रदेश अध्यक्ष दामू नाईक और सीएम प्रमोद सावंत ने उनको कार्रवाई की चेतावनी भी दी थी. बाद में उनकी मंत्रिमंडल से बर्खास्तगी की ख़बर आई. हालांकि, 22 जून को कार्यक्रम में बोलते हुए, गोविंद गौडे ने कहा कि वो भाजपा नहीं छोड़ेंगे और आदिवासी समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ते रहेंगे. उन्होंने ये भी कहा,

मैं इस भाषण को हिंदी, अंग्रेजी और मराठी में भी लिखूंगा. फिर दिल्ली में नेताओं को भेजूंगा. ताकि कोई ग़लत कहानी न गढ़ सके.

बता दें, गोविंद गौडे प्रियोल निर्वाचन क्षेत्र के विधायक हैं. उन्होंने ये भी दावा किया कि 2022 में भाजपा में शामिल होने के बाद से पिछले साढ़े तीन साल में, उन्हें दिल्ली में पार्टी आलाकमान से मिलने की अनुमति नहीं दी गई.

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