क्या है रंजय सिंह मर्डर केस, जिसकी सुनवाई धनबाद के जिला जज कर रहे थे
जज की गाड़ी से टक्कर मारकर कथित तौर पर हत्या कर दी गई है.

न्यायाधीश उत्तम आनंद, जिनकी 28 जुलाई की सुबह मौत हो गई.
झारखंड के धनबाद का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है. धनबाद में एक जज की हत्या हुई है. कैसे हुई हत्या, वो इस वीडियो में है.
एक आदमी सड़क किनारे चल रहा है. पीछे से एक टेम्पो आता है. टेम्पो अपनी बांयी तरफ जाकर सड़क किनारे चल रहे आदमी को टक्कर मारते हुए, तेज़ी से निकल जाता है. ये सीसीटीवी झारखंड के धनबाद का है. जिस आदमी को टक्कर मारी गई है, वो धनबाद के ज़िला और सेशन जज उत्तम आनंद हैं. घटना बुधवार सुबह करीब 5 बजे की है. टेम्पो की टक्कर से जज उत्तम आनंद के सिर में गहरी चोट आई, कानों से खून पहने लगा. उन्हें पटना के PMCH अस्पताल में लाया गया. लेकिन वहां मृत घोषित कर दिया गया. 28 जुलाई की सुबह ये मामला एक सड़क हादसे की तरह देखा जा रहा था. नेशनल मीडिया के पास तो ये खबर पहुंची भी नहीं थी. धनबाद में भी इसे हिट एंड रन यानी वाहन से टक्कर मारकर भागने का मामला माना जा रहा था. लेकिन फिर हादसे का सीसीटीवी वीडियो हाथ आया. वीडियो देखकर समझ आता है कि जज को जान बूझकर टक्कर मारी गई है. पुलिस ने भी हत्या का केस दर्ज किया तो कुछ और बातें मालूम चली. जैसे कि जिस ऑटो से टक्कर मारी गई है वो भी हत्या के कुछ घंटों पहले ही चोरी किया गया था. यानी जज की हत्या का पूरा प्लान तैयार किया गया था. पुलिस ने ऑटो के चालक और ऑटो में सवार दो लोगों को गिरफ्तार किया है.
बात सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची
जज की हत्या का वीडियो वायरल हुआ तो हाईकोर्ट के भी कान खड़े हुए, सुप्रीम कोर्ट तक भी बात पहुंची. झारखंड हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य के डीजीपी और धनबाद के एसएसपी से जवाब तलब किया. कोर्ट ने डीजीपी से पूछा आप जांच ना कर पाएं तो मामला सीबीआई को सौंपें. पुलिस कंट्रोल रूम से सीसीटीवी फुटेज मीडिया में कैसे वायरल हो, इस पर भी कोर्ट ने नाराज़गी जताई. सरकार से भी जवाब मांगा गया है. जज की हत्या का मामला सुप्रीम कोर्ट में भी लाया गया. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने चीफ जस्टिस से हत्या पर गौर करने का आग्रह किया. चीफ जस्टिस ने कहा कि उनकी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से बात हुई है और उन्होंने पुलिस को नोटिस दिया है. अभी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के दखल की ज़रूरत नहीं है.
हत्या किसने करवाई?
अब आते हैं इस सवाल पर कि अगर उत्तम आनंद की हत्या हुई है, तो हत्या करवाई किसने. पुलिस गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ कर रही है. और हत्या के तार जुड़ रहे हैं धनबाद के कुख्यात कोल माफियाओं से. जज उत्तम आनंद धनबाद के चर्चित रंजय मर्डर केस की जांच कर रहे थे. रंजय सिंह नाम के आदमी की मार्च 2017 में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. कौन था रंजय सिंह. धनबाद में कोयले के कारोबार से जुड़ा बाहुबली परिवार. तो एक बार रंजय मर्डर की बात यहां रोककर, धनबाद के सबसे ताकतवर परिवार की बात कर लेते हैं. सिंह मेंशन नाम के बंगले में रहने वाला परिवार. जिसका धनबाद में अपना रसूख है. उस सूर्यदेव सिंह का परिवार, जो यूपी के बलिया से काम की तलाश धनबाद गया था. लेकिन कोयले का बहुत बड़ा कारोबारी बना. राजनीति में आया. सूर्यदेव सिंह को कोयले का टाइगर कहा जाता था. वो 1970 और 80 के दशक में कई बार विधायक रहे. उनके चार भाई भी कोयले के धंधे में थे.
विरासत की लड़ाई
1991 में सूर्यदेव सिंह की मौत हो गई. तो परिवार विरासत के लिए झगड़ने लगा. सूर्यदेव सिंह की मौत के बाद बच्चा सिंह झरिया से विधायक रहे और झारखंड के शहरी विकास मंत्री बने. सूर्यदेव सिंह के भाई राजनारायण सिंह का परिवार सिंह मेंशन से अलग हो गया है. और रघुकुल नाम से अपना बंगला बनाया. अब सिंह मेंशन और रघुकुल मेंशन में दो बराबर की गैंग्स की तरफ झगड़ा चलने लगा. सूर्यदेव के पुत्र संजीव सिंह पिछली बार झरिया सीट से बीजेपी के विधायक थे. उन्होंने रघुकुल मेंशन में रहने वाले चचेरे भाई नीरज सिंह को हराया था जो कांग्रेस से लड़ रहे थे. तो परिवार में ये राइवलरी चल ही रही थी कि मार्च 2017 में बीजेपी विधायक संजीव सिंह के करीबी रंजय सिंह की हत्या हो गई. हत्या के कुछ दिन बाद ही संजीव सिंह के चचेरे भाई और धनबाद के डिप्टी मेयर नीरज सिंह की हत्या कर दी गई. हत्या के आरोप में गिरफ्तार हुए नीरज के चचेरे भाई और बीजेपी विधायक संजीव सिंह. ऐसा माना गया कि नीरज सिंह की तरफ से पहले रंजय सिंह की हत्या करवाई गई. और उसका बदला लेने के लिए बीजेपी विधायक संजीव सिंह ने चचेरे भाई नीरज सिंह को मरवाया. तो इस तरह से चार साल पहले रंजय सिंह की हत्या हुई थी. रंजय सिंह की हत्या के मामले पर सुनवाई जज उत्तम आनंद ही कर रहे थे. इस मामले में जज ने तीन दिन पहले ही रवि ठाकुर नाम के आरोपी की ज़मानत अर्ज़ी खारिज की थी. रवि ठाकुर कुख्यात अमन सिंह गैंग का हिस्सा है. तो आशंका है कि हत्या के पीछे अमन सिंह गैंग का हाथ हो सकता है. अब तक कि जांच के बाद पुलिस ने इस मामले में एक ऑटो को जब्त किया है. कह रही है कि इसी ऑटो से जज को टक्कर मारी गई. इसके अलावा ड्राइवर समेत 3 संदिग्धों को भी गिरफ्तार किया गया है. धारा-302 यानी हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है. सड़क चलते एक जज को टेम्पो की टक्कर मार दी जाती है. कितने बेखौफ हैं अपराधी. झारखंड सरकार को इस मामले की गंभीरता से जांच करानी चाहिए, और अपराधियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए. ताकि ये मामला नज़ीर की तरह याद रखा जाए. और आगे हमारी न्यायपालिका की स्वतंत्रता का मोल इतना कम ना आंका जाए.