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क्या है राशन घोटाला, जिसके चलते छापा मारने गई ED की टीम पर हमला हो गया?

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि वह राज्य में हिंसा खत्म करने के लिए संवैधानिक विकल्प तलाशेंगे. विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने मामले में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से हस्तक्षेप की मांग की है.

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फोटो न्यूज एजेंसी एनआई

पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में शुक्रवार, 5 जनवरी की सुबह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की एक टीम पर एक TMC नेता के समर्थकों ने हमला कर दिया. टीम के साथ आए CRPF के जवानों के साथ भी मारपीट की गई. सड़क जाम कर टीम की गाड़ियों में तोड़फोड़ की गई. ED की टीम कथित राशन वितरण घोटाले के सिलसिले में छापेमारी करने गई थी. घटना में कई लोगों को गंभीर चोटें आई हैं.

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राशन वितरण घोटाले में ये पहली छापेमारी नहीं है. लेकिन इस तरह से ED की टीम पर हमला पहली बार हुआ है. पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि वह राज्य में हिंसा खत्म करने के लिए संवैधानिक विकल्प तलाशेंगे. विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने मामले में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से हस्तक्षेप की मांग की है. जबकि TMC ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए ED पर पार्टी की छवि खराब करने की कोशिश का आरोप लगाया है.

आज सुबह, ED, उत्तर 24 परगना में दो TMC नेताओं के घर छापा मारने पहुंची थी. ED की एक टीम ने सबसे पहले बोनगांव नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन शंकर आध्या के घर और ससुराल पर छापा मारा. जबकि दूसरी टीम जिले के संदेशखली इलाके में शाहजहां शेख के घर पहुंची. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आध्या और शाहजहां शेख, राज्य सरकार में मंत्री ज्योति प्रिया मलिक (बालू) के करीबी हैं, ज्योति प्रिया मलिक को पहले ही कथित घोटाले के आरोप गिरफ्तार किया जा चुका है. शाहजहां शेख को इलाके में TMC का मजबूत नेता माना जाता है. ईंट के भट्टे सहित उनका कई चीजों का व्यापार भी है.

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ED की टीम जब TMC नेता शाहजहां शेख के घर पहुंची, तब उनके घर पर ताला लटका हुआ था. इंडियन एक्सप्रेस अखबार की खबर के मुतबिक, ED ने करीब एक घंटे तक शाहजहां शेख के आने का इंतजार किया. उसके बाद ED के अधिकारियों ने घर का ताला तोड़ने की कोशिश की. इसी बीच इलाके के लोग इकठ्ठा हो गए. भीड़ जुटती देख, ED ने अपने कदम पीछे ले लिए. लेकिन भीड़ ने विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया. टायर जलाए गए. कुछ लोगों ने मीडिया की गाड़ियों पर भी हमला कर दिया और तोड़फोड़ की. ED के अधिकारियों के मौके से वापस चले आने के बाद भी लोग नहीं रुके और सड़कें जाम कर दीं.

राज्य में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने केंद्रीय गृह मंत्री से NIA से जांच करवाने की मांग की है. उन्होंने सोशल मीडिया साइट X पर लिखा,

पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था की स्थिति जर्जर है. उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखली में TMC नेता शेख शाहजहां के घर पर छापेमारी के वक़्त ED के अधिकारियों और CRPF के जवानों पर बेरहमी से हमला किया गया. मुझे शक है कि देश विरोधी हमलावरों में रोहिंग्या भी मौजूद हैं. मैं केंद्रीय गृहमंत्री से आग्रह करता हूं कि बंगाल के राज्यपाल, ED के निदेशक और CRPF को इस गंभीर स्थिति का संज्ञान लेना चाहिए और इस अराजकता को कुचलने के लिए उचित कार्रवाई करनी चाहिए.

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पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बोस ने इस घटना को चुनाव पूर्व हिंसा बताते हुए कहा,

संदेशखली से सामने आई भयावह घटना चिंताजनक और निंदनीय है. लोकतंत्र में बर्बरता रोकना एक सभ्य सरकार का परम कर्तव्य है. अगर कोई सरकार अपने मूल कर्तव्य में विफल रहती है, तो भारत का संविधान अपना काम करेगा. बतौर राज्यपाल, मैं उचित कार्रवाई के लिए अपने सभी संवैधानिक विकल्प तलाशूंगा. समाज में हिंसा की पूरी जिम्मेदारी सरकार की है. सरकार अपनी आंखें खोले, वास्तविकता देखे और प्रभावी ढंग से काम करे या फिर परिणाम भुगते. हिंसा करने वालों और खासकर उनके राजनीतिक साथियों को जल्द ही ये एहसास कराया जाएगा कि आप कुछ लोगों को हर वक़्त और सभी लोगों को कभी-कभी मूर्ख बना सकते हैं, लेकिन सभी लोगों को हर वक़्त मूर्ख नहीं बना सकते. अब वक़्त आ गया है कि हम बंगाल में हिंसा रोकें.

मैं लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि जंगल राज और गुंडा राज मूर्खों के स्वर्ग में चलेगा, बंगाल में नहीं. यह कोई बनाना रिपब्लिक नहीं है. चुनाव पूर्व इस हिंसा का शीघ्र अंत होगा और होना भी चाहिए. यह उस अंत की शुरुआत है.

टीएमसी ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और ED पर पार्टी की छवि जानबूझकर खराब करने की कोशिश का आरोप लगाया. पार्टी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, 

संदेशखली की घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. हालांकि, केंद्रीय एजेंसियों और केंद्रीय बलों ने इसके लिए लोगों को उकसाया है. बीजेपी के कहने पर एजेंसियां ​​हर रोज छापेमारी के नाम पर अलग-अलग इलाकों में जाकर लोगों को भड़का रही हैं. हर दिन, हर घटना में TMC की छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है. ये अब एक ट्रेंड बन गया है.

घोष ने ये भी कहा कि

एक तरफ, सुवेंदु अधिकारी जैसे भ्रष्ट नेताओं के घरों पर कोई छापेमारी नहीं की जाती है, जो कैमरे पर पैसे लेते हुए पकड़े गए थे और CBI की FIR में नामजद आरोपी हैं. लेकिन जहां भी BJP, TMC के सामने खड़ी नहीं हो पाती है, वहां केंद्रीय एजेंसियां ​​छापेमारी करती हैं और लोगों को भड़काती हैं. मैं लोगों से अपील करूंगा कि वे इस जाल में न फंसें. ये केंद्रीय एजेंसियां ​​अपने फायदे के लिए कुछ मीडिया का भी इस्तेमाल कर रही हैं. मैं लोगों से इनके इरादे को समझने की अपील करता हूं."

क्या है ये घोटाला?

ED पिछले कई महीनों से कथित राशन वितरण घोटाले को लेकर जांच और छापेमारी कर रही है. ED ने खुलासा किया था कि पश्चिम बंगाल में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम) के तहत बांटे जाने वाले राशन का करीब 30 फीसद राशन बेच दिया गया. ED के मुताबिक, राशन को बेचने से जो पैसा आया, उसे मिल के मालिकों और PDS डिस्ट्रीब्यूटर्स के बीच बांट दिया गया. आरोप है कि ये सारा खेल, कुछ सहकारी समितियों की मिली भगत से हुआ. इसके लिए चावल की मिलों के मालिकों ने किसानों के फर्जी खाते खोले. और उनके अनाज के बदले उन्हें दिया जाने वाला तय MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) का पैसा अपनी जेबों में भर लिया. जबकि सरकारी एजेंसियां, अनाज को सीधे किसानों से खरीदने वाली थीं. इस मामले के एक संदिग्ध आरोपी ने ये स्वीकार किया कि चावल मिल मालिकों ने इस तरह से प्रति क्विंटल लगभग 200 रुपए कमाए. ED ने अपने एक बयान में बताया कि कई चावल मिल मालिक, सालों से ये घोटाला कर रहे थे. बीते साल 14 अक्टूबर को इस कथित घोटाले के मामले में ED ने एक मिल मालिक बकीबुर रहमान को गिरफ्तार किया था. उसके बाद, इसी मामले में राज्य के वर्तमान वन मंत्री ज्योति प्रिया मलिक को भी गिरफ्तार किया गया था. जिस दौरान, राशन वितरण में अनियमितताएं हुईं, उस वक़्त तक ज्योति प्रिया मलिक ही राज्य के खाद्य आपूर्ति मंत्री थे.

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