सरस्वती शिशु मंदिर भारत का सबसे बड़ा प्राइवेट स्कूल नेटवर्क है. इनको चलाता है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ. शॉर्ट में RSS.
दोनों लड़कियों ने बताया कि आरोपी प्रधानाचार्य स्कूल की बाकी कई लड़कियों के साथ बदसलूकी करता है. कोई ऐतराज करे, विरोध करे, तो धमकी देता है. कहता है- फेल कर दूंगा. डर के मारे लड़कियां चुप रह जाती हैं.
स्कूल की कई लड़कियों के साथ बदसलूकी करता था महिला पुलिस की एक टीम स्कूल पहुंची. बाकी लड़कियों से बात करने. पता चला कि पुरंदर राम यादव बाकी कई लड़कियों के साथ बदतमीजी करता था. उन्हें छेड़ता था. उनके साथ अश्लील हरकतें करता था. पुलिस ने इन लड़कियों के बयान भी नोट कर लिए. इस मामले की जांच DSP पद्मश्री तंवर कर रही हैं. आरोपी प्रधानाचार्य की तलाश के लिए पुलिस की दो टीमें लगाई गई हैं.
इसी इलाके के एक और स्कूल का प्रिंसिपल फरार है कुछ दिनों पहले इसी इलाके में इसी से मिलता-जुलता मामला हुआ था. यहां एक राजकीय कन्या स्कूल है. इसके प्रिंसिपल का नाम अमृत राम निकुंज है. उसके खिलाफ भी छेड़छाड़ का आरोप लगा. FIR दर्ज होने के बाद वो भी फरार. महीना भर हो गया. पुलिस अभी तक अमृत राम को पकड़ नहीं पाई है. हां, शिक्षा विभाग ने उसे सस्पेंड जरूर कर दिया है.

ये तस्वीर नई दिल्ली में आयोजित 7वें नानाजी देशमुख मेमोरियल लेक्चर के उद्घाटन के समय की है. संघ प्रमुख मोहन भागवत दीया जला रहे हैं. नानाजी ने ही गोरखपुर में पहला सरस्वती शिशु मंदिर खुलवाया था.
1952 में खुला था पहला सरस्वती शिशु मंदिर RSS के पास स्कूलों का एक अलग विभाग है. विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान. इसी का एक हिस्सा है सरस्वती शिशु मंदिर की चेन ऑफ स्कूल्स. बहुत पुरानी है इसकी हिस्ट्री. भारतीय जन संघ के नेता थे नानाजी देशमुख. 1952 का साल था. नानाजी ने गोरखपुर के अंदर एक स्कूल शुरू किया. ये पहला सरस्वती शिशु मंदिर था. छोटी सी इमारत में शुरू हुआ ये स्कूल. इमारत का किराया था पांच रुपया. RSS का कहना है कि ये स्कूल विद्या के देवी सरस्वती का मंदिर है, बच्चों के नाम. इसके बाद कई और इलाकों में इसकी शाखाएं खोली गईं. फिर 1958 में RSS ने इन स्कूलों को चलाने के लिए एक खास कमिटी बनाई. नाम रखा- शिशु शिक्षा प्रबंध समिति. RSS ने देश के कई राज्यों में इसे खोला. और देखते ही देखते ये भारत का सबसे बड़ा प्राइवेट स्कूल नेटवर्क बन गया. 2017 के आंकड़ों के मुताबिक देश भर में 17,000 से ज्यादा सरस्वती शिशु मंदिर हैं.
अलग होती हैं इस स्कूल की परंपराएं इसकी फंक्शनिंग थोड़ी अलग होती है. जैसे- स्कूल में पढ़ने वाले लड़के-लड़कियां एक दूसरे को भैया-बहन कहकर बुलाते हैं. पुरुष शिक्षक होंगे, तो उनको आचार्य जी कहा जाएगा. महिला शिक्षिकाएं होंगी, तो वो बहन जी कहलाती हैं. कई जगह उनको 'दीदी जी' भी पुकारते हैं. स्कूल में सूर्य नमस्कार कराया जाता है. जैसे संघ की शाखाएं होती हैं, वैसे ही इन स्कूलों में भी बच्चे सुबह व्यायाम करते हैं. अंग्रेजी स्कूलों में एक 'हेड बॉय' और 'हेड गर्ल' की संस्कृति होती है. ऐसा ही कुछ इन स्कूलों में भी होता है. एक लड़का सेनापति चुना जाता है. दोपहर के खाने से पहले यहां बच्चे साथ जुटते हैं. पूरा स्कूल 'भोजन मंत्र' पढ़ता है.
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